अस्सलाम वालेकुम, अगर आप हमारे मुसलमान भाई-बहन हैं तो, आज आपको एहसास हो जाएगा कि, हम एक सही इस्लामिक वेबसाइट पर पहुंच गये. बराय मेहरबानी, इस पेज को नीचे तक Scroll करके चेक कर लीजिए. Proof के साथ सही तारीख जानिए. हर महीने का अपडेट मिलेगा.
मुस्लिम कैलेंडर की जानकारी चाहते हैं? समझना चाहते हैं कि यह इस्लामिक कैलेंडर कैसे अंग्रेजी कैलेंडर से अलग होता है? उसके साथ आप यह भी जानना चाहते हैं कि हिजरी कैलेंडर में किस महीने कौन सा त्यौहार है? किन-किन महीनों में हम मुसलमानों को रोजा रखना चाहिए?
Islamic Calendar 1445 हर साल मुसलमानों के त्योहार तारीख क्यों बदल जाता है? कृपया लेख को अंत पढ़िए। आज आपका कंसेप्ट क्लियर हो जाएगा।
आज उर्दू की कितनी तारीख है?
इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी या इस्लामी पंचांग भी कहते हैं। यह कैलेंडर चाँद दिखाई देने के अनुसार तिथि तय होता है। हिजरी कैलेंडर का 1445वाँ साल चल रहा है। याद रखिएगा कि इस्लामिक कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से अलग होता है.
Aaj Chand Ki Tarikh Kitni Hai?
अभी इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार कौन सा साल, महीना और तारीख है जानिए और Islamic Calendar Table 2024 नीचे है ☟।
➡ शाबान महीने का चाँद पहले नजर आया है. |
- इस्लामिक वर्ष – 1445
- इस्लामिक महीना – रमजान (नौवां महीना)
आज का इस्लामिक तारीख जानिए
12 मार्च दिन मंगलवार 2024 को रमजान (1445) महीने की पहेली तारीख मुकर्रर हो पाया है। इस बात की घोषणा इमारत सरिया हिन्द और रूय्यते हिलाल कमेटी अजमेर ने कर दिया है।
आपको बता दें कि, रमजान महीने का चाँद पहले देखा गया है। चाँद पहले देखने की रवायत (29 दिनों) के मुताबिक, शबान 29 दिनों का हुआ. लिहाजा 29 शबान (1445) 11 मार्च 2024 को हुआ था.
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12 मार्च 2024 को इस्लामिक तिथि 01.09.1445 है.
Chand Ki Tarikh |
रमजान 1445 |
इस्लामिक तारीख | अंग्रेजी तारीख |
---|---|
1 रमजान | 12 मार्च |
2 | 13 |
3 | 14 |
4 | 15 |
5 | 16 |
6 | 17 |
7 | 18 |
8 | 19 |
9 | 20 |
10 | 21 |
11 | 22 |
12 | 23 |
13 | 24 |
14 | 25 |
15 | 26 |
16 | 27 |
17 | 28 |
18 | 29 |
19 | 30 |
20 | 31 |
21 | 01 अप्रैल |
22 | 02 |
23 | 03 |
24 | 04 |
25 | 05 |
26 | 06 |
27 | 07 |
28 | 08 |
29 | 09 |
30 रमजान | 10 |
जरूर पढ़ें |
अगला अपडेट 10 अप्रैल 2024 को होगा. आप चांद देखने की कोशिश करें. |
UK, USA और सऊदी अरब में बकरीद कब है? |
इस्लामिक तारीख का तारीख कैसे निर्धारित होता है?
यदि महीने के दिन 29 की शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद नया चाँद दिखाई देता है, तो अगले दिन नए महीने का शुरुआत हो जाती है। यदि नये चाँद देखे जाने की पुष्टि नहीं होने पर 30 के रवायत के अनुसार, उसके अगले दिन से हम नए महीने की शुरुआत होती है.
याद रखिए इस्लामिक महीना 29 या 30 दिनों का होता है. 30 तारीख की शाम को अगर चांद दिख जाए तो वह महिना 29 दिनों का होता है. चांद ना दिखे तो महीना 30 दिनों का होता है.
यही वजह है कि महीनों के आखिर में ही पता चलता है कि यह महीना जो चल रहा है वह 30 या 29 दिनों का है. आपको सतर्क करना चाहता हूं, इंटरनेट पर बहुत ऐसे वेबसाइट हैं जो कंप्यूटर के द्वारा जनरेट किए गए महीने की तारीख को दिखाते हैं.
जो सही या गलत भी हो सकता है. कुल्हैया.कॉम website आप लोगों को पटना के इमारत सरिया के द्वारा चांद देखे जाने की जो घोषणा करता है, उसी पर आधारित आपको इस्लामी कैलेंडर उपलब्ध कराता है.
हर महीने के चाँद देखे जाने के अनुसार यहाँ पर आपको अपडेट मिलेगा, समय-समय पर इस पेज पर विजिट करते रहे ताज़ातरीन इस्लामिक तिथियों के लिए।
हिजरी कैलेंडर को और कितने नामों से जाना जाता है?
हिजरी कैलेंडर को भारत में उर्दू कैलेंडर या मुस्लिम कैलेंडर भी कहते हैं। लेकिन यह एक इस्लामिक कैलेंडर है। यह कैलेंडर चांद के अनुसार तिथि बदलता है, इसीलिए इसे चंद्र-कालदर्शक भी कहते हैं।
1444 साल पहले, इस कैलेंडर का शुरुआत हज़रत मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना में हिज्ऱत (प्रवास) से शुरू हुआ था।
आखिरकार इस्लामिक कैलेंडर, अंग्रेजी कैलेंडर से अलग क्यों होता है?
अंग्रेजी कैलेंडर की शुरुआत 2023 साल पहले हुई थी। जबकि इस्लामिक कैलेंडर का शुरूआत 1445 साल पहले हुआ था।
अंग्रेजी कैलेंडर सूर्य के अनुसार अपने तिथियों को बदलता है। जबकि मुस्लिम कैलेंडर की तिथियां चाँद के अनुसार बदलता है।
अंग्रेजी कैलेंडर मैं 365 दिन होते हैं। जबकि इस्लामिक कैलेंडर में 354 या 355 दिन ही होते हैं। यानी कि दोनों कैलेंडरों के बीच में 10 से 11 दिनों का प्रत्येक वर्ष फर्क आ जाता है।
हर साल हम मुसलमानों के त्योहारों का तारीख क्यों बदल जाता है?
जी हां, प्रत्येक वर्ष मुसलमानों के त्योहारों का तारीख बदल जाता है। आप कभी-कभी यह सोचते होंगे कि यह कैसे मुमकिन है।
दोनों कैलेंडरों के बीच में 10 से 11 दिनों का प्रत्येक वर्ष फर्क होता है। जिस कारण अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मुसलमानों का त्योहार प्रत्येक वर्ष 10 से 11 दिन पहले आ जाता है।
अगर आप भूगोल विद्या का उपयोग करेंगे तो आपको साफ पता चलेगा कि चांद एवं सूर्य का गति में अंतर होता है। चाँद प्रत्येक वर्ष 10 से 11 दिन पहले अपना चक्र पूरा कर लेता है। इसी कारण मुस्लिम त्योहारों का तारीख हर साल बदल जाता है।
जैसे कि आप जानते हैं 1 मई 2018 को शब-ए-बरात मनाया गया था। 2019 में शब-ए-बरात 20 या 21 अप्रैल को होगा। इस तरह घटते-घटते 32 सालों के बाद यानी 2050 में पुनः शबे बरात 1 मई को होगा।
आप कह सकते हैं कि मुस्लिम भाइयों का त्यौहार साल के हर मौसम में होना मुमकिन है। क्योंकि यह चक्र 32 सालों में एक बार पूरा हो जाता है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार क्रिसमस का त्योहार हर साल एक मौसम में होता है।
उर्दू कैलेंडर 2023 में, कौन सा इस्लामिक साल चल रहा है?
उर्दू कैलेंडर का 1445 वर्ष चल रहा है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में 2023 चल रहा है। दोनों कैलेंडरों के बीच में 578 सालों का अंतर है। आप कभी सोचते होंगे कि इस कैलेंडर का नया साल कब होता है। इस कैलेंडर का पहला महीना का नाम मुहरम है।
इस्लामिक नया साल (1445) कब है?
इस्लामिक हैप्पी न्यू ईयर हर साल अलग तिथि को होता है. इस्लामिक नया साल 20 जुलाई 2023 को है.
- 2018 – 12 सितंबर – 1440
- 2019 – 31 अगस्त – 1441
- 2020 – 26 अगस्त – 1442
- 2021 – 11 अगस्त – 1443
- 2022 – 31 जुलाई – 1444
- 20 जुलाई 2023 – 1445.
हर मुसलमान को साल के 12 महीने का संक्षिप्त इतिहास को जानना चाहिए ताकि वह बेहतर इबादत कर सकें
आपने कभी भी सोचा नहीं होगा कि हिजरी कैलेंडर के कितने फायदे हैं. शायद आप पहले से ही जानते होंगे कि हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित है. चांद को पृथ्वी का परिक्रमा करने में 29 से 30 दिनों के बीच का समय लगता है. यही कारण है कि अंग्रेजी कैलेंडर से 10 से 11 दिन छोटा होता है.
इस्लामिक कैलेंडर में 354-355 दिनों 1 साल होता है. हमारी कल्पना से बाहर है कि इस कैलेंडर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आपको जीवन काल में हर मौसम में ईद जैसे त्यौहार मनाने का मौका मिलेगा.
इसलिए, लोग विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में और अलग-अलग घंटों में अल्लाह ताला को खुश करने के लिए बात करने का मौका मिलता है.
मेरे हिसाब से आपको इस्लामिक कैलेंडर के 12 महीने के बारे में विस्तृत ढंग से जान लेना चाहिए. जैसे आप यह जानेंगे कि इस्लाम के चार महत्वपूर्ण मैंने कौन से हैं. किन-किन महीने में रोजा रखना चाहिए.
पहला महिना – मोहर्रम
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, मुहर्रम का मतलब “निषिद्ध” (Forbidden) है। मोहर्रम की पहली तारीख को हिजरी कैलेंडर का नया साल होता है।
इसके अलावा, मुहर्रम ‘पवित्र महीना’ है, अल्लाह ताला ने कुरान में इसका उल्लेख करके इसे और अधिक पवित्र बढ़ा दिया है।
कुरान में अल्लाह कहते हैं कि:
“उनमें से चार (ज़ु अल-क़ादा, ज़ु अल-हज्जा, मुहर्रम और रज्जब) पवित्र हैं।” (सूरह अत-तौबाः 36)
रमज़ान के महीने का रोजा के अलावा मुहर्रम के महीने का रोजा बाकी सभी महीनों से बेहतर है. मुहर्रम के दसवें दिन में को आशूरा कहते हैं.
आशूरा के पाक दिन ही पैगंबर (SAW) अपने साथियों के साथ मदीना चले गए थे। वहाँ पैगंबर (SAW) ने पाया कि यहूदियों ने मुहर्रम के दसवें दिन उपवास रखा था. अशूरा के दिन रोजा रखने का मुसलमानों को निर्देश दिया है, इसलिए हमें रोजा रखना चाहिए. जानिए 2023 में मोहर्रम कब है?
दूसरा महीना – सफ़र
मुहर्रम के बाद आने वाला दूसरा इस्लामिक महीना सफर है। आखिरकार इस का सफर क्यो पड़ा? “सिफिर” शब्द का अर्थ शून्य या खाली होता है, क्योंकि अरब अपने घरों को खाली कर देते थे और मुहर्रम के पवित्र महीने के बाद लड़ाई में वापस आ जाते थे।
इसी महीने रसूलुल्लाह फातिमा (R.A) की प्यारी बेटी की शादी हज़रत अली (R.A) के साथ हुई। इसके अलावा खुबैब इब्न अदनी और ज़ैद इब्न दथिना (आरए) इस महीने मक्का में वर्ष 4 A.Hमें शहीद हुए थे। इस महीने में कोई त्यौहार नहीं है।
तीसरा महीना – रबी अल-अव्वल
रबी अल-अव्वल इस्लामिक कलैंडर का तीसरा और बेहद खास महिना है क्योंकि इसी महीने आप पैगंबर मुहम्मद (SAW) का जन्म हुआ था। इस महीने के अलावा एक घटना थी जब हमारे पैगंबर (SAW) मक्का से मदीना मुनव्वरह चले गए।
इस महीने में दो युद्ध हुए हैं, बुवात और सफ़वान की लड़ाई वर्ष 2 ए.एच. में हुई थी. इस महीने ही हमारे पैगंबर मुहम्मद (SAW) की पत्नी ज़ैनब (R.A) का निधन वर्ष 4 A.H. हुआ. इसी महीने के 12 वें दिन मिलाद उन नबी मनाते हैं।
चौथा महीना – रबी अल-सानी /आख़िर
रबी अल-सानी इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का चौथा महिना है. इसी महीने बुरहान से फुरू की लड़ाई 3 एएच में हुई थी. 90 वर्ष की आयु में हज़रत ख्वाजा निज़ामुद्दीन और हज़रत शेख अब्दुल कादिर जिलानी इंतकाल हुआ था. इस महीने में कोई त्यौहार नहीं है।
पांचवा महीना – जमाद अल-अव्वल
जमाद अल-अव्वल इस्लामिक कलैंडर का पाँचवाँ महीना है. जमाद का मतलब सूखा होता है और इस्लामिक कैलेंडर में यह गर्मी का पहला महिना है।
इस महीने में, हमारे पैगंबर (PBUH) ने अपनी पहली पत्नी, हज़रत खतीजा (R.A) से शादी की। रसूलुल्लाह (PBUH) के दादा अब्दुल मुत्तलिब, जिन्होंने उनकी बहुत देखभाल की, का भी वर्ष के इसी महीने में इंतकाल हो गया था।
इस महीने का वास्तव में एक महान इतिहास है जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए। जमाद अल-अव्वल को मुताह की लड़ाई से पहचाना जाता है जो उस युग में सबसे बड़ी मुस्लिम लड़ाई है। इस महीने में कोई त्यौहार नहीं है।
छठा महीना – जमादी-उल-आख़िर / जुमादा अत-सानियाही
जमादी-उल-आख़िर इस्लामिक कलैंडर का छठा महीना है. खलीफा अबू बक्र का निधन 63 वर्ष की आयु में 22 वें जमादा अल-थानी 13 एच में हुआ था। इसलिए उसी समय और उसी महीने, उमर बिन खत्ताब को अबू बक्र की जगह लेने वाले दूसरे खलीफा के रूप में नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा, इस्लामी इतिहास में एक बड़ा युद्ध हुआ जिसे यरमुक युद्ध कहा जाता है। यरमुक की लड़ाई बीजान्टिन साम्राज्य की सेना और मुस्लिम अरब के बीच की लड़ाई थी। इस महीने में कोई त्यौहार नहीं है।
सातवां महीना – रज्जब
रज्जब इस्लामिक हिजरी कलैंडर का सातवां महीना है और मुसलमानों के पवित्र महीने में से एक है। रजाबा शब्द का अर्थ सम्मान करना है। पवित्र पैगंबर मुहम्मद (SAW) ने कहा है: “रजब अल्लाह (SWT) का एक महान महीना है, जो सम्मान और महत्व में किसी भी अन्य महीने से बेजोड़ है.
(इसके अनुसार); इस महीने के दौरान काफिरों के साथ युद्ध निषिद्ध है; निश्चय ही रजब अल्लाह का महीना है, शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है। जो कोई रजब के महीने में एक दिन का उपवास करेगा, उसे रिदवान (स्वर्ग में एक दूत) का बड़ा प्रतिफल दिया जाएगा; अल्लाह (SWT) के प्रकोप को दूर किया जाएगा और नर्क का एक दरवाजा बंद कर दिया जाएगा।”
रजब माफ़ी मांगने का महीना है, इसलिए अल्लाह से माफ़ी मांगो (SWT); अल्लाह वास्तव में क्षमा करने वाला, दयालु है। ‘अस्तगफ़िरुल्लाह वा अलुहुत तौबा’ दोहराने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
इस महीने के 13 तारीख को अली इब्ने अबी तालिब का जन्म हुआ था। इस्रा और मिराज या लेलत अल मिराज इस महीने के 27 तारीख को होने की उम्मीद होती है।
आठवां महीना – शआबान
शआबान इस्लामिक हिजरी कलैंडर का आठवाँ महीना है. शाबान मुसलमानों के लिए सबसे सम्मानित महीनों में से एक है. शाबान शब्द का अर्थ शाखा है, जिसे शाबान शाखा देता है और अन्य अच्छी चीजों की ओर ले जाता है।
शाबान, रजब और रमजान के दो धन्य और पवित्र महीनों के बीच संबंध के रूप में भी कार्य करता है। शबे बारात 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद यह शुरू हो जाती है जो पूरे रात से सुबह के फज़र तक होता है। जानिए 2024 में शबे बरात कब है?
नौवां महीना – रमजा़न
रमजा़न इस्लामिक हिजरी कलैंडर का नौवां महीना है. इस्लामिक कैलेंडर में रमजान सबसे कीमती महीना है, इस महीने में कई चमत्कार हुए। सबसे पहले, पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुआ। दूसरा, अनिवार्य रोजा पूरे रमजान में कि इस्लाम के चौथे स्तंभ में; जन्नत के द्वार खोल दिए गए और नर्क के द्वार बंद कर दिए गए।
फिर, शक्ति की रात (लैलत अल-क़द्र) जो एक हज़ार महीनों से बेहतर है वह भी इसी महीने में है. लिलत अल-क़द्र 19, 21 23, 25, 27 वें रमजान में किसी दिन भी हो सकता है। सबसे बड़ी बात कि रमजान का जिक्र कुरान की आयतों में है. जानिए 2024 में रमजान कब है.
दसवां महीना – शव्वाल
शव्वाल इस्लामिक हिजरी कलैंडर का दसवां महीना है. कहा जाता है कि रमजान का रोज़ा दस महीने के रोज़े रखने जैसा है। शव्वाल के छह दिन का रोजा दो महीने के उपवास के समान है। ईद उल फितर शव्वाल महीने के पहले तारीख को मनाया जाता है. जानिए 2024 में ईद कब है?
ग्यारहवाँ – ज़ु अल-क़ादा
ज़ु अल-क़ादा इस्लामिक हिजरी कलैंडर का ग्यारहवाँ महीना है. क़ादा शब्द का अर्थ है बैठना है। ज़ु अल-क़ादा पवित्र महीने का तीसरा महीना है। जिसमें लड़ना मना है। ज़ुल क़द्दाह का महत्व 25 तारीख की रात का है।
यह इतिहास है कि पवित्र काबा के पास रात में लोगों पर अल्लाह की रहमत बरसाई जाती है। बहुत से लोग इस रात में इबादत करते हैं.
कहा जाता है कि जो व्यक्ति 25 ज़ु अल-क़ादा के दिन रोजा करता है, वह सत्तर वर्ष के उपवास के बराबर होता है। यह सत्तर वर्ष के पापों को भी मिटा देता है।यह भी बताया गया है कि इस रात की इबादत सौ इबादत के बराबर है। इस महीने में कोई त्यौहार नहीं है।
बारहवां महिना – ज़ु अल-हज्जा
ज़ु अल-हज्जा इस्लामिक हिजरी कलैंडर का बारहवाँ और आखिरी महीना है. इस महीने को हज का महीना कहा जाता है. इस्लाम का पांचवां स्तंभ, हज पवित्र महीने में किया जाता है।
इसी महीने के 10 तारीख को ईद-उल-अज़हा का त्यौहार मनाया जाता है। इस महीने के 8, 9 और 10 तारीख को हज अदा की जाती है।
उर्दू कैलेंडर के दिनों के नाम निम्नलिखित हैं
- रविवार – इत़वार
- सोमवार – पीर
- मंगलवार – मंगल
- बुद्धवार – बुद्ध
- बृहस्पतिवार – जुम्महरात
- शुक्रवार – जुम्मा
- शनिवार – हफ्ता।
इन इस्लामिक आर्टिकल को आर्टिकल को जरूर पढ़ें
- मुस्लिम निकाह के कानून और मुस्लिम मैरिज एक्ट
- सफर की दुआ हिंदी में पढ़िए
- 51 मसनून दुआएं हिंदी में जानिए
- दुआ ए कुनूत हिंदी इंग्लिश एवं अरबी में पढ़िए
- दुआ मांगने का सही तरीका क्या है?
Conclusion Islamic Dates In India
दोस्तों, उम्मीद करता हूं कि आपको हिजरी कैलेंडर से संबंधित जानकारी मिल गया होगा। उर्दू कैलेंडर या Islamic Calendar से संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप हमसे पूछ सकते हैं। मुस्लिम त्योहारों से संबंधित अन्य लेख के लिंक नीचे दिए गए हैं। कृपया इसे भी एक बार पढ़ लें।
आज कितनी तारीख है? आपको हर इस्लामिक महीने का चाँद अपडेट यहाँ पर मिलेगा. आप हर महीने चांद का अपडेट देने के लिए इस पेज पर विजिट कर सकते हैं.
Good information , thanks
Subhanallah bahut hi achchhi jankari . Allah bless you and family.
समय पर अपडेट देने के लिए आपका धन्यवाद.
नमस्कार सर इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर हमें बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई है आपने हमारे लिए इतनी सही जानकारी को साझा किया है इसके लिए धन्यवाद.
ललित कह क़दर के बारे में बताया जाए
Thanks for sharng your thoughts about vinkyp. Regards
Assalamualaikum ji alhamdulillah aapki is link se bahoot fayda hua or jaane ko bhi Mila Allah aapko nek kaamo ki tofiq de or salamat rakhe allahumma aameen,,?
Muhammad sallallahu alaihi wasallam poora name likhiy short cut nhi.
Nic detel apki
मुहर्रम का इस्लामी महीना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वह महीना है जिसमें मुहम्मद (शांति उस पर हो) ने मक्का से मदीना तक अपना हिजड़ा (प्रवास) किया था। यह मुसलमानों के लिए स्मरण और चिंतन का समय भी है, क्योंकि यह मुस्लिम कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है।
It it very helpful. Akhrab ka mtlb kya hai ? Jo calendar me 2 ya 3 din mention hota hai
क़मर-दर-‘अक़रब (قَمَر دَرْ عَقْرَب) मुख्य रूप से भविष्यवाणी उपयोग के लिए किया जाता है. यह चांद के घुमाव के अनुसार तय किया जाता है. इसे
खगोलीय सॉफ्टवेयर या नेत्रगोलक के मदद से निर्धारित किया जाता है.
इस्लामिक जानकार मानते हैं कि, इस्लाम में क़मर-दर-‘अक़रब कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि चांद के घुमाव के अनुसार, फैसला लिया जाता है.
नजूमी के जानकार की तय कर सकते हैं कि, चांद के घुमाओ की दिशा के अनुसार कब और कौन-सा फैसला लें.
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Very nice and knowledgeable,
इस आर्टिकल कों शेयर करने के लिए धन्यवाद. आपको वेबसाइट पर अच्छा इस्लामिक अपडेट मिल पाता है
Aslamwalekum khairiyat hai ham Toukir ansari
अस्सलामु अलैकुम
हजरत आपकी साइट बहुत अच्छी है और उम्दा जानकारी देने की कोशिश की है। क्या आपके पास आज से पहले का हिजरी कैलेंडर 100 तक मिल सकता है। जानकारी देने की मेहरबानी करें।
मोहम्मद मोहसिन अंसारी
मोबाइल व्हाट्सएप
नंबर 9336 31 35 19
Very nice Deen ki baton ki jankari ke lie umid hai Aap hme bhi Deen see vabsta kraenge
Name.Gafur Khan Shamma
Mo.8955228386
Walekum asslaam Bhai. Mashaallah aapki ye zaankari bahut hi badhiya he.. taki jayada se jyada log jaan jaan sake.
This article helps them a lot. Thank you for sharing so well
Hello
अस्सलाम वालेकुम,
आपके वेबसाइट पर बहुत अच्छा होता है. इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट पर इतना अच्छा इस्लामिक अपडेट नहीं मिल पाता है. आपके पूरे टीम को बहुत-बहुत शुक्रिया.
Masha Allah bahot hi achchi jankari he.