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3 Comments

  1. जहां आपने दुआ को हिंदी में लिखा वही उसके नीचे अरबी में भी लिखा चाहिए था। इससे होता ये कि कुछ लोग हिंदी में लिखी दुआ को पढ़ने के बाद अरबी में भी पढ़ने की कोशिश करते जो अरबी नही जानते। इससे हमारे मुआश्रे में आपकी वजह से अरबी पढ़ना भी सीख जाते और अरबी में दुआ को पढ़ना और भी अफ़ज़ल है। इसलिए कि कुरआन को अरबी जुबान में अल्लाह ने नाजिल किया।

    शुक्रिया??

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