राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है और भारत गांवों का देश है। वह कहते थे कि अगर गांव नष्ट हो जाएगा तो भारत भी नहीं होगा।
बापू जी का मानना था कि गाँव भारत की रीढ़ हैं और वे हमारे देश में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि गांव एक आत्मनिर्भर इकाई है और यहां के लोगों के लिए एक अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी संसाधन मौजूद हैं।
क्या बाड़ाईदगाह ग्राम पंचायत में भारत की आत्मा बस पाएगी? आज के बदलते समय में, ग्राम पंचायतों में भारत की आत्मा कितना सहज महसूस करती है। ग्राम पंचायत बाड़ाईदगाह आखिरकार क्यों राजनीति का प्रयोगशाला बन गया है?
गांधी जी ने यह भी कहा कि गांव एक शांतिपूर्ण जगह है, जहां लोग प्रकृति के साथ सद्भाव में रहते हैं। उनका मानना था कि ग्रामीणों की एक साधारण जीवन शैली होती है जो ईमानदारी, कड़ी मेहनत और आपसी मदद पर आधारित होती है। उन्होंने कहा कि यही जीवनशैली ग्रामीणों को खुश और संतुष्ट करती है।
क्या इसके उलट बाड़ा ईदगाह एक राजनीतिक अखाड़े के रूप में विकसित हो रहा है? आइए नवनिर्वाचित मुखिया तनवीर आलम से ही इस प्रश्न का उत्तर को जानते हैं।
तनवीर आलम साहब आपको सबसे पहले मैं आपको अपनी पूरी टीम के तरफ से मुबारकबाद देता हूं। उम्मीद करता हूं कि बाड़ाईदगाह के लिए वह सब कुछ आप करेंगे जो पिछले 20 सालों में नहीं हो पाया है।
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बाड़ाईदगाह को राजनीति का प्रयोगशाला या अखाड़े के रूप में क्यों देखा जाता है?तनवीर आलम का उत्तर – सबसे पहले आपकी पूरी टीम का शुक्रगुजार हूं कि आपने मुझे मौका दिया। यह धारणा अब बदल चुकी है। मैं इस बात से इंकार नहीं करता हूं कि पहले इस पंचायत को राजनीति के प्रयोगशाला के रूप में संदर्भित किया जाता था। आपको पता ही होगा कि मरहूम हाजी मुजफ्फर हुसैन साहेब जो अमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे हैं, उनका भी ताल्लुक बाड़ाईदगाह ईदगाह से था। यही नहीं उनके पुत्र सबा जफर साहेब का भी कर्मभूमि यही ग्राम पंचायत है। यही कारण है कि इस ग्राम पंचायत को राजनीति के प्रयोगशाला के तौर पर देखा जाता था. जबकि इस पंचायत से कई शिक्षाविद गुजरे हैं, जिनका नाम मरहूम हाजी गयास नशतर और मरहूम मौलवी इब्राहिम जैसे शख्सियत रहे हैं। क्या आप बाड़ाईदगाह को समुचित विकास दिलाने में अपने आप को सक्षम देखते हैं?उत्तर – जी हां, मैं 24 घंटों में से 18 घंटे काम कर सकता हूं। आपातकालीन स्थिति में, मैं अपनी गाड़ी से खुद रात के 12:00 है या 3:00 बजे हो, लोगों को हॉस्पिटल ले जाता हूं. मैं पंचायत के विकास के लिए कहीं भी, किसी भी वक्त जा सकता हूं। किसी का भी दरबारी कर सकता हूं और जो भी कीमत हो उसे मैं चुका सकता हूं। इसलिए मुझे पूर्ण रूप से भरोसा है कि मैं अपने ग्राम पंचायत बाड़ाईदगाह में तेज़ और भरोसेमंद विकास ला पाऊंगा. अब तक, इस पंचायत का संपूर्ण विकास क्यों नहीं हो पाया?उत्तर – इस पंचायत को अब तक जो मुखिया मिला था, वे सभी पढ़े लिखे और आर्थिक तौर पर संपन्न परिवार से थे। मेरे समझ से, उन्होेंने गरीबी का दर्द को कभी महसूस नहीं किया होगा। मैंने भूख, गरीबी और लाचारी के पीड़ा को खुद से महसूस किया है। मुझे याद है कि मैं कई रातों को भूखा सोता था। मैं अपने पेट की गड़गड़ाहट सुनकर जाग जाता, उम्मीद करता कि सुबह जल्दी आ जाएगी ताकि मैं नाश्ता कर सकूं। धीरे-धीरे समय बदला, बिहार में श्री नीतीश कुमार का राज स्थापित होने से गरीबों में अमीरों से डर की भावना कम हुई। पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव के मिड डे मील प्रोग्राम की वजह से गरीब बच्चे भी स्कूल जाने लगें. मोबाइल युग आते ही सारा राजनीतिक क्लाइमैक्स ही बदल गया। गरीबों को इस बात की अकल आ चुकी थी कि, किसी भी ग्राम पंचायत में उसकी जनसंख्या 80% होती है। तो वह खुद से पूछने लगे कि मेरे जैसे गरीब एवं पीड़ित लोग पंचायत का मुखिया क्यों ना बनें. सिर्फ इसी पंचायत में ही नहीं बिहार के ज्यादातर पंचायतों में यह बदलाव साफ देखा जा सकता है। क्या आप गरीबों के नेता है?उत्तर – तनवीर आलम हर जरूरतमंदों का नेता है। समस्या सिर्फ गरीबों को नहीं होती है बल के अमीरों को भी होती है। फर्क इतना है कि गरीब अपने समस्याओं के निदान के लिए उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ते हैं। जबकि इसके विपरीत अमीर लोग अपनी समस्याओं के निदान की उम्मीद को जल्द ही छोड़ देते हैं। चाहे कोई एमपी हो या एमएलए, अगर वह समझ जाता है कि दोनों वर्गों की समस्याएं अलग-अलग हैं और इसका निदान भी अलग-अलग है। मैं दोनों की ही समस्याओं के लिए अलग-अलग तरीकों को अपनाकर के उसका मैं निदान करता हूं। यही नहीं मैं उनका डेटाबेस भी तैयार करता हूं ताकि मैं खुद को भविष्य के लिए ज्यादा बेहतर रूप से तैयार करता पाऊँ। |
Bara Idgah Amour का संक्षिप्त परिचय जान लीजिए
पूर्णिया जिले का अमौर प्रखंड के 24 पंचायतों में से एक पंचायत बाड़ाईदगाह है. अमौर प्रखंड मुख्यालय से दक्षिण और पश्चिम में स्थित है. जिला मुख्यालय से पूरब और उत्तर दिशा में है. जिला मुख्यालय से दूरी 28 किलोमीटर है. जबकि प्रखंड के मुख्यालय से दूरी 12 किलोमीटर है.
बाडा़ ईदगाह एक इतिहासिक ग्राम पंचायत रहा है। बाड़ा ईदगाह नाम कैसे पड़ा, लोगों का मानना है कि ब्रिटिश सरकार के समय यहां एक पोस्ट आफिस खुला था, उस पोस्ट आफिस का नाम बडा़ ईदगाह था. इस पंचायत में एक गांव का नाम बेहुरा है. यहां एक ईदगाह है. जहाँ पर ईद और बकरीद की नमाज़ अदा की जाती रही है। कुछ लोग मानते हैं कि, मुगल के समय यहां एक बहुत बडा़ ईदगाह हुआ करता था।
Popular People’s Of The Baraidgah
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पूर्व विधायक सबा जफ़र साहेब ने 2012 बाड़ाईदगाह पंचायत को प्रखंड बनाने का रेजुलेशन पास करवाया था. जो अभी तक नहीं हो पाया है.
बाड़ा ईदगाह की चौहद्दी
- उत्तर – बंगरा मेंहदीपुर एव झौवाड़ी ग्राम पंचायत
- दक्षिण – बकानिया बरेली ग्राम पंचायत
- पूरब – अमगाछी व बकानिया बरेली ग्राम पंचायत
- पश्चिम – बोचगांव ग्राम पंचायत और कसबा प्रखंड.
ग्राम पंचायत बाड़ाईदगाह के गांव के नाम
- बहुरा
- हक्का
- मतीनगर
- नेमुआ
- सरवैली
- छपरैली
- मिलकी (बबलू टोल).
बाडा़ईदगाह पंचायत पूरे बिहार में इतना फेमस क्यों है?
यह ग्राम पंचायत इतना फैमस है कि दुर-दराज के गांव वाले भी अपना घर बाड़ा ईदगाह ही बताते हैं. इस का वजह है इस का इतिहास है। इस जगह को आज एक प्रखंड होना चाहिए था, पर अभी भी एक ग्राम पंचायत है।
मदरसा तनजिमियाँ एक बेहद पुराना मदरसा है. यहां पर फाजिल तक पढ़ाई होती है। लोग दूर-दूर से पढ़ने के लिए आते थे. लेकिन समय बदलने के साथ लोगों कि रूचि स्कूली शिक्षा के तरफ हो गया।
इस मदरसे की स्थापना 1920 में हुई थी। मर्हूम मौलवी इब्राहिम साहेब को लोग आज भी लोग याद करते हैं क्योंकि इस मदरसे का वह संस्थापक थे। पुर्णिया जिले का जमाती मरकज़ भी यही पर है और यहां पर एक बहुत बड़ी मस्जिद है. जहां पर कई हजार लोग एक साथ नमाज़ अदा करते हैं।
इस्लामिक कोर्ट भी यहां पर जिसे दारूल कजां के नाम से जाना जाता है। बाड़ा ईदगाह हाट जो कि एक ग्रामीण मार्केट है। यहां पर लोग सामान खरीदने और बेचने के लिए कई गांवों और शहरों से आते हैं।
यहां पर एक बहुत बड़ा ईद गाह है, जहां पर कई पंचायत के लोग ईद व बकरीद की नमाज नमाज पढ़ने के लिए आते हैं ।
बाडा़ ईदगाह पंचायत का शिक्षा का स्तर क्या है?
यहां पर शिक्षा का प्रतिशत 41% है जो राष्ट्रीय जो औसत से काफी कम है। दो अल्प वित्तीय रहित सरकारी स्कूल है. जिसका नाम है: नशतर हाई स्कूल और मिल्लत हाई स्कूल है जिसके संस्थापक मरहूम हाजी गयास नशतर साहेब और मरहूम अनीसुर रहमान साहेब हैं ।
बिहार सरकार द्वारा चलाए जाने वाली कई मिडिल और प्राइमरी स्कूल हैं। कुछ प्राइवेट स्कूल भी हैं। मदरसा तनजिमियाँ में लड़को के लिए होस्टल है। स्कूली शिक्षा के हालात ठीक नहीं है और गुणवत्ता की भी कमी है।
यहां पर उच्च शिक्षा के लिए कोई कॉलेज नहीं है। महिलाओं की शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है लोगों के पास इतने पैसे नहीं है कि अपने बेटियों को बेटों के तरह शिक्षित कर सके। अभी भी लोगों का सोच नही बदला है, बेटियों को पढ़ा कर किया करना है।
बाडा़ईदगाह का अर्थव्यवस्था कैसा है?
यहाँ के लोगों का मुख्य पेशाा खेती,और दैनिक मजदूरी है और लगभग आधी आबादी दिल्ली, पंजाब आदि शहर में काम करते हैं। यहाँ पर किसी प्रकार का लघु उद्योग नही है। सब से ज्यादा खराब हालात छोटे किसानों की है।
पूर्णिया जिले की पर व्यक्ति आय 1 साल का 16,885 से कम है, उससे भी जायदा खराब हालात इस पंचायत की है। कुछ ही लोग हैं जो अच्छी नौकरी में हैं।
स्वास्थ्य और इलाज को लेकर यहां पर बहुत बड़ी समस्या है?
यहां पर एक प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र है. लेकिन आज तक यहां पर कोई डाक्टर नही आया। लोगों का इलाज कुवैक या देशी डाक्टर ही करते हैं और ज्यादा बिमारी होने पर लोग पुर्णिया जाने के लिए मजबूर हैं। पंचायत से पूर्णिया की दूरी 28 किलोमीटर है.
लोगों में स्वास्थ्य को ले कर कम जागरूकता है. जैसे फलों का कम सेवन करना, साफ शफाई की कमी, शौचालय की कमी, टीकाकरण पता नहीं होना, मांस मछली का ज्यादा सेवन करना , आईरन, आर्सेनिक वाला पानी पाना और व्यायाम करना आदि।
पंचायत का सामाजिक ढांचा कैसा है?
हिंदुस्तान का यह एक ऐसा पंचायत है. जहां पर हर धर्म के लोगों को एक साथ रहने की आदत सी है. यहां पर हिंदू मुस्लिम सब लोग मिलकर एक दूसरे साथ रहते हैं। एक दूसरे के यहां त्योहारों और शादियों में शामिल होते हैं ।
यहां पर कभी भी धर्म के नाम पर कोई भी भेदभाव नहीं हुआ सब लोग एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं. जब मंदिर में पूजा होती है. वहां पर मेला लगता है जहां पर हिंदू मुस्लिम सब आते हैं. बाकी हिंदुस्तान को यह पंचायत सबक देता है।
बाडा़ ईदगाह का इतिहासिक ईदगाह में एक हिंदू आदमी झमेली विश्वास लाउडस्पीकर बहुत सालों से लगाते हुए आ रहे हैं. जबकि नमाजी मुसलमान होता है गंगा जमुना तहजीब का यह एक अच्छा उधारण है ।
Bara Idgah का चर्चित जगहों के बारे में जरूर जान लीजिए
यह एक ग्रामीण इलाके का बहुत बड़ा मार्केट है. यहां पर डेली इस्तेमाल का हर सामान मिल जाता है। यहां पर मवेशी मार्केट भी है। सप्ताह में दो बार लगता है मंगल और जुमा को यहां पर बहुत दूर से लोग आते हैं. सामान खरीदने और बेचने के लिए 10,000 से 12,000 लोग आते हैं।
यहाँ सब कुछ मिल जाएगा जो आपको चाहिए जैसे मिठाई, किराना का समान, खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक खाद, कपड़ा, साइकिल, मोटरसाइकिल के पार्ट्स, tv dth रिचार्ज, लकड़ी के सामान, इलेक्ट्रिसिटी के समान, दवाई, मछली, गोश्त, सब्जी आदि। बाकी दिनों में भी हॉट खुला रहता है लेकिन लोग कम आते है।
इसके अलावा बाइक के कई शोरूम होने के साथ-साथ यहां पर एक पेट्रोल पंप भी है, जो बारा ईदगाह को इन दिनों नई पहचान देता है.
यह बेहद पुराना मदरसा है इसकी स्थापना आजादी से पहले हुई थी जैसे कि आपको बताया जा चुका है. 1920 में इसकी स्थापना हुई थी पहले यहां पर बहुत दूर से लोग पढ़ने के लिए आते थे. और हॉस्टल में रहते थे अपनी पढ़ाई मुकम्मल करके ही जाते थे।
लेकिन समय बदला लोग आप स्कूली शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इसलिए पहले से कम बच्चे मदरसा पढ़ने आते हैं लेकिन यहां पर भी सरकारी सभी योजनाओं का फायदा मिलता है जैसे साइकिल योजना, पौषाक योजना और मिड डे मील आदि।
पूर्णिया जिले का सबसे बड़ा मस्जिद बाड़ाईदगाह में है
इस पंचायत में एक बहुत बड़ी मस्जिद है. यहां पर हजारों की तादात में है लोग नमाज अदा करते हैं. यह पूर्णिया जिले का मरकज भी है. जमात के सभी लोग यहीं से जुड़ते हैं और पूरे जिले में और पूरे देश तक जाते हैं। इस मस्जिद का नाम बाड़ाईदगाह जमा मस्जिद है, जो पूर्णिया जिले का सबसे बड़ा मस्जिद माना जाता है.
बाडा़ ईदगाह में दारुल क़ज़ा है
बाड़ाईदगाह तनजिमियाँ मदरसा के कैंपस में आज भी दारुल क़ज़ा यानी कि इस्लामिक कोर्ट आज भी काबिज़ है. दूरदराज से लोग यहां पर शादी बिया से जुड़े मामलात को लेकर के आते हैं।
इस्लाम में, एक दारुल कज़ा (इस्लामी अदालत) मुसलमानों के बीच विवादों के समाधान के लिए एक न्यायाधिकरण है। यह इस अर्थ में एक अदालत नहीं है कि हम पश्चिम में शब्द को समझते हैं, बल्कि मुस्लिम विद्वानों की एक सभा है जो इस्लामी कानून का इस्तेमाल मामलों को सुलझाने के लिए करते हैं।
दारुल कज़ा का उपयोग अक्सर नागरिक विवादों को निपटाने के लिए किया जाता है, जैसे कि व्यापार अनुबंध या विरासत के संबंध में। हालाँकि, इसका उपयोग आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए भी किया जा सकता है।
कुछ इस्लामी देशों में, जैसे सऊदी अरब और ईरान में, दारुल कज़ा ही एकमात्र कानूनी व्यवस्था है; मिस्र और ट्यूनीशिया जैसे अन्य देशों में, यह धर्मनिरपेक्ष अदालतों के साथ मौजूद है।
मुगलकालीन समय से ही, बाड़ाईदगाह ग्राम पंचायत में इस्लामिक कोर्ट आज भी काम कर रहा है. जो यहां के लोगों के लिए गर्व की बात है.
बाड़ाईदगाह पोस्ट ऑफिस, पूर्णिया जिला का दूसरा पोस्ट ऑफिस
यह बहुत ही पुराना पोस्ट ऑफिस है. इसकी स्थापना 1901 के आसपास हुई थी. इस का पिन कोड 854330 है और इसका वाया कसबा है।
Baraidgah कैसे पहुंचे?
कसबा से: यहां पर आप अपनी गाड़ी या शेयरिंग ऑटो या रिजर्व ऑटो से पहुंच सकते हैं. कसबा से 10 से 11 किलोमीटर की दूरी पर है.
अमौर से: आप शेयरिंग ऑटो या टैक्सी से आ सकते हैं जो कि 11 से 12 किलोमीटर की दूरी है। बेहतरीन पक्की सड़क है आपको मुश्किल से आधा घंटा का समय लगेगा.
बायसी से: शेयरिंग आटो या टैक्सी से आ सकते हैं यह भी पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है, जिसकी दूरी 12 से 14 किलोमीटर की है।
जलालगढ़ से: जलालगढ़ के लिए भी डायरेक्ट ऑटो चलती है या आप अपनी गाड़ी से आ सकते हैं. इसकी दूरी 15 से 17 किलोमीटर है। यह भी पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है।
पूर्णिया से: पूर्णिया से कसबा होते हुए आ सकते हैं। कसबा से पूर्णिया 10 से 11 किलोमीटर की दुरी है।
अररिया से: अररिया से आने के लिए जलालगढ़ होते हुए आ सकते हैं। अररिया और जलालगढ़ नेशनल हाईवे 57 से जुड़ा हुआ है।
सबसे नजदीक नेशनल हाईवे: नेशनल हाईवे 31 बरसोनी के पास और नेशनल हाईवे 57 जलालगढ़ और कसबा के पास है।
सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन: कसबा रेलवे स्टेशन है जो 11 से 12 किलोमीटर दूरी पर है. लेकिन यहां पर आपको सिर्फ पैसेंजर ट्रेन मिलेगा जिससे कि आप जोगबनी, पूर्णिया और अररिया जा सकते हैं।
दूसरा बड़ा रेलवे स्टेशन: पूर्णिया रेलवे स्टेशन जहां पर आप सीमांचल एक्सप्रेस से दिल्ली जा सकते हैं और कोलकाता एक्सप्रेस से कोलकाता जा सकते हैं।
तीसरा रेलवे स्टेशन: कटिहार रेलवे स्टेशन जहां से आप पूरा हिंदुस्तान के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं और राजधानी एक्सप्रेस का भी मजा ले सकते हैं ।
बाड़ा ईदगाह की समस्याएं क्या है?पेयजल की समस्या: यहां की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है. अभी भी लोग हैंडपंप के द्वारा निकाले गए पानी के लिए मजबूर हैं। यहां के पानी में काफी मात्रा में आयरन है। मानसून के सीजन में यह पानी और भी गंदा हो जाता है जिसको पीने से लोगों में काफी बीमारियां होती है जैसे स्टोन होना, डायरिया होना, त्वचा की बीमारी और लिवर की बीमारी है। अभी तक सभी वार्डों में जल नल योजना के तहत जलापूर्ति सुनिश्चित नहीं हो पाई है। स्वास्थ सुविधाओं का घोर अभाव: यह बहुत बड़ी समस्या है जिससे महिलाओं को परसव में परेशानी होती है, टीकाकरण भी नहीं हो पाता और भारत सरकार द्वारा चलाए जाने वाली विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का फायदा लोगों तक नहीं पहुंच पाता। 1989 में एक प्रायमरी हेल्थ सेंटर बना था जो अब पूरी तरह खंडहर में विलीन हो चुका है। विडंबना है कि अब तक ना तो कोई नर्स या डॉक्टर यहां पर काम करने के लिए पहुंचा है। गुणवत्तापूर्ण स्कूलों की कमी: यहां पर स्कूल हैं, पर अच्छे शिक्षक की बहुत ही कमी है। इस पंचायत में 2 वित्त रहित हाईस्कूल होने के कारण कोई प्रोजेक्ट हाई स्कूल नहीं खुल पाया है। बेरोजगारी: लोगों को गांव में रोजगार नहीं मिल रहा है इसलिए लोग अपने परिवार को छोड़कर बड़े शहरों के तरफ पलायन कर रहे हैं। अभी तक यहां पर कोई भी लघु उद्योग का शुरुआत नहीं हुआ है. जबकि भारत सरकार इसके लिए बहुत सारी योजनाएं लाए हैं. पर गांव के लोगों तक नहीं पहुंच पाया है। पंचायत की सबसे बड़ी आबादी मजदूरी या कोई अन्य काम पाने के लिए दूसरे राज्य जाते हैं। दूसरी बड़ी आबादी आज भी प्राचीन तकनीक वाली खेती बाड़ी को ही अपना मुख्य पेशा मानते हैं. यह लोग दशकों से गरीबी की मार झेल रहे हैं और आने वाले समय में भी यही उम्मीद है। किसानों की समस्याएं: किसानों को खेती के लिए सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिलना जैसे खेती के लिए पर्याप्त बीज, कीटनाशक और खाद की कमी होना। सिंचाई के लिए नहर का नहीं होना। किसान को अपना अनाज बेचने के लिए सही रेट नहीं मिलना आदि। नशाखोरी में तेजी़: इस पंचायत के युवा कोरेक्स, इसमैक एवं अन्य खतरनाक ड्रग्स में लिप्त होते जा रहे हैं। इस पंचायत के बूढ़े बुजुर्ग भी पीछे नहीं हैं, उनमें भी बहुत तेज़ी से वायग्रा का इस्तेमाल बढ़ रहा है। यह बात मैं 2016 में लिख रहा हूं. आने वाले 10 सालों के बाद देखिएगा कि शराबबंदी के कारण अन्य नशा तेजी से पैर पसरेगा. समय रहते अगर इस पर लगाम नहीं लगाया तो इसके बहुत ही खतरनाक परिणाम होंगे. परिवारिक एवं समाजिक विवाद: विडंबना है कि पंचायत के जिस मुखिया को विकास के लिए चुना है. उस मुखिया को परिवारिक एवं समाजिक विवाद निपटाने के लिए हर दिन 12 घंटे पंचायती करना पड़ता है. यह लोग सिर्फ अपना ही विकास नहीं बल्कि पूरे पंचायत के विकास को रोक रहे हैं. विवाद पैदा करने वाले लोगों की कमी नहीं है. जब उसका मन पंचायत भवन से नहीं भरता है तो वह केस करने के लिए अमौर थाना पहुंच जाते हैं. पॉलिटिकल वर्करों की फैक्ट्री: इस पंचायत की लगभग 500 से ज्यादा लोगों की आबादी होगी जो पॉलिटिकल पार्टियों के लिए काम करते हैं. इन लोगों का रोजगार सालों भर नहीं चलता है. चुनाव के समय कुछ कमाई हो जाती है बाकी समय, बाड़ाईदगाह मार्केट में बिताते हैं. |
बाड़ा ईदगाह के विकास की जिम्मेदारी किसके ऊपर है?
यह तीन प्रमुख प्रश्नों के उत्तर अभी भी नहीं मिल सका हैं। आप सभी जानकारों और राजनीतिक नेताओं से अपील करता हूं कि इन योजनाओं की जानकारी जनता तक कैसे पहुंचे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है।
- प्रधानमंत्री का नाम : श्री नरेंद्र दामोदर मोदी
- मुख्यमंत्री का नाम: श्री नीतीश कुमार
- उपमुख्यमंत्री का नाम: तेजस्वी यादव
- सांसद का नाम: श्री डॉक्टर जावेद
- विधायक का नाम: श्री अख्तरुल इमान
- मुखिया का नाम: जनाब तनवीर आलम
- सरपंच का नाम: रुकशाना बेगम
- समिति का नाम: मोहम्मद बारद्दीन
- उप मुखिया – साजिद आलम.
अमौर के विधायक का पता एवं किशनगंज के एमपी का एड्रेस एवं मोबाइल नंबर को अक्सर लोग गूगल पर सर्च करते रहे हैं. आपकी सुविधा के लिए इन दोनों का एड्रेस नीचे लिखा गया है.
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Conclusion Points
भारतीय संविधान ने इन सभी लोगों को बाड़ा ईदगाह ग्राम पंचायत का विकास करने की जिम्मेदारी दी है जिससे की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का सपना पूरा हो सके।
भारत गांवों का देश है अगर गांव का विकास हुआ तो भारत का भी तभी संपूर्ण विकास होगा और इससे बापूजी का सपना पूरा होगा । आप सभी लोगों से यह निवेदन है कि अगर यह लेख आपको अच्छा लगा तो यह आवाज भारत के प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिए शेयर जरूर करें।
सरफराज नशतर की राय: ग्राम पंचायत स्थानीय निकाय है जो एक गाँव को नियंत्रित करती है। ग्राम पंचायत का मुखिया आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य होता है और गाँव में विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है।
ग्राम पंचायत के मुखिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास कार्य समय पर और कुशल तरीके से हो। वह विकास कार्यों की प्रगति की निगरानी भी करें और यदि आवश्यक हो तो सुधारात्मक कार्रवाई करें। ग्राम पंचायत के मुखिया को विकास योजनाओं पर ग्रामीणों से विचार-विमर्श करना चाहिए और उनके सुझावों को सुनना चाहिए। उन्हें विकास कार्यों की प्रगति से भी अवगत कराते रहना चाहिए। विधायक और सांसद की भूमिका जनता की सेवा करने और उन लोगों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेने की होती है जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, कभी-कभी लोगों के लिए क्या उचित है और सरकार के लिए क्या उचित है, के बीच संघर्ष हो सकता है। इन मामलों में, विधायक और सांसद के लिए दोनों पक्षों के लिए उचित समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। |
आपका प्रथम प्रश्न का उत्तर नश्तर प्रखंड स्तरीय यूथ क्लब अमोर (एनवाईकेएस भारत सरकार द्वारा अधिकृत) इस संगठन का संस्थापक एवं अध्यक्ष होने के नाते में देना चाहूंगा प्रथम प्रश्न है पूर्णिया जिले में कितने विधानसभा हैं वर्तमान 2022 में जो विधानसभा हैं वह है प्रथम पूर्णिया सदर द्वितीय है बनबनखी एवं तृतीय है रुपौली एवं चतुर्थ है धमदाहा एवं पंचम है बायसी एवं छठा है हमारा गृह विधानसभा अमोर हमारा देश भारत 1947 में जब आजाद हुआ फिर बिहार राज्य का स्थापना हुआ जिसमें झारखंड एवं उड़ीसा सम्मिलित था अभी से दो और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी का राज था जो अब तक कायम है प्रथम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दूसरा भारतीय जनता पार्टी अभी लगभग 15 वर्षों से लगातार इनको एक विशेष हिंदू संगठन आरएसएस द्वारा पूर्ण समर्थन के साथ साथ आर्थिक मदद के तौर पर इस राष्ट्रीय को पूर्ण रूप से मजबूत कर चुका है वर्तमान में भी इसका समर्थन में r.s.s. खड़ा है पूरे देश में लगभग वर्तमान के अनुसार 29 राज्यों में से सभी राज्यों के रीजनल पार्टियों के गठबंधन के कारण राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पार्टियों को लेकर इसे 2 नाम दे दिया गया है प्रथम एनडीए एवं द्वितीय यूपी ए लेकिन एक बात है जिस पर हम सभी अमोर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक नागरिकों को समझना चाहिए बिहार में प्रथम बार भी जब एनडीए की सरकार आई जिसमें भाजपा और जदयू के गठबंधन से सरकार बना था जिस समय प्रथम बाढ़ माननीय विकास पुरुष श्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद का शपथ लिए थे तभी से लगातार वह मुख्यमंत्री बनते बनते अब वह छठी बार मुख्यमंत्री का शपथ लिए हैं तो उसके कार्यकाल के दौरान अब तक शुरू से लेकर अब तक पूर्णिया जिला के 2 विधानसभा को उन्होंने हमेशा ऊंचा दर्जा दिया है इसका क्या कारण है यह मुझे उनके पार्टी के वरिष्ठ नेता या सोए माननीय मुख्यमंत्री जी ही बता सकते हैं प्रथम विधानसभा है रूपौली एवं द्वितीय विधानसभा है धमदाहा जहां लगातार जब भी वह सरकार बनाते हैं तो अपनी मंत्रिमंडल में यह दोनों विधानसभा के चुने जाने वाले माननीय विधानसभा सदस्य विशेष तौर पर जब से महिला है रुपौली की माननीय विधायका श्रीमती बीमा भारती जो हम लोगों के अनुसार मंत्री का पात्रता एवं क्षमता या शैक्षणिक योग्यता या अनुभव नहीं रखती है तब पर भी नीतीश सरकार में उन्हें दो बार मंत्री बनाया गया है इस बार धंधा विधायिका श्रीमती लेसी सिंह के कारण उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया इसका विशेष कारण यह है कि धमदाहा की मान्य विधायका श्रीमती लेसी सिंह जो लगातार हर नीतीश कुमार के सरकार में मंत्री मंडल में सम्मिलित होकर मंत्री बनती है उनका माननीय मुख्यमंत्री से बहुत घनिष्ठ संबंध है जिसके कारण वह हमेशा मंत्री बनती है उसके बाद अगर हम आए इतिहास के अनुसार पूर्णिया जिला का बनमनखी विधानसभा है जहां नीतीश सरकार में मंत्री बनाया गया है एवं शेष बचा हुआ विधानसभा कस्बा है जहां प्रथम बार आरजेडी एवं जदयू के गठबंधन पर महागठबंधन का सरकार बनने पर कस्बा विधानसभा के माननीय विधायक जनाब आफाक आलम साहब को पशु मत्स्य पशुपालन विभाग का माननीय मंत्री बनाया गया है पूर्णिया सदर विधानसभा में पिछले कई वर्षों से अब तक कोई भी मंत्री नहीं बनाया गया है इसमें विशेष तौर पर इस जिले में जो सबसे तीसरा विधानसभा है अमौर जो शैक्षणिक रूप से एवं आर्थिक रूप से एवं स्वास्थ्य संबंधी मामले से साथ साथ इस विधानसभा से कई प्रकार की राष्ट्रीय नदी बहती है जो लगातार कई प्रकार के आपदा एवं विशेष तौर पर सैलाब के कारण यहां हमेशा प्रत्येक प्रकार का रास्ता पुल पुलिया एवं अन्य कई प्रकार का सामग्री घर भवन फसल पूर्ण रूप से क्षति होता रहा है और हो भी रहा है और मैं आपको बता दूं पूर्णिया जिला का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला एवं अशिक्षित एवं आर्थिक रूप से कमजोर मैं से पूर्णिया जिला में सबसे निचला स्थान हमारे अमौर विधानसभा का है आजादी से लेकर आज तक सरकार ने इस विधानसभा में हमेशा सोतेला पन का व्यवहार किया है राजनीतिक पार्टियों का पॉलिटिक्स एवं प्रत्याशी के कारण उसका जिम्मेवार मानिए या फिर उसका जिम्मेवार प्रत्यक्ष रूप से सरकार को मानिए या फिर इसका जिम्मेवार पूरे विधानसभा के आम जनता गन को मानये इस विधानसभा में बिहार राज्य विधानसभा का स्थापित होने से लेकर अब तक मात्र एक बार 18 महीने के लिए बने महागठबंधन की सरकार में हमारे अमोर के राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के बहुत पुराने अनुभवी एवं वरिष्ठ नेता जो कई बार लगातार विधानसभा चुनाव जीते हुए आए हैं जनाब जलील मस्तान साहब जब महागठबंधन की सरकार बना तो कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक होने के नाते भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली द्वारा आदेश देने पर बिहार कांग्रेस द्वारा महागठबंधन का मंत्रिमंडल में माननीय मुख्यमंत्री जी को श्री मस्तान को मंत्री बनाने का निर्देश दिया गया जिसके कारण माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में श्री मस्तान को मध निषेध एवं उत्पाद विभाग का माननीय मंत्री बनाया गया जो केवल 18 माह का कार्यकाल रहा उसके बाद या उससे पहले इस विधानसभा में कभी भी कैबिनेट मंत्री या केंद्र मंत्री और राज्यमंत्री अब तक इतिहास में नहीं बना है केवल इस बार पूर्ण रूप से माननीय मुख्यमंत्री द्वारा किया गया वादा से हम लोग किए मान सकते थे और ऐसा वास्तव में होता भी क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कहा गया था कि अगर अमौर विधानसभा से इस बार जदयू प्रत्याशी जनाब श्री सभा जफर साहब जिसके मरहूम वालिद साहब जनाब हाजी मुजफ्फर हुसैन साहब पूर्व में वह भी विधायक रह चुके हैं उनके पुत्र जनाब सभा जफर साहब हैं जो एक बार उपचुनाव में माननीय विधायक बने एवं दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपने अमोर विधानसभा से माननीय विधायक बने उपचुनाव के बाद इस बार माननीय विधायक बनने के तुरंत बाद अपने 5 वर्ष का कार्यकाल में उन्होंने जीव जो भी किया पूरे विधानसभा में वह अब तक का सबसे अधिक कार्य है अमोर विधानसभा के इतिहास में अब तक जो भी विधायक रहा उनके तुलना में हां अब तो इस बार अगर वह जदयू प्रत्याशी के रूप में माननीय विधायक बन जाते मोर विधानसभा का तो माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया वह वादा के अनुसार उन्हें बिहार सरकार के नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बिहार सरकार में बनाया जाना निश्चित था पर अचानक विधानसभा चुनाव में एक ऐसा आंधी चली जो यह संभव नहीं हो सका और वर्तमान में हमारे ए एम आई एम के प्रदेश अध्यक्ष एवं माननीय विधायक अमोर विधानसभा जनाब अख्तरुल इमाम साहब यह भी एक शिक्षित वरिष्ठ एवं अनुभवी विधायक रहे हैं जो किशनगंज जिले के कोचाधामन से दो बार माननीय विधायक बने हैं जिसे माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना जदयू पार्टी का किशनगंज लोकसभा से माननीय सांसद का प्रत्याशी बनाया था उस समय नीतीश कुमार भाजपा के गठबंधन में थे तो उन्होंने अचानक अपना प्रत्याशी बनने वाला याचिका वापस ले लिया जिससे माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार एवं जदयू पार्टी को उनके प्रति बहुत बड़ा झटका लगा फिर वह अपनी राजनीति ए आई एम आई एम जो विशेष तौर पर हैदराबाद एवं तेलंगाना का रीजनल पार्टी के रूप में प्रख्यात है और वर्तमान में लगातार हिंदुस्तान के हर राज्य में विधानसभा चुनाव में कोशिश करता जा रहा है तो उनका वह दामन थाम के माननीय सांसद एवं आई एम आई एम के संस्थापक एवं अध्यक्ष जनाब बालूस्टर असदुद्दीन साहब के शरण में आकर इस बार वह सीमांचल में बहुत बड़ा ऐतिहासिक जीत हासिल किया जिससे असदुद्दीन साहब ने उन्हें एम आई एम पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बना दिया हालांकि यह प्रदेश अध्यक्ष का पद उन्हें पूर्व में ही दिया जा चुका था इस बार विधानसभा में उन्होंने अपने बलबूते अलग से आकर अलग विधानसभा से आकर हम जैसे राजनीति का चक्रव्यूह वाला विधानसभा में माननीय विधायक बने जो किसी चैलेंज को चुनौती देना से कम नहीं है इतना ही नहीं बल्कि अपने दम पर उन्होंने खुद को लगाकर 5 विधानसभा सीट जीता और अपने पार्टी को एकत्रित करके चल रहा था अचानक भारतीय जनता पार्टी द्वारा ओरिजिनल पार्टी को खत्म करने की बात को लेकर माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक एवं संचालक भी हैं उनकी पार्टी भी ओरिजिनल पार्टी है और इस बार नीतीश कुमार अपना जदयू पार्टी से भाजपा के तुलना में कम विधानसभा सीट जीता था इसके लिए भाजपा लगातार अपना मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास में था और एवं नीतीश कुमार हमेशा एक कदम आगे सोचते हैं ऐसे में भाजपा से भी पूर्व उन्होंने यह सोच लिया कि हम एनडीए को छोड़ देंगे और फिर से महागठबंधन में चले जाएंगे इसी दौरान ए एम आई एम के चार विधायक को माननीय विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष जनाब अतुल इमान से बिना पूछे चुपचाप एम आई एम पार्टी के चार विधायक राष्ट्रीय जनता दल में सम्मिलित हो गए जिसमें माननीय विधायक जोकि हॉट के शाहनवाज आलम साहब हैं जिन्हें महा गठबंधन सरकार में मंत्री भी बनाया गया है तो ऐसे में एआईएमआईएम का कहना है कि इस बार हम 5 सीट जीते थे हमारे साथ धोखा हुआ तो अगला बार हम एक 100 सीट में लड़ेंगे और कम से कम 80 सीट में जीत हासिल करेंगे जो हर एक क्षेत्रीय पार्टी या राष्ट्रीय पार्टी का हमेशा अपना सपना होता है हालांकि यह साकार होगा या नहीं यह कहना अभी मुश्किल है एवं मैं कुलिहैया न्यूज़, कामयाबी का रास्ता द्वारा पूछा गया सभी प्रश्नों का उत्तर में पूर्ण रूप से जानता हूं और मैं इनका जवाब अभी दे भी सकता हूं परंतु वर्तमान समय में मेरे पास समय की बहुत कमी होने के कारण मैं अन्य प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकता हूं अगर किसी को लगे कि मैं उत्तर नहीं दे सकता हूं तो फ्री टाइम में मुझसे मिलाया मुझे कॉल करें आप सीमांचल का हो या राज्य का हो या राष्ट्रीय स्तर का पूरे देश का हो या सोशल वेलफेयर से संबंधित हो किसी भी प्रकार का पोलिटिकल क्वेश्चन हो आप मुझे मिल कर पूछ सकते हैं अंडर 10 सेकंड में प्रति प्रश्न का मैं जवाब दूंगा खुदा हाफिज