व्हाट इस इकोनॉमिक्स इन हिंदी जैसे शब्दों को आप ने इंटरनेट पर कई बार सर्च किया होगा। लेकिन आज भी महसूस कर रहे हैं कि हमारा ज्ञान Economics में इनकंप्लीट है।
बिल गेट्स ने एक बार कहा था कि किसी विषय का ज्ञान आपको अगर संपन्न बना सकता है। जबकि इकोनॉमिक्स का ज्ञान आपको सर्व संपन्न बना सकता है।
इस लेख को अर्थशास्त्र नोट्स के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस लेख को आखिर तक ध्यान से पढ़ें।
Economics क्या है? सबसे पहले यह समझना आवश्यक है
अगर आसान शब्दों में कहा जाए तो ‘’ धन के अध्ययन ‘’को अर्थशास्त्र कहा जाता है। अर्थशास्त्र शब्द का उदय संस्कृत से हुआ है। यह शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों के मिलन से हुआ है।
Economics in hindi: अर्थ + शास्त्र = अर्थशास्त्र। अर्थ का मीनिंग धन होता है। शास्त्र का मीनिंग क्रमबद्ध ज्ञान करना होता है। जिसे आमतौर पर लोग इसे अध्ययन कहते हैं।
अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
अर्थशास्त्र की परिभाषा – सामाजिक विज्ञान का एक शाखा है, जिसमें वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन से लेकर विनिमय, वितरण एवं उपभोग का अध्ययन को अर्थ-शास्त्र कहते हैं।
वस्तु और सेवा को समझे बिना अर्थशास्त्र की ज्ञान को अधूरा माना जाता है। इससे संबंधित कई शब्द है जिसे आप को समझना अति आवश्यक है। अर्थशास्त्र के विद्वानों के द्वारा दिया गया परिभाषा आगे वर्णन किया गया है।
अर्थशास्त्र में वस्तु और सेवा – क्या होता है?
अर्थशास्त्र में वस्तु को माल भी कहा जाता है, जो इंसान की जरूरत को पूरा करता है। इसे बेचने पर धन की प्राप्त हों। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उत्पाद जैसे खाने का सामान को वस्तु माना गया है। जबकि हवा को वस्तु नहीं माना जाता है।
क्योंकि हवा को ना तो खरीदा और बेचा जा सकता है। जबकि मनुष्य की जरूरत को पूरा करता है। अगर किसी भी पद्धति से हवा को खरीदा और बेचा जाए तो हवा भी अर्थशास्त्र में वस्तु कहा जा सकता है।
अर्थशास्त्र में सेवा को, Service भी कहा जाता है। कोई भी मनुष्य या संस्था किसी दूसरे को कोई भी सेवा उपलब्ध करा कर के, उस से धन की प्राप्ति करता है तो उसे सेवा कहते हैं। जैसे JIO आपको नेटवर्क का सेवा प्रदान करता है। उसके बदले आप से धन की प्राप्त करता है।
अर्थशास्त्र में, विनिमय का मतलब क्या होता है?
किसी भी वस्तु एवं सेवा को खरीदने में हम जो धन देते (क्रय विनिमय) हैं। या किसी भी वस्तु या सेवा को बेचने पर हमें जो धन की प्राप्त (विक्रय विनिमय) होता है, उसे विनिमय कहते हैं।
इकोनॉमिक्स में, वितरण का अर्थ होता है?
किसी भी वस्तुओं एवं सेवाओं को ज्यादा मुनाफे के लिए लोगों के बीच में बांटना, उसे अर्थव्यवस्था में वितरण कहा जाता है।
अर्थशास्त्र में, उपभोग का अर्थ होता है?
जिसमें कोई भी उपभोक्ता अपने संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं उपयोग करता है। उसके बदले वह धन चुकाता है उस क्रिया को उपभोग कहा जाता है।
उपभोक्ता केसे कहते हैं?
कोई व्यक्ति या संस्था वस्तु एवं सेवा का उपयोग करने हेतु धन चुकता हो, उसे उपभोक्ता कहते हैं। कहां जाता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि भारत में सबसे ज्यादा उपभोक्ता है, जो वस्तु और सेवा लेने के लिए धन देता है।
अर्थशास्त्र के जनक कौन थे?
अर्थशास्त्र के जनक के तौर पर दुनिया में सबसे ज्यादा एडम स्मिथ प्रसिद्ध है। एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता भी कहते हैं। लेकिन अर्थशास्त्र का जन्म भारत में 2,300 वर्ष पूर्व में हुआ था।
अर्थशास्त्र के प्रथम पुस्तक का नाम अर्थशास्त्र है। जो आचार्य कौटिल्य के द्वारा रचित है। आचार्य कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे और उसका प्रसिद्ध नाम चाणक्य है।
एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना था। जबकि चाणक्य ने पृथ्वी को प्राप्त करने एवं उसकी रक्षा करने के उपायों के अध्ययन को अर्थशास्त्र माना था।
एडम स्मिथ का जन्म 5 जून 1723 में हुआ था, वे महान स्कॉटिश अर्थशास्त्री थे। प्रमुख रचनाएं –
- थिअरी ऑफ मोरल सेंटिमेन्ट्स
- ऐन इन्क्वायरी इन्टू द नेचर ऐण्ड काजेज ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशन्स।
भारत के सबसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के नाम निम्नलिखित हैं
- दादाभाई नौरोजी
- महादेव गोविंद रानाडे
- रमेशचंद्र दत्त
- महात्मा गांधी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- विश्वेश्वरैया
- बाबा साहेब अम्बेडकर
- मनमोहन सिंह
- अमर्त्य सेन
- नरेन्द्र जाधव।
मौजूदा समय, अर्थशास्त्र के कितने प्रकार होते हैं?
रेगनर फ्र्रिश ने 1933 में अर्थशास्त्र दो भागों में विभाजित किया था –
- व्यष्टि अर्थशास्त्र – Micro Economics
- समष्टि अर्थशास्त्र – Macro Economics
Difference between Micro Economics and Macro Economics in Hindi
व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics) – ग्रीक उपसर्ग Micro का अर्थ “छोटे” से है जिसमें व्यक्तियों और कंपनियों के बीच के संसाधनों के आवंटन और व्यवहार का अध्ययन होता है।
इस अर्थशास्त्र में सीमांत विश्लेषण ज्यादा होता है जो एकल कारकों और व्यक्तिगत निर्णयों के प्रभाव से संबंधित अर्थशास्त्र को व्यष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं ।
उदाहरण के तौर पर, जैसे
- व्यक्ति
- परिवार
- फर्म
- उद्योग
- विशेष वस्तु का मूल्य
- मजदूरियों
- आयों
- वैयक्तिक उद्योगों, आदि।
समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics) – ग्रीक उपसर्ग Macro का अर्थ ‘’ बड़ा’’ से है जिसमें संपूर्ण अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, संरचना, व्यवहार और निर्णय लेने से संबंधित है। इसमें क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था शामिल हैं।
उदाहरण के तौर पर, जैसे
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार
- विदेशी विनिमय
- राजस्व
- बैकिंग
- व्यापार चक्र
- राष्ट्रीय आय
- रोजगार के सिद्धांत,
- आर्थिक नियोजन
- ब्याज दर
- राष्ट्रीय उत्पादकता
- आर्थिक विकास, आदि।
कुछ नए अर्थशास्त्र के शाखाओं के बारे में आपको जरूर जान लेना चाहिए
- पूंजी का अर्थशास्त्र
- पूँजी निर्माण
- श्रम अर्थशास्त्र
- यातायात का अर्थशास्त्र
- मौद्रिक अर्थशास्त्र
- केंसीय अर्थशास्त्र
- अल्प विकसित देशों का अर्थशास्त्र
- विकास का अर्थशास्त्र
- तुलनात्म्क अर्थशास्त्र
- अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र आदि।
आखिर में जानिए, What is Economic Systems In Hindi
Economic Systems को हिंदी में आर्थिक प्रणाली कहते हैं। दुनिया के हर दिन अलग-अलग तरह के आर्थिक प्रणाली को अपनाते हैं।
इस देश के नागरिक आर्थिक प्रणाली के अनुसार विभिन्न व्यवसायों में काम करके अपनी जीविका चलाते हैं। आर्थिक प्रणालियों को मुख्यतः तीन प्रणालियों में बांटा गया है –
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)
- समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialistic Economy)
- मिश्रित अर्थ व्यवस्था (Mixed Economy)।
पूंजीवाद (Capitalism Economy) उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी हाथों में स्वामित्व होता है।
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यवस्था एक व्यक्ति या समूह को अपने आर्थिक नियोजन का स्वतंत्र अधिकार प्राप्त हो जाता है । जो अमीरों के लिए अच्छा होता है लेकिन गरीबों के लिए खराब माना जाता है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialistic Economy) उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर समाज का नियन्त्रण होता है।
सरकारों और सरकार द्वारा नियुक्त योजना समितियों के द्वारा अर्थव्यवस्था के निर्णय लिये जाते हैं।
महात्मा गांधी जी समाजवादी अर्थव्यवस्था को भारतवर्ष में देखना चाहते थे । गांधी जी पूंजीवादी औद्योगीकरण के विरोध करते थे।
वे मानते थे कि आर्थिक असमानता, अमीरों का गरीबों पर शोषण, बेरोज़गारी, राजनीतिक तानाशाही आदि का कारण पूँजीवादी अर्थव्यवस्था है ।
मिश्रित अर्थ व्यवस्था (Mixed Economy) उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर समाज और निजी हाथों में स्वामित्व होता है। सार्वजनिक स्वामित्व तथा निजी स्वामित्व का मिश्रण को भारत में देख सकते हैं।
समाजवाद और पूंजीवाद का मिश्रण को ही मिश्रित अर्थ व्यवस्था कहते हैं। दुनिया के कई बड़े अर्थशास्त्री मानते हैं कि समाजवाद और पूंजीवाद का मिश्रण वास्तव में मुमकिन नहीं है।
अर्थ व्यवस्था का उद्देश्यों आसान भाषा में समझिए
और बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो इस उदाहरण को बड़े ध्यान से पढ़िए। आर्थिक जगत के विभिन्न एजेंटों व इकाइयों का उद्देश्य अलग-अलग होते हैं लेकिन एक बात कॉमन है ।
धन का प्रवाह अपनी तरफ करने और इकट्ठा करके, अपने आप को ज्यादा बेहतर बनाने की प्रतिस्पर्धा हमेशा लगा रहता है ।
सरकार
सरकार, उपभोक्ताओं के द्वारा निर्वाचित जन-प्रतिनिधि होता है। जो अपने जनता को कुछ सेवाएं फ्री देता है लेकिन उसके बदले टेक्स्ट के रूप में काफी पैसे वसूल करता है।
दुनिया के हर देश के सरकार अपने जनता से पैसा कमाना चाहती है। उस पैसे का उपयोग समाज के सबसे कमजोर लोगों बीकेच में करना पसंद करता है।
लोकतांत्रिक देशों में ज्यादा टैक्स वसूली कर के सरकारी खज़ाने को भरा जाता है। सरकारी खज़ाने के धन को समाज के निम्न वर्ग के लोगों के विकास पर खर्च करती है ताकि वह निम्न वर्ग भी उच्च वर्ग में बदल जाए। सरकार का अर्थव्यवस्था समाज के उच्च वर्ग पर ही निर्भर करता है।
मालिक / उद्योगपति
उद्योगपति अपने वस्तु एवं सेवा की लागत को कम करना चाहते हैं। उसके लिए मशीनों का ज्यादा उपयोग एवं सस्ता नौकर को काम पर लगाते हैं। ताकि मुनाफा ज्यादा हो। इसमें लोकतांत्रिक सरकार भी उद्योगपतियों को मदद करता है ताकि मुनाफे ज्यादा होने से उसे ज्यादा टैक्स मिले।
जबकि सरकार का हमेशा कहना होता है कि उद्योग लगने से लोगों को नौकरी मिलती है। जबकि सच्चाई यह भी है कि सरकार को उससे इनकम टैक्स एवं अन्य टेक्स भी प्राप्त होता है।
उद्योग से फायदा सबसे ज्यादा उसके मालिक को होता है उसके बाद सरकार को और सब से कम वहां पर काम करने वाले को, लेकिन फायदा तीनों को होता है।
उपभोक्ता
जब उपभोक्ता कोई सेवा एवं वस्तु को मार्केट से लेना चाहता है तो उसके पास कई ऑफर होते हैं। उपभोक्ताओं के पास फैसला लेने की बेबसी होती है। क्योंकि उसे अर्थशास्त्र को इतना ज्ञान नहीं होता जितना की सेवा या वस्तु को जो मार्केट में बेचते हैं।
उपभोक्ता कम से कम धन को खर्च कर के सेवा या उत्पाद खरीदना चाहता है। जबकि सेवा या उत्पाद बेचने वाले अपने उपभोक्ताओं को लंबे समय तक अपना ग्राहक बना कर रखना पसंद करता है।
सेवा देने वाले धीरे-धीरे उससे धन निकालना पसंद करते हैं। जबकि उत्पाद बेचने वाले एक साथ सारे धन की उगाही करता है।
अर्थव्यवस्था के ज्ञान से सब को फायदा होता है?
मोदी सरकार का जनधन अकाउंट यह एक बहुत अच्छा उदाहरण है इस को बारीकी से समझिए।
India के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का रुपया घर के किसी कोने में पड़ा होता था। मोदी सरकार ने एक ऐसा योजना लाया जिसमें सभी ग्रामीण भारतीयों का अकाउंट खोला गया। ग्रामीणों ने काफी पैसे को बैंक अकाउंट में डाल दिया।
ग्रामीणों को फायदा
लगभग 4% का ब्याज दर मिलना शुरू हो गया जो कि उसे घर पर रखने पर नहीं मिल रहा था।
- उसका रुपया पहले से ज्यादा सुरक्षित हो गया।
- ग्रामीणों के लिए ज्यादा लोन की राशि उपलब्ध हो गया।
बैंक को फायदा
बैंक अपने ग्राहक को 4 परसेंट ब्याज दे रही होती है, तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लोन की राशि जब किसी दूसरे ग्राहक को देता है उस से 16 से 18% का ब्याज दर वसूल करता है। यानी कि बैंकों को 12 से 14% का मुनाफा होना शुरू हो गया।
सरकार को फायदा
बैंक या पब्लिक अमीर होता है तो इसका मतलब यह हुआ कि सरकार भी अमीर हो रहा है उसे पहले से ज्यादा टैक्स मिलेगा।
Conclusion Point
सारांश – अर्थ + शास्त्र = अर्थशास्त्र। अर्थ का मीनिंग धन होता है। शास्त्र का मीनिंग क्रमबद्ध ज्ञान करना होता है। जिसे आमतौर पर लोग इसे अध्ययन कहते हैं।
दोस्तों इकोनॉमिक्स का ज्ञान यही है कि बेजान रुपयों (घर पर रखा रुपया) मोदी सरकार ने जान डाल दिया अब वह रुपया और रुपया कमा रहा है। जिसमें पब्लिक एवं बैंक के साथ सरकार का भी विकास हो रहा है।
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत का अध्ययन करता है। यह इस बात से संबंधित है कि कैसे व्यक्ति, व्यवसाय, सरकारें और अन्य संगठन अपनी जरूरतों और चाहतों को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का आवंटन करते हैं।
इसके मूल में, economics यह समझने की कोशिश करता है कि लोग किस तरह से अभाव की स्थिति में निर्णय लेते हैं।
अर्थशास्त्र का अर्थ प्राचीन काल में देखा जा सकता है जब समाजों ने सबसे पहले वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार शुरू किया था। समय के साथ, अर्थशास्त्रियों ने इन जटिल अंतःक्रियाओं को समझाने के लिए विभिन्न सिद्धांत और मॉडल विकसित किए हैं।
आज, अर्थशास्त्र एक अत्यधिक विविध क्षेत्र है जो व्यक्तिगत स्तर पर सूक्ष्म आर्थिक विश्लेषण से लेकर राष्ट्रीय या वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक विश्लेषण तक सब कुछ शामिल करता है।
FAQs
1. Economics क्या है?
अर्थशास्त्र एक Social Science है जो अध्ययन करता है कि कैसे व्यक्ति, व्यवसाय और सरकारें असीमित जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधनों के आवंटन के संबंध में विकल्प चुनते हैं।
2. Economics Ka अर्थ क्या है?
आर्थिक अर्थ समाज के उत्पादन, उपभोग और वस्तुओं और सेवाओं के वितरण के संबंध में विभिन्न आर्थिक अवधारणाओं, सिद्धांतों और सिद्धांतों के महत्व या व्याख्या को संदर्भित करता है।
3. Economics की परिभाषा क्या है?
अर्थशास्त्र की परिभाषा परिप्रेक्ष्य के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आम तौर पर इस अध्ययन को संदर्भित करती है कि समाज मूल्यवान वस्तुओं का उत्पादन करने और उन्हें विभिन्न व्यक्तियों या समूहों के बीच वितरित करने के लिए दुर्लभ संसाधनों का प्रबंधन कैसे करते हैं।
4. Arthashastra की अवधारणा क्या है?
अर्थशास्त्र की अवधारणा यह समझने के इर्द-गिर्द घूमती है कि कैसे व्यक्ति और समाज अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सीमित संसाधनों के आधार पर तर्कसंगत निर्णय लेते हैं। इसमें आपूर्ति और मांग, बाजार ताकतों, उत्पादन, उपभोग और धन वितरण का विश्लेषण शामिल है।
5. Arthashastra का मतलब क्या है? (हिन्दी में आर्थिक का क्या अर्थ होता है?)
इकोनॉमिक का हिंदी में अनुवाद अर्थिक होता है। इस क्षेत्र के संदर्भ में, अर्थिक मानवीय आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों के उत्पादन, उपयोग, वितरण या प्रबंधन से संबंधित किसी भी चीज़ का प्रतीक है।
6. अर्थशास्त्र की मूल अवधारणाएँ क्या हैं?
अर्थशास्त्र में कुछ मूलभूत अवधारणाओं में कमी (सीमित संसाधन), अवसर लागत (एक विकल्प को दूसरे पर चुनने पर छोड़ा गया मूल्य), आपूर्ति और मांग (उत्पादकों की पेशकश और उपभोक्ताओं की इच्छाओं के बीच संबंध), मुद्रास्फीति (कीमतों में सामान्य वृद्धि) शामिल हैं।), और प्रतिस्पर्धा (ग्राहकों के लिए विक्रेताओं के बीच प्रतिद्वंद्विता)।
7. अर्थशास्त्र समाज को कैसे प्रभावित करता है?
Economic रोजगार दर, आय असमानता स्तर, सरकारी नीतियों, व्यापार चक्र (तेजी और मंदी), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पैटर्न, गरीबी उन्मूलन रणनीतियों, पर्यावरणीय स्थिरता प्रयासों और जीवन स्तर के समग्र मानकों जैसे विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करके समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
8. अर्थशास्त्र का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यक्तियों को जटिल आर्थिक घटनाओं को समझने और व्याख्या करने के लिए मूल्यवान विश्लेषणात्मक कौशल और ज्ञान प्रदान करता है।
यह उन्हें personal finance , व्यवसाय संचालन, सार्वजनिक नीति और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में सूचित निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाता है। इसके अतिरिक्त, अर्थशास्त्र व्यक्तियों को समाज के भीतर परस्पर निर्भरता को समझने में मदद करता है और समुदायों की समग्र बेहतरी में योगदान देता है।