व्याकरण क्या है? बताने से पहले, आप को भाषा एवं लिपि से परिचित करना चाहता हूं। भाषा की शुद्धता के लिए व्याकरण एवं लिपि का ज्ञान अति आवश्यक है। कृपया इस आर्टिकल को Conclusion Points तक पढ़ें।
यदि आप हिंदी भाषा को प्रभावी ढंग से सीखना और संवाद करना चाहते हैं तो हिंदी व्याकरण के महत्व पर पर्याप्त समय देना होगा।
यह आपको सार्थक वाक्य बनाने, शब्दों की संरचना को समझने और अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में मदद करता है। हिंदी व्याकरण जानने से न केवल आपके संचार कौशल में सुधार होगा बल्कि भारतीय संस्कृति के बारे में आपकी समझ भी बढ़ेगी।
आखिरकार भाषा क्या होता है?
भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की ‘’भाष’’ धातु से हुआ है तथा इस का अर्थ वाणी है। भाषा के माध्यम से मनुष्य अपने भाव तथा विचार व्यक्त करते हैं।
सामाजिक जीवन में मनुष्यों के बीच भाव एवं विचारों के पारस्परिक आदान-प्रदान का एक सार्थक माध्यम भाषा है। वेन्द्रे के अनुसार, भाषा मनुष्यों के बीच संचार व व्यवहार के माध्यम के रूप में एक व्यवस्था है।
लिपि क्या है?
एक मनुष्य, दूसरे मनुष्य तक विचारों के आदान-प्रदान के लिए वाणी का उपयोग करता है जो एक ध्वनि के रूप में होता है। लेकिन दूर बैठे व्यक्ति वाणी के ध्वनि को सुन नहीं सकता है।
इन्हीं ध्वनियों को चिह्नों द्वारा दूर बैठे व्यक्ति तक भेजा जाता हो या स्थाई ध्वनि बनाया जाता हो, इन्हीं ध्वनियों के चिह्नों को लिपि कहते हैं।
हर भाषा की तरह हिन्दी भाषा का भी लिपि है, अर्थात हिंदी भाषा की वर्णमाला जिस लिपि में लिखी जाती है उसका नाम ‘’देवनागरी’’ लिपि है।
Vyakaran Ki Paribhasha Kiya Hota Hai?
व्याकरण की परिभाषा – व्याकरण वह विद्या है जो हमें हिंदी भाषा को शुद्ध बोलना, पढ़ना एवं लिखना सीखता हो, उसे व्याकरण कहते हैं।
दूसरा परिभाषा – व्याकरण भाषा की वह शाखा है जिसमें भाषा के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण एवं विवेचन करना सिखाता हो उसे व्याकरण कहते हैं।
व्याकरण के कितने अंग हैं?
ध्वनियों के चिह्नों से शब्द बनता है। शब्दों के मेल से वाक्य बनते हैं। इसके आधार पर व्याकरण के अंग बनते हैं। हिंदी व्याकरण के कुल 3 अंग हैं। जो निम्नलिखित है। Vyakaran ke kitne ang hote hain?
- वर्ण-विचार
- शब्द-विचार
- वाक्य विचार
पहला अंग – वर्ण-विचार क्या होता है?
वर्ण को अक्षय भी कहते हैं जो अखंड मूल ध्वनि होता है तथा वह किसी शब्द का खंड हो सकता है। प्रत्येक वर्ण की ध्वनि अपना एक विशेष आकार रखती है जिसे वर्ण कहते हैं। हिंदी भाषा में वर्णमाला की संख्या 52 है (More Details) ।
स्वर – 11
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
व्यंजन – 33
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह।
संयुक्त व्यंजन – 4
क्ष त्र ज्ञ श्र।
अनुस्वार या चंद्रबिंदु – 1
(ं) या (ँ)।
विसर्ग – 1
(:)।
द्विगुण व्यंजन – 2
ड़ ढ़।
कुल वर्णों की संख्या
- स्वर – 11
- व्यंजन – 33
- संयुक्त व्यंजन – 4
- अनुस्वार या चंद्रबिंदु – 1
- विसर्ग – 1
- द्विगुण व्यंजन – 2
- कुल – 52।
दूसरा अंग – शब्द-विचार क्या होता है?
अक्षरों से निर्मित सार्थक एवं स्वतंत्र ध्वनि को शब्द कहते हैं। मैं हिंदी व्याकरण का लेख पढ़ रहा हूं, यह वाक्य 8 शब्दों के मेल से बना है। हिंदी भाषा में दो लाख से अधिक शब्द हैं।
शब्द के दो भेद होते हैं, जिन शब्द का अर्थ होता है उसे सार्थक शब्द कहते हैं। जबकि जिस शब्द का कोई अर्थ नहीं होता है उसे निरर्थक शब्द कहते हैं। बनावट के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं, रूढ़, यौगिक तथा योगरूढ़।
प्रयोग के आधार पर शब्द के आठ भेद होते हैं – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक तथा विस्मयादि बोधक।
तीसरा अंग – वाक्य विचार क्या होता है?
शब्दों के मेल से वाक्य बनता है जो मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। साधारण वाक्य वह वाक्य है जो एक प्रधान क्रिया रखता हो। संसृष्ट वाक्य, इस वाक्य को कहा जाता है जो अर्थ के लिए एक दूसरे पर आश्रित नहीं होते हैं।
- तीसरा भेद – एक मिश्रित वाक्य वह है जो एक प्रधान उपवाक्य तथा एक अथवा अथवा आश्रित उपवाक्य रखता हो।
- साधारण वाक्य – मैं यहां आया तथा बीमार पड़ गया।
- संसृष्ट वाक्य – पुलिस के हवाले कर दूं।
- मिश्रित वाक्य – तब डाकू ने डाका डालने की योजनाा तैयार कर ली।
हिंदी व्याकरण का ज्ञान कितना आवश्यक है?
हिंदी व्याकरण का महत्व सिर्फ परीक्षाओं की तक सीमित नहीं है। दैनिक जीवन में वाणी एवं लेखन में भी उतना ही व्याकरण का महत्व है। नीचे दिए गए दोनों बातों को ध्यानपूर्वक पढ़िए। अपने व्याकरण के ज्ञान को चेक कीजिए।
सबसे नमस्ते
सब को नमस्ते।
क्या आप इन दोनों वाक्य से अशुद्धियाँ निकाल सकते हैं? आपको लगता होगा दोनों ही वाक्य ठीक ही हैं। इसमें पहला वाक्य गलत है। अब आपको हिन्दी का महत्व थोड़ा पता चल गया होगा।
हिंदी व्याकरण: मूल बातें – हिंदी व्याकरण कुछ हद तक अंग्रेजी व्याकरण के समान है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। हिंदी में संज्ञाओं का एक लिंग होता है, जो या तो पुल्लिंग होता है या स्त्रीलिंग।
इसके अलावा, क्रिया का रूप इस बात पर निर्भर करता है कि विषय पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग। प्रत्येक क्रिया के तीन रूप भी होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्रिया का उपयोग वर्तमान काल, भूत काल या भविष्य काल में किया गया है या नहीं। |
Conclusion Points
व्याकरण की परिभाषा मूल स्वरूप यह है। व्याकरण वह विद्या या ज्ञान है जो हमें हिन्दी भाषा को शुद्ध बोलना, पढ़ना तथा लिखना सीखता हो, उसे व्याकरण कहते हैं।
हिंदी व्याकरण के मुख्य तौर पर तीन अंग होते हैं जिनके नाम वर्ण-विचार, शब्द-विचार तथा वाक्य विचार है।
Hindi Grammar सीखना गैर-देशी वक्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इसमें क्रिया संयुग्मन, संज्ञा गिरावट, विशेषण समझौते और वाक्य निर्माण नियमों की एक जटिल प्रणाली है।
हालाँकि, एक बार जब आप इन अवधारणाओं को समझ जाते हैं, तो हिंदी में आपकी प्रवीणता में काफी वृद्धि होगी। आप सिंटैक्स एरर या शब्दावली का दुरुपयोग किए बिना लिखित ग्रंथों को समझने और अपने आप को धाराप्रवाह व्यक्त करने में सक्षम होंगे।
इसके अलावा, हिंदी व्याकरण का ज्ञान आपको उन सामान्य गलतियों से बचने में मदद कर सकता है जो गलत उपयोग या खराब समझ के कारण हो सकती हैं।
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