अक्सर लोग यह पूछते हैं कि शबे बरात के लिए रोजा कब रखे हैं? आप लोगों के द्वारा गूगल पर 2024 Shab e Barat Ka Roze Kab Rakhe यह सर्च होता है।
सबसे पहले इस सवाल का जवाब, आपके सामने रखना चाहता हूं। वर्ष 2024 में 25 फरवरी को शबे बरात है।
शबे बरात 2024 के लिए रोजा 26 फरवरी को है। यानी कि 26 फरवरी के फज्र नमाज़ अजान से पहले रोजे की नियत करें। आइए विस्तार से जानते हैं कि शबे बरात का त्यौहार भारत में किस दिन मनाया जाएगा.
इससे पहले शबे बरात के बारे में थोड़ा जान लीजिए या फिर आप स्क्रोल डाउन करके डायरेक्ट नीचे चेक कर सकते हैं.
शब ए बारात की रात में क्या पढ़े?
क्या आप इस प्रश्न का सही उत्तर जानना चाह रहे हैं? शब ए बारात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। एक रात की इबादत को एक हजार रात की इबादत के बराबर माना जाता है। आपको इस बार निम्नलिखित बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
- जियारत
- कुरान पाक की तिलावत
- नफल व तहजुद की नमाज
- रोजा रखना
- कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ना
- मगफिरत की दुआ
- सलातुल तस्बीह की नमाज
- कजा़ ए उमरी की नमाज़।
शब ए बारात की रात में तोबा सबसे ज्यादा कबूल होती है। अल्लाह ताला हमारे लिए रहमतों व नेकियों के दरवाजे खुल देते हैं। हम लोगों पर बरकत बरसता है। शब ए बारात की इबादत कैसे करें, नीचे दिए गए इमेज को ज़रूर पढ़ें।
शब ए बारात की रात में नफिल या कजा़ ए उमरी की नमाज़ पढ़ें
नफिल नमाज फर्ज नहीं है। यह एक सुन्नत है। अगर आप पढ़ लेंगे तो आपको इसका सवाब मिलेगा। अल्लाह ताला ने जो हमारे लिए पांच वक्त का नमाज़ मुकर्रर किये हैं, वह फर्ज है।
अगर फर्ज नमाज़ को समय पर ना पढ़ें तो, वह कजा़ हो जाती है। कजा़ नमाज हमें जरूर पढ़ लेनी चाहिए। पांच वक्त के सभी फर्ज एवं वितर नमाज़ की कजा़ जरूर पढ़ना चाहिए।
मान लें कि आप जब से बालिग हुए हैं। पिछले 10 सालों से आपके बहुत सारे नमाज कजा़ हुआ है। उसे पूरा करने के लिए कजा़ ए उमरी की नमाज पढ़ी जाती है।
याद रखें नफिल नमाज़ अगर आप नहीं पढ़ते हैं तो कोई गुनाह नहीं है। अगर आप पढ़ते हैं तो आपको सवाब मिलेगा। लेकिन आप फर्ज नमाज नहीं पढ़ते हैं तो आपको यकीनन गुनाह होगा।
इसीलिए बड़े मुस्लिम विद्वान कहते हैं कि शब ए बारात की रात में नफिल से ज्यादा कजा़ ए उमरी की नमाज़ को तर्जी देना चाहिए।
क्या शबे बरात की रात सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़नी चाहिए
सलातुल तस्बीह की नमाज़ हदीस में कहा गया है कि आपको हर दिन पढ़ना चाहिए या कम से कम साल में एक बार जरूर ही पढ़ लेना चाहिए।
सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़ने से गुनाह ए कबीरा व गुनाह शगीरा जैसे गुनाहों की माफी मिलती है। हम मुसलमानों को शबे रात की रात में सलातुल तस्बीह की नमाज़ जरूर पढ़नी चाहिए।
शब ए बारात किस दिन है
यह त्यौहार इस्लामी माह शाबान की 14वीं रात मगरिब की नमाज़ के साथ ही शुरू हो जाएगा। शब-ए-बरात की रात को बुलंदी रात कहा जाता है। ईशा की नमाज़ से सुबह के फज़र की नमाज़ तक इबादत करने का समय होता है। शब ए बारात किस दिन है, अब यह आप जान चुके होंगे।
वर्ष 2024 में शब-ए-बरात त्यौहार 25 फरवरी को है, कैसे आगे जानिए.
शाबान 1 (11 या 12 फरवरी शुरू है) | 12 फरवरी 2024 |
शाबान 2 | 13 फरवरी |
शाबान 3 | 14 फरवरी |
शाबान 4 | 15 फरवरी |
शाबान 5 | 16 फरवरी |
शाबान 6 | 17 फरवरी |
शाबान 7 | 18 फरवरी |
शाबान 8 | 19 फरवरी |
शाबान 9 | 20 फरवरी |
शाबान 10 | 21 फरवरी |
शाबान 11 | 22 फरवरी |
शाबान 12 | 23 फरवरी |
शाबान 13 | 24 फरवरी |
शाबान 14 | 25 फरवरी(शबे बरात) |
शबे बारात क्या है?
Shab e Barat kiya hai? इस्लाम धर्म में शाबान एक मुकद्दश महीनों में से एक है। शाबान महीने को हजरत मोहम्मद सलल्लल्लाहे अलैहे वसल्लम का महीना कहा जाता है।
सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इस दिन अल्लाह ने नूह के सन्दूक को बाढ़ से बचाया था। यही कारण है कि लोग इसे मनाते हैं। शिया मुसलमानों के बारहवें इमाम का जन्म हुआ था और रात को उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
कुरान या हदीस में शब-ए-बरात कोई खास जिक्र नहीं है। हालांकि, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में, बहुत से लोग रात का जश्न मनाते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं।
शब-ए-बरात का रोजा कब है?
शब-ए-बरात का रोजा कब है? अक्सर लोग इसको लेकर कंफ्यूजन रहते हैं। वर्ष 2024 में 26 फरवरी को है यानी माह शाबान की 15वीं तारीख को रोजा रखा जाएगा। फज़र की अज़ान से पहले, सेहरी खाई जाती है। 15वीं तारीख को कुछ लोग रोजा रखते हैं।
इस्लामी कैलेंडर के आठवीं महीने को शाबान कहते हैं। शाबान महीने के 15वीं की तारीख को रोजा रखा जाता है।
Conclusion Point
शबे बारात की रात में आतिशबाजी एवं सड़कों पर निकल कर उधम मचाने को हराम करार दिया गया है। यह रात सिर्फ और सिर्फ इबादत की है। भारत के तमाम मुस्लिम संगठनों ने लॉग डाउन का पालन करने को कहा है।
आठवां इस्लामिक शाबान महीना को, India एवं उनके आसपास देशों में 12 फरवरी 2024 को शुरू हो रहा है. इस बात की घोषणा इमारत सरिया पटना ने कर दिया है.
हम मुसलमानों को बढ़ चर कर सरकार का साथ देना चाहिए। अपनों को जागरूक करने के लिए इस आर्टिकल को सोशल मीडिया में शेयर करें।