संस्कृति क्या है और उसकी विशेषताएँ क्या है? संस्कृति का मानव के जीवन में क्या महत्व है? संस्कृति से संबंधित और भी अनेक Facts और भारतीय संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां आपके लिए इस लेख में उपलब्ध किया जा रहा है जो आपके लिए परीक्षा की दृष्टि से अहम साबित होंगे।
संस्कृति क्या है?
Sanskriti किसी समाज में गहराई तक परिपूर्ण खूबियों के समग्र रूप का नाम है। संस्कृति को अंग्रेजी में कल्चर कहा जाता है। जो लैटिन भाषा के कल्ट या कल्टस से लिया गया है जिसका मतलब है जोतना या विकसित करना और पूजा करना।
संस्कृति शब्द का अर्थ है, सुधरी हुई स्थिति। मानव प्रगतिशील प्राणी है। वह बुद्धि के बल पर अपने चारों तरफ के प्राकृतिक परिस्थिति को लगातार सुधारता और डेवलप करता रहता है।
संस्कृति हमारे जरिया सीखा गया ऐसा व्यवहार है जो एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन में ट्रांसफ़र होता है।
ऐसी हर एक जीवन पद्धति, रस्म-रिवाज, रहन-सहन, आचार-विचार, नये आविष्कार, जिससे मानव जानवरों और जंगलियों से ऊँचा उठता है और सभ्य बनता है। सभ्यता संस्कृति का हिस्सा है।
भौतिक तरक्की से तन की भूख मिट सकती है, लेकिन इसके बावजूद मन और आत्मा तो तृप्त नहीं होते हैं। इन्हें तृप्त करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और तरक्की करता है, उसे ही संस्कृति कहते हैं।
संस्कृति और सभ्यता
सभ्यता (Civilization) इंसान के संस्कृत जिंदगी की विधि है। जो भोजन हम खाते, जो कपड़े पहनते, जो भाषा बोलते और जिस भगवान की पूजा करते हैं, ये सभी सभ्यता कहलाते हैं। आसान लफ्जों मे हम कह सकते हैं कि संस्कृति उस तरीके का प्रतीक है जिसके अनुसार हम सोचते और काम करते हैं।
इस तरह संस्कृति मनुष्य के द्वारा बनाया गया mental environment से सम्बंध रखती है। जिसमें सभी non-material products एक जेनरेशन से दूसरे जेनरेशन को प्रदान किये जाते हैं। समाज-वैज्ञानिकों में एक सामान्य समर्थन है कि संस्कृति में मनुष्यों द्वारा प्राप्त सभी internal और external behaviour के तरीके शामिल हैं।
संस्कृति किसी सोसाइटी के वे सूक्ष्म संस्कार हैं, जिस के जरिया लोग mutual communication करते हैं और जीवन के विषय में अपने व्यवहार और ज्ञान को दिशा देते हैं।
संस्कृति हमारे जीने और सोचने के तरीकों में हमारे इंटरनल नेचर को एक्स्प्रेस करता है। यह हमारे लिटरेचर में, मजहबी कामों में, मनोरंजन और आनन्द हासिल करने के तरीकों में भी देखी जा सकती हैं।
संस्कृति एक सोसाइटी से दूसरे सोसाइटी और एक देश से दूसरे देश में बदलती रहती है। इसकी तरक्की एक सामाजिक या राष्ट्रीय संदर्भ में होने वाली ऐतिहासिक एवं ज्ञान-सम्बंधी प्रक्रिया और विकास पर आधारित होता है।
जैसे हमारे अभिवादन के तरीकों में, हमारे कपड़ों में, खाने पीने की आदतों में, पारिवारिक सम्बन्धों में, सामाजिक और धार्मिक रीति रिवाजों और मान्यताओं में भिन्नता है। सच कहें तो, किसी भी देश के लोग अपने खास सांस्कृतिक परम्पराओं के जरिया ही पहचाने जाते हैं।
संस्कृति कितने प्रकार की होती है?
संस्कृति दो प्रकार की हो सकती है-
भौतिक संस्कृति
मनुष्य द्वारा बनाए गए भौतिक चीजों को भौतिक संस्कृति में शामिल किया जाता है। मनुष्य प्रकृति के अलग अलग चीजों और शक्तियों को बदल कर के उसे अपने जरूरतों के हिसाब से बनाया है। ये सभी Physical संस्कृति में आती है। जैसे साइकिल, स्कूटर, कार, कलम, कागज, पंखे, कूलर, फ्रिज, बल्ब, रेल, जहाज, मोबाइल आदि सभी आते हैं।
भौतिक संस्कृति के सभी हिस्सों और तत्वों को एक क्रम में करना आसान काम नहीं है। मानव समाज के विकास के साथ साथ भौतिक संस्कृति भी डेवेलप हुआ है और पुराने जेनेरेशन के अपेक्षा नए जेनेरेशन के पास भौतिक संस्कृति ज्यादा है.
अभौतिक संस्कृति
इस संस्कृति में आम तौर पर सामाजिक विरासत में मिला भरोसा, विचार, व्यवहार, प्रथा, रस्म -रिवाज, ज्ञान, लिटरेचर, भाषा, संगीत, धर्म आदि शामिल है। यह एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन में चलती है और हर जेनेरेशन में इसका बदलना भी मुमकिन होता है।
अगर कोई व्यक्ति अपने सोसाइटी के रीति-रिवाजों, प्रथाओं, और धर्म के खिलाफ काम करता है तो वह आलोचनाओं का शिकार होता है। अभौतिक संस्कृति में भौतिक संस्कृति के मुकाबले में कम बदलाव होता है और यह ज्यादा स्थायी होता है।
संस्कृति कोई external thing नहीं है और न ही कोई jewellery है जिसे मानव इस्तेमाल कर सके। यह वह खूबी है जो हमें इंसान बनाता है।
संस्कृति के बिना मनुष्य ही नहीं रहेंगे। संस्कृति परम्पराओं से, विश्वासों से, जीवन की शैली से, आध्यात्मिक पक्ष से, भौतिक पक्ष से लगातार जुड़ी है। यह हमें जिंदगी का मतलब, जिंदगी जीने का तरीका सिखाती है। इंसान ही कल्चर को बनाता है और साथ ही कल्चर इंसान को इंसान बनाती है।
कल्चर का एक मौलिक तत्त्व है, धार्मिक विश्वास। हमें धार्मिक पहचान का सम्मान करना चाहिए। विश्व जैसे जैसे जुड़ता चला जा रहा है, हम ज्यादा से ज्यादा वैश्विक हो रहे हैं और अधिक व्यापक ग्लोबल स्केल पर जी रहे हैं।
हम यह नहीं सोच रहे कि जीने का एक ही तरीका होता है और वही सच्चाई का रास्ता है। Co-existence की जरूरत ने अलग अलग संस्कृतियों और विश्वासों के co-existence को भी जरूरी बना दिया है।
इसलिए इससे पहले कि हम इस तरह की कोई गलती करें, अच्छा होगा कि हम दूसरी संस्कृतियों को भी जानें और साथ ही अपने कल्चर को भी अच्छी तरह समझें। हम दूसरी संस्कृतियों के विषय में कैसे चर्चा कर सकते हैं जब तक हम अपनी संस्कृति के मूल्यों को अच्छी तरह ना समझ लें।
यह कल्चर ही है जो हमें दर्शन और मजहब के जरिए सच्चाई के करीब लाती है। यह हमारी जिंदगी में कलाओं के जरिये खूबसूरती लाती है। यह संस्कृति ही है जो हमें नैतिक मानव बनाती है और दूसरे इंसानो के सम्पर्क में लाती है और इसी के साथ हमें प्यार और शान्ति का सबक पढ़ाती है।
संस्कृति की विशेषताएँ
संस्कृति सीखी जाती है और प्राप्त की जाती है
यानी इंसान के जरिया कल्चर को हासिल किया जाता है इस अर्थ में कि कुछ निश्चित behaviour हैं जो पैदा होने से या अनुवांशिकता से हासिल होते हैं। इंसान कुछ खूबी अपने माता-पिता से हासिल करता है लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक behaviours को पूर्वजों से हासिल नहीं करता हैं। वे पारिवार के लोगों से सीखे जाते हैं।
इन्हें वे समूह से और सोसाइटी से जिसमें वो रहते हैं वहीँ से सीखते हैं। यह जाहिर है कि इंसान का कल्चर शारीरिक और सामाजिक एनवायरनमेंट से प्रभावित होती है। जिसके जरिया वे काम करते हैं।
संस्कृति व्यक्तियों के समूह द्वारा बाँटी जाती है
सोच या विचार या कार्य को कल्चर कहा जाता है। यह लोगों के समूह के जरिया बाँटा और माना जाता है या अभ्यास में लाया जाता है।
संस्कृति संचयी होती है
संस्कृति में शामिल अलग अलग ज्ञान एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन तक हस्तान्तरित किया जा सकता है। जैसे जैसे वक्त बीतता जाता है। ज्यादा से ज्यादा ज्ञान उस खास कल्चर में जुड़ता चला जाता है।
जो जिंदगी में परेशानियों को हल करने के तौर पर काम करता है। एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन में आगे बढ़ता रहता है। यह चक्र बदलते वक्त के साथ एक खास कल्चर के तौर पर बना रहता है।
संस्कृति परिवर्तनशील होती है
ज्ञान, सोच और रिवाज नए कल्चर के साथ ताजा होकर जुड़ते जाते हैं। वक बीतने के साथ ही किसी खास कल्चर में सांस्कृतिक बदलाव मुमकिन होते जाते हैं।
संस्कृति गतिशील होती है
कोई भी कल्चर स्थिर हालत में या परमानेंट नहीं होता है। जैसे जैसे वक्त बीतता है कल्चर लगातार बदलता है और उसमें नई सोच और नये कौशल जुड़ते जाते हैं और पुराने तरीकों में बदलाव होता है। यह संस्कृति की खासियत है जो संस्कृति की संचयी प्रवृत्ति से पैदा होती है।
संस्कृति हमें अनेक प्रकार के स्वीकृत व्यवहारों के तरीके प्रदान करती है
यह बताती है कि कैसे एक काम को पूरा किया जाना चाहिए, कैसे एक इंसान को समुचित व्यवहार करना चाहिए।
संस्कृति भिन्न होती है
यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें अलग अलग पारस्परिक भाग एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। हालांकि ये भाग अलग होते हैं, वे कल्चर को पूर्ण रूप देने में एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।
संस्कृति अक्सर वैचारिक होती है
एक इंसान से उन ख़्यालों को पालन करने की उम्मीद की जाती है जिससे आम तौर पर एक आदर्श तरीका देती है जिससे उस कल्चर के दूसरे लोगों से सामाजिक स्वीकृति हासिल की जा सके।
भारतीय संस्कृति के बारे में यह जरूर जान लिजिए
भारत का कल्चर दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध कल्चर है। दूसरे देशों की संस्कृतियाँ तो वक्त के साथ साथ बर्बाद होती गई हैं, लेकिन भारत का कल्चर आदि काल से ही अपने रिवायती वजूद के साथ अमर बनी हुई है। इसकी उदारता और समन्यवादी खूबियों ने दूसरे संस्कृतियों को समाहित तो किया है, लेकिन अपने वजूद के मूल को सुरक्षित रखा हुआ है।
भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
प्राचीनता
भारत का कल्चर दुनिया की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। सिन्धु घाटी की सभ्यता के विवरणों से भी साबित होता है कि आज से लगभग पाँच हजार साल पहले उत्तरी भारत के बहुत बड़े हिस्से में एक उच्च कोटि का कल्चर डिवेलप हो चुका था।
उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार भारत के कल्चर से रोम और यूनानी कल्चर को प्राचीन और मिस्र, बेबीलोनिया की संस्कृतियों के समकालीन माना गया है।
निरन्तरता
भारत के कल्चर की एक अहम खासियत यह है कि हजारों सालों के बाद भी यह कल्चर भी अपने मूल रूप में जिंदा है, जबकि मिस्र, यूनान और रोम का कल्चर अपने मूल रूप को लगभग भूल चुके हैं।
लचीलापन एवं सहिष्णुता
भारत के कल्चर की सहिष्णु नेचर ने उसे लंबी उम्र और स्थायित्व दिया है। दुनिया की किसी भी कल्चर में शायद ही इतनी सहनशीलता है, जितनी भारत के कल्चर में पाई जाती है।
ग्रहणशीलता
भारत के कल्चर की सहिष्णुता और उदारता के वजह उसमें एक ग्रहणशीलता प्रकृति को डिवेलप होने का मौका मिला।
भारत में इस्लामी कल्चर का आना भी अरबों, तुर्कों और मुग़लों के द्वारा हुआ। इसके बावजूद भारत के कल्चर का अलग वजूद बना रहा और नए आए संस्कृतियों से कुछ अच्छी बातें हासिल करने में भारत का कल्चर हिचकिचाया नहीं।
आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय
भारत के कल्चर में आश्रम व्यवस्था के साथ मजहब अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चार पुरुषार्थों का खास जगह रहा है। भारत के कल्चर में मजहब और मोक्ष आध्यात्मिक पैगाम और अर्थ और काम की भौतिक अनिवार्यता लगातार सम्बद्ध है।
अनेकता में एकता
भौगोलिक नजरिये से भारत विविधताओं का देश है, लेकिन फिर भी सांस्कृतिक नजरिये से एक इकाई के रूप में इसका वजूद प्राचीनकाल से बना हुआ है।
अलग अलग रस्म रिवाज आचार-व्यवहार और त्यौहारों में भी समानता है। भाषाओं की विविधता है। भारत कई मज़हबों, सम्प्रदायों, मतों और विश्वासों का महादेश है, लेकिन यहां अनेकता में एकता दुनिया के दूसरे देशों के लिए हैरत का विषय रहा है।
संस्कृति का निर्माण कैसे हुआ है?
किसी देश का कल्चर वहाँ के पूरे मानसिक निधि को सूचित करती है। सब इंसान अपनी काबिलियत के हिसाब से कल्चर के बनने में योगदान देते हैं। कल्चर की तुलना आस्ट्रेलिया के करीब समुद्र में पाई जाने वाली मूँगे की भीमकाय चट्टानों से की जा सकती है।
मूँगे के अनगिनत कीड़े अपने छोटे घर बनाकर बर्बाद हो गए। फिर नए कीड़ों ने घर बनाये, वह भी बर्बाद हो गए। इसके बाद उनके अगले जेनेरेशन ने भी यही किया और यह सिलसिला हजारों सालों तक लगातार चलता रहा।
आज उन सब मूगों के नन्हे-नन्हे घर जुड़ कर विशाल चट्टानों का रूप ले लिया है। कल्चर भी धीरे धीरे इसी तरह बनता है और बनने में हजारों साल लगते हैं।
इंसान अलग अलग जगहों पर रहते हुए खास तरह के सामाजिक वातावरण, संस्थाओं, रिवाजों, मजहब, लिपि, भाषा तथा कलाओं की तरक्की करके अपना खास कल्चर बनाता हैं। इस तरह से भारत के कल्चर की भी रचना हुई है।
Conclusion Points
इस लेख के जरिया हमें Sanskriti से संबंधित जानकारियां प्राप्त हुई है। एक बार संक्षेप में संस्कृति की परिभाषा जान लेते हैं।
संस्कृति हमारे जरिया सीखा गया ऐसा व्यवहार है जो एक जेनेरेशन से दूसरे जेनेरेशन में ट्रांसफ़र होता है। उम्मीद है कि ये लेख आपको पसंद आया होगा।
अगर आपके पास इससे संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो बेझिझक होकर के कमेंट बॉक्स में लिखिए, आपको हमें उत्तर देने में बहुत ही खुशी होगी, धन्यवाद.