प्रदूषण एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर सुना जाता है, लेकिन वास्तव में इसका क्या मतलब है? प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण में दूषित पदार्थों का प्रवेश है जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है।
क्या आप Pradushan Ki Paribhasha कोशिश कर रहे थे? आपके लिए यह बेहतरीन लेख है आगे पढ़िए.
प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा स्रोत और प्रभाव होता है। इस लेख में, हम प्रदूषण की परिभाषा और प्रकार, साथ ही उनके कारणों और प्रभावों का पता लगाएंगे।
Pradushan पर्यावरण में प्रदूषकों का प्रवेश है जो पौधों, जानवरों और मनुष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। प्रदूषण कई रूप ले सकता है, जिनमें शामिल हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।
जबकि कई प्रकार के प्रदूषक हैं, प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं: ऑटोमोबाइल, कारखाने, बिजली संयंत्र और कृषि। प्रदूषण के प्रभाव व्यापक और मानव और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जिसका सामना इस समय दुनिया कर रही है। प्रदूषण की परिभाषा और प्रकारों के साथ-साथ प्रदूषण के कारणों, स्रोतों और प्रभावों से अवगत होना महत्वपूर्ण है। प्रदूषण के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
तमाम पब्लिक रिलेशन मीडियम जैसे अखबार, टेलीविजन, मैगजीन और साइंस कॉन्फ्रेंस सब मे environmental pollution आज के दौर का एक मशहूर टॉपिक है।
हकीकत में पॉल्यूशन क्या है? इसका अर्थ इसकी परिभाषा और यह कितने तरह का है? किन किन कारणों से प्रदूषण होता है इसको कम करने के क्या क्या उपाय है। ये सब हम विस्तार से इस आर्टिकल के जरिया जानेंगे।
प्रदूषण की परिभाषा (Pollution Ki Paribhasha)
पॉल्यूशन का मीनिंग है गंदा करना या प्रदूषित करना होता है। इसको आसान लफ्जों में ऐसे परिभाषित कर सकते हैं कि पॉल्यूशन हवा, पानी और मिट्टी मे केमिकल, फिजिकल और बायोलॉजिकल गुणों में होने वाला एक अनचाहा बदलाव है।
Environment में दूषित पदार्थों के दाखिल हो जाने के वजह से natural balance में पैदा हुए दोष को ही पॉल्यूशन कहते हैं।
जो human life, living organism और natural heritage के लिए बहुत नुकसानदायक है। जिसका living organism पर direct way मे विपरीत असर पड़ता है।
इंसान के द्वारा बनाया हुआ इस्तेमाल के बाद फेंक दिया गया पदार्थ पोल्यूटेंट (प्रदूषक) होता है।
कुदरत के जरिया बनाई हुई चीजों के remains को जब इंसान के द्वारा बनाई हुई चीजों के remains में मिला दिया जाता है तो दूषित पदार्थ बनता है।
पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं?
पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः 4 तरह के हैं।
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
वायु, जल, ध्वनि और भूमि प्रदूषण क्या है? यह किन किन कारणों से होता है और इसके क्या क्या प्रभाव है? इन सब को हम विस्तार से जानते हैं।
वायु प्रदूषण की परिभाषा, कारण और स्रोत
वायु पॉल्यूशन यानी हवा में unwanted gases, dust particles etc की मौजूदगी, जो human और nature दोनों के लिए खतरा का वजह बन जाए। हवा का अवांछित रूप से दूषित होना वायु पॉल्यूशन है।
हवा में ऐसे elements का presence जो human और animals के सेहत के लिए नुकसानदायक हो, air pollutant कहते हैं और यह स्थिति air pollution कहलाती है।
वायु प्रदूषण के कारण और स्रोत
वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण:
- Vehicles से निकलने वाला धुआं
- कारखानों से निकलने वाला धुआं और केमिकल
- Nuclear plants से निकलने वाली gases & dust particles
- Volcanic eruption (ज्वालामुखी विस्फोट)
- Oil refineries से निकलने वाला धुआं
- कोयले के जलने से और जंगलों में पेड़ों की जलने से निकलने वाला धुआं
- हमारे घरों और कार्यालयों में लगे हुए एयर कंडीशनर से निकलने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन वातावरण को प्रदूषित करते हैं और ओजोन लेयर को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
वायु प्रदूषण के कुछ स्रोत
- carbon dioxide
- Carbon monoxide
- Sulphur oxide
- Hydrocarbon
- Nitrogen oxide
- Industrial pollution.
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- हवा में unwanted gases के presence से मनुष्य, पक्षियों और पशुओं को गंभीर प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है इसके वजह से दमा, सर्दी खांसी, अंधापन सुनने की शक्ति का कमजोर होना, skin diseases होती है।
- वायु पॉल्यूशन से सर्दियों में कोहरा छाया होता है इसके कारण प्राकृतिक दृश्यता में कमी आ गई है और आंखों में जलन भी होने लगता है।
- वायु पॉल्यूशन के वजह से पृथ्वी का टेंपरेचर बढ़ता है इस वजह से सूरज से आने वाली गर्मी हमारे पर्यावरण में carbon dioxide, methane और nitrous oxide का effect कम नहीं होने देता है जो कि बहुत नुकसानदायक है।
- Air polluted areas मे जब बारिश होती है तो बारिश में अलग-अलग तरह के gases और toxic substances मिलकर जमीन पर आते हैं जिसको acid rain कहते हैं।
- Ozone layer पृथ्वी के चारों तरफ एक protective layer है। जो सूरज से आने वाली harmful ultraviolet rays से हमें बचाती है। Greenhouse gases के वजह ozone layer घटती जा रही है।
- वायु पॉल्यूशन के वजह से skin cancer का खतरा ज्यादा हो गया है।
जल प्रदूषण की परिभाषा, कारण और स्रोत
जल प्रदूषण का मतलब है पानी में unwanted और जानलेवा तत्वों की मौजूदगी से पानी का गंदा हो जाना जिससे वह पानी पीने के लायक नहीं रहता है।
जल प्रदूषण के कारण और स्रोत
जल प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण:
- मनुष्यों के मल का नदियों, नहरों और तालाबों इत्यादि में विसर्जित करना
- अलग-अलग फैक्ट्रियों का गंदा पानी और कचड़ा नदियों, नहरों और तालाबों में विसर्जित करना
- खेती के कामों में इस्तेमाल होने वाला जहरीला केमिकल और खादों का पानी में मिलना
- गंदे नालों का पानी नदियों और नहरों में छोड़ा जाना
- कीटनाशक का छिड़काव जैसे DDT, BHC के छिड़कने से पानी गंदा होता है जिससे समुद्री जानवरों और मछलियों को नुकसान पहुंचता है। जिसके वजह से food chain प्रभावित होता है।
- कुआं से निकालते वक्त कच्चे पेट्रोल का समुद्र में मिल जाना
- Sanitation और sewer का अच्छा इंतजाम ना होना
- पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए नदियों में कचड़ा, मानव शवों का और घर में उपयोग की जाने वाली हर घरेलू वस्तु को विसर्जन करना.
जल प्रदूषण के कुछ स्रोत
- Sewage
- Agricultural pollution
- Oil pollution
- Radioactive substances
- River dumping
- Marine dumping
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- जल पॉल्यूशन से मनुष्यों, पशुओं और पक्षियों के सेहत में खतरा पैदा होता है इससे कई तरह की बीमारियां जैसे टाइफाइड, हैजा, गैस्ट्रिक पीलिया होती है।
- इससे पीने की पानी में कमी होती है क्योंकि नदियों, नहरों और तालाबों यहां तक कि जमीन के अंदर का पानी भी गंदा हो जाता है।
- दूषित पानी से खेतों में सिंचाई करने पर पौधों में दूषित तत्व चले जाते हैं इनके फसलों और फलों को खाने की वजह से कई तरह की खतरनाक बीमारियां पैदा होती है।
- इंसानों के जरिया भूमि का कचड़ा नदियों में डाला जाता है जिससे नदियां भी समुंदर में अपना गंदा पानी मिलाकर उसको लगातार गंदा कर रही है।
- Micro organism पानी में घुले भी ऑक्सीजन को अपने अंदर absorb करके इस्तेमाल में लाते हैं जब पानी में जैविक द्रव्य ज्यादा हो जाता है तो पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और इसके वजह से पानी में रहने वाले जीव जंतुओं की मृत्यु होने लगती है।
- औद्योगिक प्रक्रियाओं से पैदा होने वाले केमिकल substance chlorine, ammonia, hydrogen sulphide, nickel इत्यादि टॉक्सिक पदार्थ पानी में मिलते हैं और यह पानी पीने के द्वारा या पानी में रहने वाली मछलियों को खाने के द्वारा हमारे शरीर में पहुंचने से कई प्रकार के गंभीर बीमारियों होती हैं।
- जिसके वजह से अंधापन, सांस लेने में दिक्कत और हमारे बदन के हिस्सों में लकवा मार देना इत्यादि सब होता है। अगर यह पानी नियमित रूप से नहाने और कपड़ा धोने में इस्तेमाल किया जाता है तो इसके वजह से skin diseases होता है।
ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा, कारण और स्रोत
बेकाबू, बहुत ज्यादा और ना काबिले बर्दाश्त शोर को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि पॉल्यूशन की तीव्रता को decibel unit में measure किया जाता है। हमारे कानो के लिए 60 decibel तक का sound सामान्य है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण और स्रोत
ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण:
- Uncontrolled vehicles के विस्तार के वजह से उनके इंजन और हार्न के कारण
- जनरेटर और डीजल पंप इत्यादि से निकलने वाले ध्वनि के कारण
- Industrial areas में ऊँची आवाज के पॉवर सायरन, हॉर्न और मशीनों से होने वाले शोर के वजह से
- शहरों, गाँवों में कोई भी पर्व त्यौहार में, पोलिटिकल पार्टियों के चुनाव प्रचार और रैली में loudspeakers से निकलने वाले बहुत ज्यादा शोर के वजह से
- Aeroplanes और jet planes से निकलने वाला बहुत ज्यादा शोर से
ध्वनि प्रदूषण के कुछ स्रोत
- Traffic noise
- Air traffic noise
- Construction site
- Catering and nightlife
- Loud music
- Industrial activities
ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- ध्वनि पॉल्यूशन के वजह से सुनने की शक्ति कमजोर होती है सिरदर्द, चिड़चिड़ापन होने लगता है।
- ध्वनि पॉल्यूशन से heart beat rate बढ़ जाता है जिससे high blood pressure और psychological problems होने लगता है।
- छोटे बच्चों के सेहत पर ध्वनि प्रदूषण का बहुत बुरा असर पड़ता है इससे कई तरह के physical deformity पैदा होता है।
- गैस्ट्रिक, अल्सर और दमा जैसी बीमारियां और थकान ध्वनि पॉल्यूशन के वजह से होता है।
भूमि प्रदूषण की परिभाषा, कारण और स्रोत
भूमि प्रदूषण का मतलब है जमीन पर unwanted, unusable और toxic substances का विसर्जित करना। इस वजह से मिट्टी का degradation होता है और इसकी quality घटती है। लोगों का मिट्टी की तरफ बढ़ती लापरवाही की वजह से भूमि पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है।
भूमि प्रदूषण के कारण और स्रोत
भूमि प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण:
- खेती में fertilizers, chemicals और pesticides का ज्यादा इस्तेमाल
- फैक्ट्रियों और खानों से निकलने वाला ठोस कचड़े का भूमि में विसर्जन
- चीनी और कागज मिलो से निकलने वाले पदार्थों का विसर्जन जिसको मिट्टी absorb नहीं कर पाती है।
- प्लास्टिक की थैलियों का ज्यादा इस्तेमाल जो जमीन में दबकर भी नहीं गलती है।
- घरों, होटलों और फैक्ट्रियों के बचे हुए पदार्थो का विसर्जन। जिसमें कपड़े, लकड़ी धातु, कांच प्लास्टिक इत्यादि सब होते हैं।
भूमि प्रदूषण के कुछ स्रोत
- Mining activities
- Agricultural activities
- Construction activities
- Nuclear waste
- Overcrowded landfills
- Industrialization
- Urbanization.
भूमि प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- खेती के लायक भूमि की कमी
- Landslide से होने वाले नुकसान
- Food sources के गंदा होने की वजह से सेहत के लिए नुकसानदायक
- पानी और हवा पॉल्यूशन में वृद्धि
पॉल्यूशन कम करने के उपाय :-
वायु प्रदूषण से बचाव के कुछ उपाय
- निजी वाहनों के जगह सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग या फिर साइकिल का उपयोग करना चाहिए।
- अपने बगीचे की सूखी पत्तियों को जलाने के बजाय उनका खाद बनाकर बगीचों में इस्तेमाल करना चाहिए।
- सोलर और CNG वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।
- हमारे रोजाना की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली के जगह सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए।
- यदि निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं तो कार पूलिंग करना चाहिए यानी कि एक ही कार में दूसरे लोगों को भी बैठा कर ले जा सकते हैं ताकि सबको अपना निजी वाहन इस्तेमाल ना करना पड़े।
- जीवाश्म ईंधन का कम से कम इस्तेमाल
- बिना धुआं वाले चूल्हे का इस्तेमाल
- पेड़ों की बहुत ज्यादा कटाई पर रोक और वृक्षारोपण कार्यक्रम को बढ़ावा देना होगा.
जल प्रदूषण से बचाव के कुछ उपाय
- कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों के विसर्जन की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और विसर्जित करने से पहले दोषरहित करना चाहिए।
- नदियों, नहरों या किसी भी जल स्रोतों में अपशिष्ट पदार्थों को नहीं डालना चाहिए।
- पानी में बैक्टीरिया को मारने के लिए केमिकल पदार्थ जैसे ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।
- Chemical substances को विसर्जित करने से पहले उनका ऑक्सीकरण करना चाहिए
- इंटरनेशनल लेवल पर समुद्रों में किए जाने वाले परमाणु परीक्षणों पर रोक लगना चाहिए।
- हर घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण से बचाव के कुछ उपाय
- कम शोर पैदा करने वाली मशीनों को बनाना और उपयोग करना चाहिए।
- गाड़ियों में लगे हॉर्न को तेज बजाने से रोका जाना चाहिए।
- ज्यादा आवाज पैदा करने वाली मशीनों को ध्वनिरोधी कमरों में लगाना चाहिए।
- चुनाव, शादी कार्यक्रमों, सामाजिक, धार्मिक उत्सव मेला में ज्यादा आवाज पैदा करने वाले लाउडस्पीकर का उपयोग कम करना चाहिए।
- घर में शोर को कम करने के लिए टीवी, रेडियो को धीमी आवाज में सुनना चाहिए।
- शहरों, फैक्ट्रियों के पास और सड़कों के किनारे वृक्षारोपण अधिक से अधिक करना चाहिए।
भूमि प्रदूषण से बचाव के कुछ उपाय
- फसलों में छिड़की जाने वाली जहरीली दवाओं का उपयोग पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
- जंगलों की कटाई पर प्रतिबंध।
- शहरो और गांव की गंदगियों को जमा करने के लिए उचित स्थान का होना।
- सिंथेटिक उर्वरकों के बजाय प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
- फैक्ट्रियों और घर के कचड़े का recycle कर के फिर से इस्तेमाल करना भूमि प्रदूषण को कम कर सकता है।
Conclusion Points
Pradushan एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा है। यह कई रूप ले सकता है, जिनमें शामिल हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण। वायु प्रदूषण में मानव निर्मित स्रोतों जैसे कारखानों, कारों और ट्रकों, बिजली संयंत्रों और हीटिंग सिस्टम से वातावरण में प्रदूषकों की रिहाई शामिल है।
यह मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। जल प्रदूषण में नदियों और झीलों जैसे मीठे पानी के निकायों में प्रदूषकों की शुरूआत शामिल है, जैसे कि खेती, लॉगिंग और खनन जैसी मानवीय गतिविधियों से।
यह व्यापक पारिस्थितिक क्षति का कारण बन सकता है और मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मृत्यु का कारण बन सकता है।
भूमि प्रदूषण में औद्योगिक प्रथाओं, ऑटोमोबाइल, निर्माण स्थलों और कृषि उत्पादन से प्रदूषकों को मिट्टी और भूजल में छोड़ना शामिल है।
यह जंगल की आग जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। रासायनिक प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक रसायनों की रिहाई को संदर्भित करता है। इस प्रकार का प्रदूषण मनुष्यों में कैंसर और अन्य पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकता है।
मुझे पूर्ण रूप से भरोसा है कि आपको अब प्रदूषण की परिभाषा बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा. फिर भी प्रदूषण से संबंधित आपके पास कोई भी प्रश्न हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें.
FAQs
प्रदूषण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर को शामिल किया गया है. यह आपके लिए बहुत ही लाभकारी है कृपया सभी प्रश्नों के उत्तर को पढ़ लें.
प्रश्न – प्रदूषण के 7 मुख्य प्रकार क्या हैं?
उत्तर – प्रदूषण के प्रमुख 7 प्रकार में वायु प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, कूड़े, ध्वनि प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं।
प्रश्न – प्रदूषण का मतलब क्या है?
उत्तर – प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की होना होता है। इन हानिकारक पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक प्राकृतिक भी हो सकते हैं, जैसे ज्वालामुखी की राख।
वे मानव गतिविधि द्वारा भी बनाए जा सकते हैं, जैसे कारखानों द्वारा उत्पादित कचरा या अपवाह। प्रदूषक हवा, पानी और जमीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं।
प्रश्न – प्रदूषण हमारे पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर – वायु प्रदूषण फसलों और पेड़ों को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। जमीनी स्तर के ओजोन से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो सकती है, और रोग, कीटों और अन्य पर्यावरणीय तनावों (जैसे कठोर मौसम) के लिए पौधों की संवेदनशीलता में वृद्धि हो सकती है।
प्रश्न – प्रदूषण में भारत का कौन सा स्थान है?
उत्तर – भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश है, जिसका औसत PM2.5 51.90 है। दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में ही हैं।
प्रश्न – दुनिया का नंबर 1 प्रदूषित शहर कौन सा है?
उत्तर – दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली है और दूसरे स्थान पर कोलकाता है.
प्रश्न – भारत में प्रदूषण का कारण क्या है?
उत्तर – वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले मुख्य स्रोतों की अच्छी तरह से पहचान की गई है. जिसमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, बिजली उत्पादन सहित भारी उद्योग, ईंट भट्टों सहित छोटे पैमाने के उद्योग है.
इसके अलावा दिवाली में पटाखे फोड़ना और किसानों के द्वारा एग्रीकल्चर वेस्ट को जलाना आदि शामिल है.