Beti bachao beti padhao nibandh lekhan की शुरुआत करने से पहले आपको बता दूँ कि निबंध लिखने में लिखने में दो चीजों की आवश्यकता होती है.
- निबंध लिखने की कला,
- जिस विषय पर निबंध लिख रहे हैं, उसकी सटीक जानकारी.
अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ेंगे तो पता चल जाएगा कि, लेख कैसे लिखा जाता है और उसके साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का भी निबंध पूरा हो जाएगा.
सबसे पहले जानिए की, निबंध क्या होता है?
निबंध लेखन एक कला है, जिसमें विषय-वस्तु से सम्बंधित विचारों का क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित लेख होता है. जिसमें लेखक उस विषय संबंधित विस्तृत या संक्षिप्त रूप में जानकारी दे सकता है लेकिन जानकारी संपूर्ण होना आवश्यक होता है.
निबंध में प्रस्तावना, गुण-दोष या उसके कारण और उपसंहार होना चाहिए जो पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक हो उसके साथ-साथ उसकी रुचि पूरे लेख पढ़ने में बना रहे. निबंध के उदाहरण तौर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय को चुना गया है.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के महेन्द्रगण जिले की थी. क्योंकि उस समय जिले में महिला लिंग अनुपात सिर्फ 775 (1000 लड़कों पर सिर्फ 750 लड़कियाँ) था.
India के 640 जिलों में से पहले 100 जिलों में लागू किया था, फिर बढ़ाकर 161 जिलों में लागू किया गया और अब तक बढ़ कर 244 जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को लागू किया गया चुका है. शुरुआत में बजट 100 करोड़ था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 200 करोड़ से भी ज्यादा कर दिया गया है.
जिलों की संख्या एवं बजट का बढ़ जाना एक गंभीर चिंता का विषय है. आखिरकार सरकार को यह योजना शुरू करने की आवश्यकता क्यों पड़ गई?
ताजा अपडेट
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के फलस्वरूप बढ़ी बेटियों की संख्या : पीएम मोदी.
- बेटी बचाओ अभियान का 79% फंड विज्ञापन पर खर्च होता है.
योजना का उद्देश्य
योजना का मुख्य उद्देश्य है बेटियों के अस्तित्व को बचाना जिसमें मुख्यत भ्रूण हत्या को रोकना और लिंग अनुपात में पुरुष एवं महिलाओं की संख्या को बराबर करना है. बेटियों को सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उसके साथ-साथ उसे शिक्षित करके एक सशक्त नागरिक के रूप में निर्मित करना शामिल है.
बेटियों की संख्या घटने के कारण
भ्रूण हत्या या कन्या हत्या
गर्भ में पल रहे शिशु की जानकारी अल्ट्रासाउंड टेक्निक से पहले पता चल जाता है कि वह शिशु लड़का है या लड़की, दुनिया के किसी भी टेक्निक के द्वारा यह पता करना भारत में गैरकानूनी है और उसके लिए कठोर सजा भी है.
लेकिन गैरकानूनी तरीके से पहले पता कर लिया जाता है कि गर्भ में पल रहे शिशु लड़का है या लड़की. पता करने के बाद, जन्म लेने से पहले ही लड़की को गर्भ में ही मार दिया जाता है.
जिसके कारण लगातार महिलाओं के लिंग अनुपात में गिरावट आते जा रहा है. दमन और दीव का लिंग अनुपात 618 तक पहुंच चुका है जबकि भारत का लिंग अनुपात 940 है.
जीव विज्ञान के अनुसार लड़के एवं लड़कियों का जन्म दर सामान होता है. अगर हम प्राकृतिक तरीके को नहीं छेड़े तो हर हजार लड़कों के जन्म पर हजार लड़कियों का भी जन्म होगा.
दहेज एक बड़ी समस्या
जब बेटियों की शादी की बात आती है तो उसमें लड़के वाले धन की मांग करते हैं, प्राचीन में कन्यादान के समय जो संपत्ति दी जाती थी आज वह दहेज के रूप में जाना जाता है.
दहेज के कारण लड़की के पिता भी उसकी हत्या कर देते हैं जन्म से पहले. अगर लड़की के पिता ने दहेज नहीं दिया तो लड़के वाले उसकी हत्या कर देते हैं या घरेलू हिंसा का शिकार हो जाती है.
पिता की संपत्तियों में बेटियों को हिस्सा नहीं मिलना
भारत के मुस्लिम समाज में एक सर्वे के अनुसार 80% से ज्यादा महिलाओं के पास किसी प्रकार की कोई भी संपत्ति नहीं है. जबकि तीन तलाक एक और दूसरा गंभीर विषय है.
शिक्षा की कमी
महिलाओं में शिक्षा की कमी है क्योंकि उनके अभिभावक उसे पढ़ाने में रुचि कम लेते हैं, उसे लगता है कि शादी के बाद वह दूसरे के घर चली जाएगी.
बेटियों में नौकरी की कमी
दलित और मुस्लिम समाज की महिलाओं को नौकरी करने का अवसर ना के बराबर मिला है. ग्रामीण भारत में आज भी महिलाओं को घर की चारदीवारी के अंदर की बंद रखा जाता है.
सामाजिक असुरक्षा
समाज की मानसिकता आज भी नहीं बदला है, महिलाएं अभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. बलात्कार एवं यौन शोषण जैसी घटनाएं अभी भी महिलाओं को घर से बाहर ना जाने को मजबूर कर रही है. बलात्कार के बाद उस महिला की मौत हो जाती हैं या फिर कुछ महिलाएं आत्महत्या तक कर लेती है.
हमारी सरकार इन सभी कारणों को देखते हुए ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को तैयार किया गया है. इस योजना में मुख्यतः समाज की मानसिकता को बदलने पर जोर दिया गया है. इस योजना में यह भी बताया गया है कि नारी को समाज का बोझ नहीं समझा जाना चाहिए.
बेटियां भी बेटों से ज्यादा बेहतर पढ़ सकती है और उससे ज्यादा अच्छा नौकरी पा सकती है. सरकार कन्या हत्या को रोकने के लिए कठोर कानून बना चुकी है. बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है ताकि उसे भविष्य में बेहतर नौकरी मिल सके.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के फायदें
- बेटियों की पढ़ाई के लिए इस योजना में आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है.
- यह आर्थिक सहायता लड़कियों की पढ़ाई पूरी होने तक दी जाती है.
- लड़कियों की शादियों में भी आर्थिक मदद का प्रवधान है.
- भ्रूण हत्या को रोकने एवं महिलाओं का अस्तित्व बचाने के लिए टास्क फोर्स का गठन.
- बेटियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना.
- लड़के और लड़कियों के बीच का भेदभाव कम करना.
- जागरूकता के लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार एवं प्रसार करना जिससे कि बेटे और बेटियों में भेदभाव नहीं हो.
- केन्द्र सरकार का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना में 200 करोड़ ज्यादा का बजट है.
- राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारों का अलग से इस योजना में भागीदारी है.
- सुकन्या समृद्धि बैंक अकाउंट लड़कियों के लिए है जिसमें सबसे ज्यादा इंटरेस्ट रेट किया जाता है.
Conclusion Point
अंत में, Beti जीवन की निरंतरता है जिससे हम मानव का अस्तित्व जुड़ा है. बेटी जब बड़ी होती है किसी का पत्नी तो किसी का मां बनती है और आपको जन्म देती है.
जन्म देने वाली मनुष्य को हम मार देते हैं या कभी उसका बलात्कार देते हैं? यही नहीं महिला एवं पुरुष में भेदभाव करते हैं. क्या सोचिए महिला मनुष्य नहीं होती है?
अंत में एक खास बात आप पाठकों से कहना चाहता हूं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का ज्यादातर बजट जागरूकता फैलाने में खर्च किया जाता है. कुछ लोग इस योजना के नाम पर ठगी का काम करते हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहें और भारत सरकार के वेबसाइट पर विजिट करें.