आप दोस्तों को मेरा सलाम अर्ज है। भारत का सबसे बड़ा रोज़ा कब हुआ था? क्या आप लंबे समय तक रोजा रखने में पानी की प्यास से परेशान रहते हैं? इस लेख के जरिए आपको यह बताया जाएगा कि, आप लंबे समय का रोजा रखे हैं तो क्या करें और क्या ना करें।
35 से 38 डिग्री का तापमान और चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत जरूर महसूस होगी। जो मुसलमान इस इम्तिहान पास होगा, अल्लाह उसे बहुत सवाब देगा।
2023 का सबसे बड़ा रोजा किन-किन देशों में हो रहा है?
- नुउक, ग्रीनलैंड – 18 घंटे
- रिक्जेविक, आइसलैंड – 18 घंटे
- हेलसिंकी, फिनलैंड – 17 घंटे
- ग्लासगो, स्कॉटलैंड – 17 घंटे
- ओटावा, कनाडा – 17 घंटे
- लंदन, यूनाइटेड किंगडम – 16-17 घंटे
- पेरिस, फ्रांस – 16-17 घंटे
- ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड – 15 घंटे
- रोम, इटली – 15 घंटे
- मैड्रिड, स्पेन – 15 घंटे.
2023 का सबसे छोटा रोजा किन-किन देशों में हो रहा है?
- क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड: 12 घंटे
- प्योर्टो मॉन्ट, चिली: 12 घंटे
- ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना: 12 घंटे
- जकार्ता, इंडोनेशिया: 13 घंटे
- नैरोबी, केन्या: 13 घंटे
- कराची, पाकिस्तान: 13-14 घंटे
- नई दिल्ली, भारत: 13-14 घंटे.
रमजान टाइम टेबल 2023 |
भारत का सबसे लंबा रोजा कब पड़ा था?
वर्ष 1979 में भारत का सबसे लंबा समय का रोजा हुआ था जो लगभग 16 घंटों का था। 2015 में 15 घंटे और 42 मिनट का रोजा हुआ था। 2018 का सबसे लंबा रोजा 13 जून को होगा जो 15 घंटे और 31 मिनटों का हुआ था।
दिल्ली के रमज़ान टाइम टेबल के अनुसार, खत्म सहरी का समय 13 जून 2018 को 3.49 am में था। जबकि इफ्तार का समय 7.20 pm में था।
13 जून का रमज़ान 931 मिनटों का था। जबकि सेकेंडों की संख्या 55,860 होगी। 24 घंटों के दिन-रात में 64।65% समय रोजादार, रोज़े से थे।
वर्ष 2020 में भारत का सबसे लंबा रोजा श्रीनगर में हुआ था । श्रीनगर का पहला रोजा का सेहरी का समय 4:20 पर है जबकि इफ्तार का समय 7:13 का है। इस तरह से श्रीनगर का रोजा 14 घंटे 53 मिनटों का है। 2020 में, दिल्ली का रोजा 14 घंटा 31 मिनटों का है।
शरीर में पानी की कमी से क्या समस्या होती है?
शरीर में जब पानी की कमी होती है तो मुंह सूखना, प्यास लगना, कम मूत्र का त्याग, सिर दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन यह सभी आम लक्षण हैं।
जब हमारे शरीर में ज्यादा पानी की कमी हो जाती है तो मूत्र ना आना या अत्यधिक पीले रंग का मूत्र आना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन-थकान, सांस लेने में परेशानी और बेहोश होना यह सभी गंभीर लक्षण हैं।
रमजान में प्यास व भूख की सिद्दत को कैसे दूर करें
प्यास क्या होता है? पीने की ख़्वाहिश को प्यास कहते हैं। जब इंसान के शरीर में पानी की मात्रा तय सीमा से कम हो जाती है या नमक या अन्य केमिकल्स की कंसंट्रेशन बढ़ जाती है। मस्तिष्क उसे पानी पीने का संकेत देता है। जिससे मनुष्य का जीव सूखा पड़ने लगता है और उसे हम प्यास कहते हैं।
रोजादारों के लिए 24 घंटो में सिर्फ 8 से 9 घंटे का समय होता है। जिस समय वह खा और पी सकता है। वह भी 30 दिनों तक ऐसा सिलसिला चलता रहेगा। इसी 9 घंटे में पानी की कमी को पूरा करना होगा।
पानी का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि रोज़ाना कम से कम डेढ़ लीटर पानी पीना आवश्यक है। गर्मियों के दिनों में इससे ज्यादा पानी पीना चाहिए। ताकि पसीने के द्वारा निकलने वाले पानी का छतिपूर्ति हो सके।
जानिए क्या खाने से प्यास ज्यादा बढ़ता है?
अगर आप प्यास को काबू में रखना चाहते हैं तो रमजान के खाने में नमक और चीनी की मात्रा कम रखें। नमकीन मछली और अचार मनुष्य के शरीर में प्यास को बढ़ाता है।
मसालेदार खाना भी प्यास को बढ़ाता है। क्योंकि इसे डाइजेशन में पानी की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। रोजेदारों को सलाह दी जाती है कि वह ज्यादा मसालेदार खानों से दूरी बनाकर रखें।
रोजेदारों को चाय और कॉफी की मात्रा कम लेना चाहिए क्योंकि इसमें कैफीन होता है। जो किडनी की गतिविधियों को बढ़ा देता है। किडनी के फिल्ट्रेशन बढ़ने से मूत्र त्याग की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। जिस कारण ज्यादा प्यास लगता है।
इफ्तार के दौरान कोल्ड ड्रिंक का उपयोग कम से कम करना चाहिए। क्योंकि उसमें कार्बनिक एसिड होता है जिससे पेट फूल जाता है।
रोजेदारों से कहा जाता है कि वह सूरज की रोशनी से बचें। ज्यादा समय तक धूप में काम करने से पसीना ज्यादा निकलता है और उससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
प्यास कम करने के क्या उपाय जान लीजिए, आपके घर में किसी ना किसी को काम आएगा
- खाने पीने में नमक और चीनी की मात्रा कम रखें।
- इफ्तार के समय बर्फ वाला पानी या बहुत ठंडा पानी ना पिएं।
- भोजन करते समय बीच-बीच में पानी ना पिएं।
- भोजन करने के 2 घंटे के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें।
- सहरी के समय छोटी इलायची को खाएं जो आपके प्रयास को कम कर सकता है।
- ताजे़ फल प्यास को कम करता है।
- दही का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें।
- नारियल का पानी, नींबू, सलाद और तरबूज का ज्यादा ज्यादा उपयोग करें।
- कम से कम दिन में एक बार जरूर नहाए।
दूध पिलाने वाली माताएँ एवं बीमार आदमी को ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है। क्योंकि पानी के कमी से उसे अन्य स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है। डॉक्टर से भी सलाह मशवरा करना चाहिए कि आप रोजा रखने लायक स्वस्थ हैं या नहीं।
कई लोगों ने कमेंट में पूछा था कि, सौम क्या होता है?
“रोज़ा” का हिन्दी में मतलब उपवास होता है जिससे urduऔर फ़ारसी भाषा में रोज़ा कहते हैं। अरबी भाषा रोज़ा को सौम कहा जाता है।
Conclusion Point
दोस्तों, मैं अंत में कहना चाहूंगा कि आप अपने इस 8 घंटे का सही से उपयोग करें, ताकि आपके शरीर को पानी की कमी ना हो और उसके साथ-साथ रोजा रखने में भी आपको परेशानी ना हो।
अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें। ताकि रोजेदारों की परेशानी थोड़ा कम हो सके। रमजान से संबंधित अन्य लेख के लिंक्स नीचे दिए गए हैं। कृपया इसे भी एक बार जरूर पढ़ें।