क्या आप लिंग अनुपात से संबंधित सामान्य ज्ञान जानना चाहते हैं? Essay On Linganupat In Hindi शब्दों से तात्पर्य है कि आप लिंग अनुपात पर लेख लिखना चाहते हैं?
ना जाने आप में से कितने लोग ऐसे भी हैं जो Linganupat in India शब्दों के जरिए जानना चाहते हैं कि, भारत और उनके राज्यों का लिंगानुपात कितना है?
दोस्तों, इस लेख में लिंग अनुपात से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी दी गई है। अगर आप इस लेख को आखिर तक पढ़ेंगे तो आपको लिंग अनुपात से संबंधित लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।
सही मायने में लिंग अनुपात क्या होता है?
लिंगानुपात का मतलब – प्रति एक हज़ार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात कहते हैं।
अनुपात का अर्थ – अगर लिंगानुपात भारत का 943 है, इसका मतलब यह हुआ कि 1000 पुरुष पर सिर्फ 943 महिलाएं हैं।
लिंग अनुपात के सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ों जान लीजिए, परीक्षा में बहुत काम आएगा
- भारत के जनसंख्या का लिंगानुपात – 940
- भारत में सबसे कम लिंगानुपात वाला केंद्र शासित प्रदेश – दमन और दीव – 618
- भारत में सबसे ज्यादा लिंगानुपात वाला केंद्र शासित प्रदेश का नाम पांडिचेरी – 1,038 है।
- भारत में सबसे कम लिंगानुपात वाला राज्य – जम्मू और कश्मीर – 883
- भारत में सबसे ज्यादा लिंगानुपात वाला राज्य – केरल – 1,084
- भारत में सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला – महेंद्रगढ़, हरियाणा – 775
अगर बात करें चीन की, जहाँ पर सिर्फ एक ही संतान पैदा करने का कानून है। 2014 में हर 100 लड़कियों में जन्में 115.88 लड़के हैं। पूरी दुनिया की जनसंख्या के लिए लिंग अनुपात 100 महिलाओं के लिए 101 पुरुष है।
भारत के राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के जनसंख्या का लिंग अनुपात याद कर लीजिए
- केरल – 1,084
- पौण्डिचेरी – 1,038
- तमिल नाडु – 995
- आन्ध्र प्रदेश – 992
- छत्तीसगढ़ – 991
- मणिपुर – 987
- मेघालय – 986
- उड़ीसा – 978
- मिज़ोरम – 975
- हिमाचल प्रदेश – 974
- कर्णाटक – 968
- गोवा – 968
- उत्तराखण्ड – 963
- त्रिपुरा – 961
- असम – 954
- लक्षद्वीप – 946
- झारखण्ड – 947
- पश्चिम बंगाल – 947
- नागालैण्ड – 931
- मध्य प्रदेश – 930
- राजस्थान – 928
- महाराष्ट्र – 925
- अरुणाचल प्रदेश – 920
- गुजरात – 918
- बिहार – 916
- उत्तर प्रदेश – 908
- पंजाब – 893
- सिक्किम – 889
- जम्मू और कश्मीर – 883
- अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह – 878
- हरियाणा – 877
- दिल्ली – 866
- चण्डीगढ़ – 818
- दादर और नागर हवेली – 775
- दमन और दीव – 618
- लद्दाख –
भारत के किस जिले में 1000 लड़कों के अनुपात में सिर्फ 618 लड़कियाँ हैं?
दमन और दीव एक केंद्र शासित प्रदेश है। 2,43,247 जनसंख्या है जिस में पुरुषों की संख्या 1,50,301 है। जबकि महिलाओं की संख्या सिर्फ 92,946 है।
अगर लिंग अनुपात की बात करें तो सिर्फ यह आंकड़ा 618 तक पहुंच चुका है। इसका मतलब यह हुआ कि 383 पुरुष कभी भी महिलाओं के शादी नहीं कर पाएंगे।
भारत में सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला – महेंद्रगढ़, हरियाणा का है। जहां पर हर एक हजार पुरुष पर सिर्फ 775 महिलाएं हैं। यानी कि यह कह सकते हैं कि 225 पुरुष ऐसे होंगे जो कभी भी महिलाओं के साथ अपने जिला में शादी नहीं कर पाएंगे।
आने वाले समय में लिंग अनुपात में सुधार होगा
डिजिटल युग ने लोगों को बहुत ज्यादा जागरूक किया है खास करके इसमें सोशल मीडिया, गूगल और यूट्यूब का बड़ा योगदान रहा है.
स्मार्टफोन के प्रसिद्ध होने से ग्रामीण इलाकों में भी सरकार की जो बातें होती हैं. वह बड़ी आसानी से पहुंच जाती हैं यही कारण है कि लोग जागरूक हो रहे हैं.
जागरूकता नतीजा की है कि भ्रूण हत्या अब भारत में बहुत तेजी से घट रहा है. इसे बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आने वाले समय में लिंग अनुपात में काफी सुधार देखने को मिलेगा.
महिलाओं में खास करके शिक्षा में सुधार होने की यह खास वजह माना जा रहा है, जैसा कि बिहार के मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर महिला शिक्षित होगी तो बेटियों की हत्या रुकेगी उसका उदाहरण बिहार है.
Conclusion Points
दोस्तों, मैं उम्मीद करता हूं कि आपको Ling Anupat 2023 से संबंधित लेख पसंद आया होगा। भारत से संबंधित अन्य लेख के लिंक नीचे दिए गए हैं, कृपया इसे भी एक बार ज़रुर पढ़ें।
गुड न्यूज़: विकिपीडिया वेबसाइट के अनुसार, लिंगानुपात अब सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, दिसंबर 2021 के अनुसार भारत में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं।
किसी भी population में पुरुष से महिला का अनुपात एक महत्वपूर्ण कारक है जो समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। यह सामाजिक संतुलन बनाए रखने और दोनों लिंगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। किसी भी आबादी में पुरुष से महिला का आदर्श अनुपात 1:1 होना चाहिए, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।
कुछ देशों और क्षेत्रों में, सांस्कृतिक प्रथाओं जैसे पुरुष बच्चों की वरीयता या लिंग आधारित भेदभाव के कारण महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या अधिक है।
दूसरी ओर, कुछ क्षेत्रों में प्रवास पैटर्न या युद्ध संबंधी हताहतों की संख्या के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है। दोनों ही मामलों में, पुरुष से महिला के अनुपात में असंतुलन से सामाजिक समस्याएँ बढ़ सकती हैं जैसे अपराध दर में वृद्धि और जन्म दर में कमी।
नीति निर्माताओं और समाज के लिए बड़े पैमाने पर पुरुष से महिला के संतुलित अनुपात को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है।