खूनी रविवार क्या है, पूरी बात जानना चाहते हैं तो कृपया अंत तक जरूर पढ़ें। खूनी रविवार का इतिहास का ताल्लुक रूस के राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग है, जो 22 जनवरी, 1905 को घटित हुआ था। वह दिन रविवार था। इसीलिए इसे खूनी रविवार कहते हैं।
कब और कहां हुआ था?
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Khuni Ravivar Ki Ghatna In Hindi
Khuni Ravivar के दिन क्या हुआ था? श्रमिकों के शांतिपूर्ण जुलूस पर रशियन सैनिकों ने गोलियाँ चलायीं थी। जिस के कारण सैकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गये और हजारों की संख्या में घायल हुए थे।
फादर गेपन ने श्रमिकों आर्थिक समस्याओं को जार सरकार के बातचीत से सुलझाना चाहते थे लेकिन वार्ता विफल हो गई। श्रमिकों के विभिन्न वर्ग ने फैसला लिया हम लोग शांतिपूर्ण ढंग से सरकार के खिलाफ हड़ताल करेंगे।
हड़ताली श्रमिकों ने एक बड़ा जुलूस निकाला जिससे पूरा सेंट पीटर्सबर्ग, आंदोलनकारियों से भर चुका था। धीरे धीरे धीरे राजा के महल के तरफ बढ़ना शुरू हो गया था।
जार सरकार के सैनिकों ने निहत्था श्रमिकों पर गोलियाँ की बारिश कर दिया जिससे महल के सामने का मैदान पूरी तरह खून से लबालब हो गया था। बचे हजारों प्रदर्शनकारियों को सलाखों के बीच में धकेल दिया गया।
यह दर्दनाक घटना पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ था। वह दिन रविवार का था, इसीलिए इतिहासकारों ने इस क्रांति को खूनी रविवार कहते हैं।
खूनी रविवार की घटना में कितने लोगों की मौत हुई थी?
कितने प्रदर्शनकारियों को मारा गया, यह संख्या अनिश्चित है। ज़ार के अधिकारियों ने अनुसार, 96 मृत और 333 घायल बताया गया था। सरकार विरोधी स्रोतों ने 4,000 से अधिक मृतकों का दावा किया था। ज़ार के अधिकारियों द्वारा कई हताहतों को गुप्त रूप से दफनाया गया दिया गया था।
हताहतों एवं मरने वालों की संख्या पर लोगों की राय अलग-अलग है. अगर आप किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उसके एग्जाम में आपसे प्रश्न पूछा जाता है कि खूनी रविवार के आंदोलन में कितने लोगों की मौत हुई थी? आपका उत्तर 96 होना चाहिए.
इस क्रांतिकारी घटना का क्या प्रभाव हुआ था?
ज़ार को कभी “लिटिल फादर” के रूप में देखा जाता था। इस घटना के बाद लगभग सब कुछ बदल चुका था। उनके निरंकुश शासन के प्रति कटुता बढ़ गई। एक व्यापक रूप से उद्धृत प्रतिक्रिया थी “हमारे पास अब ज़ार नहीं है”।
इस घटना को ब्रिटिश राजदूत ने रूस में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने और 1905 की क्रांति में योगदान के रूप में देखा था। ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में मीडिया कमेंटरी पहले से ही अलोकप्रिय शासन के कार्यों के प्रति अत्यधिक नकारात्मक थी।
जैसा कि आपने भारत में ही देखा होगा अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद भारतीय राजनीति में बदलाव हुआ था. उसी तरह रूस में भी इस क्रांति का असर बहुत लंबे समय तक हुआ था. याद रखिए हर क्रांति बदलाव के लिए होता है. जब भी समाज को ऐसा लगता है बदलाव हो के ही रहता है.
Conclusion Point
सेंट पीटर्सबर्ग के लोगों पर खूनी रविवार का प्रभाव महत्वपूर्ण था। यह घटना 22 जनवरी, 1905 को हुई और रूसी क्रांति में एक प्रमुख मोड़ थी।
शाही सेना द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के नरसंहार ने रूस के लोगों को झकझोर दिया और आक्रोशित कर दिया, और उस क्रांति को भड़काने में मदद की जो अंततः tsarist शासन को गिरा देगी।
एक बार आप को संक्षिप्त में बता दें कि खूनी रविवार का इतिहास का ताल्लुक रूस के राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग है, जो 22 जनवरी, 1905 को घटित हुआ था। वह दिन रविवार था। इस घटना में करीब 96 लोगों की मौत हुई थी.
रविवार के दिन की असली कहानी पढ़ करके अच्छा लगा, आपका धन्यवाद.
आपका भी धन्यवाद