प्रिय मित्र क्या आप, जनसंख्या पर निबंध लिखने का सोच रहे हैं? जनसंख्या वृद्धि क्या है? जनसंख्या वृद्धि के सभी कारणों को जानना चाह रहे हैं? जनसंख्या वृद्धि पर आप सामान्य ज्ञान को मजबूत करना चाह रहे हैं?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इस लेख में मिलेगा। भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है. आबादी के मामले में भारत के बाद दूसरे स्थान पर है. जनसंख्या पर निबंध लिखना लगभग सभी परीक्षाओं में एक महत्वपूर्ण प्रश्न बन चुका है. आपके लिए यह लेख उत्तम है। कृपया आखिर तक ज़रूर पढ़ें।
Jansankhya Vriddhi Par Nibandh – जनसंख्या वृद्धि के निबंध अलावा जाने की सही मायने में जनसंख्या वृद्धि दर का परिभाषा क्या होता है.
जनसंख्या पर निबंध कैसे लिखें
जनसंख्या वृद्धि पर निबंध लिखना कई छात्रों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। इस विषय पर निबंध लिखने का प्रयास करने से पहले विषय की जटिलताओं को पहचानना और इसकी समझ विकसित करना महत्वपूर्ण है।
परिचय में विषय वस्तु के बारे में कुछ पृष्ठभूमि की जानकारी शामिल होनी चाहिए और स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए कि निबंध किस पर केंद्रित होगा।
यह पाठक को आपके लेखन के संदर्भ को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा और उन्हें सामग्री के संदर्भ में क्या अपेक्षा की जाए, इसका बेहतर विचार देगा।
एक बार जब आप अपने विषय की पहचान कर लेते हैं, तो अपने तर्क या थीसिस स्टेटमेंट के लिए एक मजबूत नींव बनाने के लिए इसे पूरी तरह से शोध करना शुरू करना आवश्यक है।
शोध में विद्वानों के लेखों और अन्य विश्वसनीय स्रोतों को पढ़ना शामिल होना चाहिए जो साक्ष्य-आधारित डेटा प्रदान करते हैं और जनसंख्या वृद्धि के रुझान में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ साक्षात्कार आयोजित करने से यह भी मूल्यवान अंतर्दृष्टि मिल सकती है कि आपके तर्क या थीसिस कथन को सर्वोत्तम तरीके से कैसे तैयार किया जाए।
परिचय के बाद यथास्थिति को लिखना चाहिए। उसके बाद उसके कारणों को व्यवस्थित ढंग से लिखना चाहिए। निष्कर्ष में उसके पॉजिटिव एवं नेगेटिव पॉइंट्स को जरूर लिखना चाहिए।
जनसंख्या वृद्धि दर क्या है?
“जनसंख्या वृद्धि दर” वह दर है, जिस में व्यक्तियों की संख्या एक निश्चित अवधि में बढ़ जाती है। प्रारंभिक आबादी के एक अंश के रूप में व्यक्त की जाती है।
जनसंख्या वृद्धि दर सूत्र
- जनसंख्या वृद्धि दर = (जन्म दर + आप्रवासन) – (मृत्यु दर + उत्प्रवासन)।
भारत के जनगणना में, जनसंख्या वृद्धि दर 10 सालों का निकाला जाता है। जबकि इसे प्रतिवर्ष अभी निकाला जा सकता है।
भारत का जनसंख्या वृद्धि कितना है?
2011 के जनगणना के अनुसार (2001 से 2011), भारत जनसंख्या वृद्धि दर 17.64% रहा है। जबकि पिछले दशक में (1991 से 2001) 21.54% था। पिछले दो दशकों को देखें तो जनसंख्या वृद्धि दर में 3.9% गिरावट देखा गया है।
जनसंख्या वृद्धि में यह गिरावट मुख्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए जिम्मेदार है, जिसने भारत में अधिक लोगों को जन्म नियंत्रण और परिवार नियोजन का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया है।
इसके अलावा, सब्सिडी वाली स्वास्थ्य सेवा और गर्भनिरोधक तक पहुंच में सुधार जैसी प्रभावी सरकारी नीतियों ने भी इस गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत की जनसंख्या वृद्धि दर का धीमा होना कई कारणों से एक स्वागत योग्य विकास है। इसका मतलब है कि नौकरियों, आवास, भोजन और पानी की आपूर्ति जैसे संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले कम लोग होंगे – जिससे सभी नागरिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी।
भारत में हिंदू जनसंख्या वृद्धि दर कितना है?
2011 के जनगणना के अनुसार (2001 से 2011), भारत में हिन्दू जनसंख्या वृद्धि दर 16.76% रहा है। जबकि पिछले दशक में (1991 से 2001) 19.92% था। पिछले दो दशकों को देखें तो जनसंख्या वृद्धि दर में 3.16% गिरावट देखा गया है।
भारत में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर कितना है?
2011 के जनगणना के अनुसार (2001 से 2011), भारत में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 24.6% रहा है। जबकि पिछले दशक (1991 से 2001) 29.52% था। पिछले दो दशकों को देखें तो जनसंख्या वृद्धि दर में 4.92% गिरावट देखा गया है।
भारत के किस राज्य में सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर है?
अगर भारत के राज्यों की बात करें सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर (27.8 %) मेघालय का है। अगर केंद्र शासित प्रदेश की बात करें तो सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर (55.5%) दादरा और नगर हवेली का है। भारत के बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर (25.1%) बिहार में है।
दुनिया का जनसंख्या वृद्धि दर कितना है?
दुनिया में जनसंख्या वर्तमान में (2021) प्रति वर्ष लगभग 1.12% की दर से बढ़ रही है। जबकि वर्ष 2016 में 1.14% था। अगर पिछले 10 सालों का आंकड़े को मिला कर देखें तो 11 से 12% के बीच रहा है।
यूएन डीईएसए की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व की जनसंख्या 2030 तक 8.5 अरब, 2050 में 9.7 अरब और 2100 में 11.2 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा यह भी संभावना व्यक्त की गई है कि 2032 तक भारत की जनसंख्या चीन को पार कर जाएगा।
2050 तक जनसंख्या की स्थिति क्या होगी?
1991 से 2001 के 10 सालों में हिंदू जनसंख्या वृद्धि दर 19. 92% और मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 29. 52% रहा था, जिसमें प्रतिशत में अंतर 9.6 का रहा था।
2001 से 2011 के 10 सालों में हिंदू जनसंख्या वृद्धि दर 16. 76% और मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर 24. 6% रहा था, जिसमें प्रतिशत में अंतर 7.84 का रहा था।
अगर दोनों दर्शकों का अंतर देखे तो पता चलता कि 9.6 – 7.84 = 1.76 है। 2021 के जनगणना में लगभग 2 प्रतिशत का अंतर रहेगा।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की आबादी का 79.8% हिंदू धर्म मानते हैं और 14.2% इस्लाम धर्म मानते हैं। जबकि शेष 6% अन्य धर्मों (ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और विभिन्न स्वदेशी आस्था वाले धर्मों) को मानते हैं।
भारत में लगभग 96.63 करोड़ हिंदू हैं, जबकि लगभग 17.22 करोड़ मुसलमान हैं।
इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि मुस्लिम पापुलेशन 2050 तक काफी तेजी से बढ़ेगा। जबकि हिंदू पापुलेशन मुसलमानों की अपेक्षा कम तेजी से बढ़ेगा।
जनसंख्या वृद्धि के कारणों को जान लें
जनसंख्या बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। जिसे नीचे लिखा गया है। इसके अलावा भी जनसंख्या बढ़ने के कारण हो सकते हैं।
धर्म और संस्कृति
भारत की जनसंख्या में अलग-अलग धर्म एवं संस्कृति के लोग रहते हैं। जनसंख्या नियंत्रण करने के साधनों में कमी नहीं है। लेकिन हमारा धर्म और संस्कृति इसके बाधक बन जाते हैं। दूरदराज के गांव कस्बों में रहने वाले लोगों तक गर्भनिरोधक की सही जानकारी भी नहीं पहुंच पाता है।
मृत्यु दर में कमी
भारत में पिछले कई दशकों से मेडिकल सुविधाएँ बढ़ा है। जिनके कारण भारत में मृत्यु दर में काफी कमी आया है। उसके साथ लोगों की आय भी बढ़ा है। जिससे उनका रहन-सहन और खान-पान पहले से काफी बेहतर हुआ है।
जन्म दर में तेजी
भारत के पिछले कई दशकों जनसंख्या विस्फोट के नाम से जाना गया। लेकिन उसका रफ्तार आज भी कम नहीं हुआ है। आज भी जन्म दर अन्य देश के मुकाबले भारत में ज्यादा है।
जल्द विवाह
भारत में विवाह के लिए कानून लड़कों के लिए 21 वर्ष है।लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 वर्ष से बड़ा करके 21 वर्ष की गई है.
नॉर्थ ईस्ट के कुछ स्टेट में यह आयु सीमा इस से भी कम है। दहेज व धार्मिक कारणों के कारण लोग जल्दी विवाह कर लेते हैं। पहले के दशकों में देखा गया था कि बाल विवाह ज्यादा होता था।
गरीबी और निरक्षरता
गरीबी भी बहुत बड़ा कारण है। बेटी के पिता अपने बेटी की शादी जल्द से जल्द करवाने की सोचते हैं। लड़कियों के शिक्षा पूरा होने से पहले ही उसकी शादी कर दी जाती है।
अपने देश में शिक्षा की कमी किसी से छुपा नहीं है। अशिक्षित लोग गर्भनिरोधक का प्रयोग करने में सार्थक नहीं होते हैं। ना ही वह मानसिक रूप से तैयार होते हैं कि हमें बच्चे कम हो।
ज्यादा बच्चों की प्रवृत्ति भी देखी जाती है। उसे लगता है कि अगर हमारे बच्चे ज्यादा होंगे तो हमारे कमाने वालों का स्रोत भी बढ़ेगा। उसके साथ हमें सरकारी योजनाओं का भी लाभ ज्यादा मिलेगा।
क्योंकि भारत में परिवार की संख्या के हिसाब से कुछ सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है। बिहार, भारत का सबसे कम साक्षरता वाला राज्य है। उसी कारण वहां का जनसंख्या वृद्धि दर 25.1 प्रतिशत है।
कमजोर मानसिकता
जनसंख्या वृद्धि में सांस्कृतिक आदर्शों का भी काफी महत्व रहा है। क्योंकि भारत में यह माना जाता है कि पुत्र कमाई का स्रोत होता है।
उसके लिए वह कई प्रयास करते हैं। कई धर्म ऐसे भी हैं जहां पर लोग जनसंख्या नियंत्रण के सभी तरीकों को अपनाने से एतराज़ करते हैं।
अवैध प्रवास
भारतीय सीमाओं के आसपास ज्यादातर गरीब देश हैं। वहां के लोग अवैध रूप से भारत में प्रवास करते हैं। उनकी जनसंख्या तेजी से बढ़ रहा है जो एक चिंता का विषय हो सकता है।
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय की कमी
जनसंख्या नियंत्रण के सभी उपायों की जानकारी अभी भी गांव के लोगों में नहीं है। जिस कारण जनसंख्या का नियंत्रण होना मुश्किल हो रहा है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत ऐसा है जहाँ पर लोग जनसंख्या नियंत्रण की बात खुलकर नहीं कर सकते हैं। वैसे मैं सरकार का तारीफ करना होगा कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर अंकुश लगाया है।
बढ़ती जनसंख्या: भारत में तीव्र विकास की चुनौतियों का सामना
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसकी जनसंख्या वृद्धि समान रूप से प्रभावशाली रही है। इस तीव्र जनसांख्यिकीय परिवर्तन ने भारत के विकास के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों बढ़ा दी हैं।
आर्थिक विकास और विकास की अपनी वर्तमान दर को बनाए रखने के लिए, भारत को अपनी बढ़ती जनसंख्या से संबंधित कई मुद्दों से निपटना चाहिए, जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल प्रावधान, शिक्षा विस्तार और रोजगार के अवसर शामिल हैं।
भारत की शहरीकरण दर एक खतरनाक दर से बढ़ रही है और अगर इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया तो यह सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव डाल सकती है।
दिल्ली, बैंगलोर और मुंबई जैसे शहरों में भीड़भाड़ के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली चिकित्सा देखभाल की बढ़ती मांग का सामना करने के लिए संघर्ष कर रही है।
Conclusion Point
प्रगतिशील देशों में जनसंख्या वृद्धि एक अभिशाप के रूप में लिया जाता है। भारत का जनसंख्या वृद्धि दर अन्य विकासशील देशों से कहीं ज्यादा है। तेज विकास के साथ जनसंख्या नियंत्रण होना भी आवश्यक है।
India Government ने अभी तक जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर नियम नहीं बनाया है। उम्मीद क्या जा रहा है कि भारतीय संसद में जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कोई बिल के बारे में सुनने को मिल सकता है।