Hindi letter writing format शब्दों के जरिए, अगर आप हिंदी पत्र के प्रारूप को समझना चाहते हैं तो आपके लिए यह एक बेहतरीन लेख है।
Hindi Letter Format kiya hota hai? अक्सर लोग यह प्रश्न पूछते हैं? फॉर्मेट को हिंदी में प्रारूप या प्राथमिक रूप या मसौदा कहते हैं। हिंदी लेटर राइटिंग इंग्लिश लेटर राइटिंग से थोड़ा अलग हे , आप को लेख के अंत तक में यह बात समझ में आ जाएगा।
How to write a letter in Hindi?
पत्र लेखन की आवश्यकताओं समझ जाइए आपका पत्र लेखन बिल्कुल आसान हो जाएगा
ज्यादातर पाठक इस लेख को परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए पढ़ते हैं। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि पत्र लेखन ऐसा कला है जिसमें एक मनुष्य अपने भावों को दूसरे के सामने प्रदर्शित करता है। अपने भावनाओं को आप दूसरों के सामने शब्दों के जरिए रखते हैं।
अब आप सोचते होंगे कि आज इंटरनेट के समय हम ईमेल या WhatsApp करते हैं, हिंदी पत्र लेखन की क्या आवश्यकता है। आप का मातृभाषा हिंदी है, आप जब कभी अपने विचार हिंदी भाषा में रखते हैं तो वह किसी अन्य भाषा से ज्यादा बेहतर होता है। हिंदी पत्र लेखन परीक्षाओं में अच्छे नंबरों के अलावा आपको अपनी भावनाओं एवं विचारों को शब्दों में रखना सिखाता है।
Hindi Letter Format – स्टेप बाय स्टेप समझिए
पत्र लेखन के आवश्यक तत्व, हिंदी पत्र के प्रारूप और पत्र के भाग को समझने के बाद आप किसी प्रकार के भी पत्र लिख सकते हैं।
पत्र लेखन के आवश्यक तत्
पत्र लिखना आसान काम है लेकिन एक अच्छा पत्र लिखना बहुत ही मुश्किल काम है। साइंस के न्यूमेरिकल सॉल्व करते समय आपको कई चीजों का ध्यान रखना होता है, उसी प्रकार, पत्र लेखन में भी उसके आवश्यक तत्वों पर ध्यान देना जरूरी है.
उद्देश्य
पत्र लेखन में उद्देश्य का होना आवश्यक है, अपने आप से पूछिए कि यह पत्र मैं क्यों लिख रहा हूं ? अपने उद्देश्यों को सटीक शब्दों के जरिए अंत में रखिए।
शैली
पत्र लिखने की शैली में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पत्र लिखने वाले का और जिसके पास पत्र भेजा जा रहा है, इन दोनों के बीच क्या संबंध है?
जिसके पास पत्र भेजा जा रहा है उस व्यक्ति का या संस्था का गौरव एवं गरिमा का सदैव ध्यान रखना चाहिए। व्यक्तिगत पत्र लेखन में सरलता के साथ साथ बातचीत के ढंग होने चाहिए जबकि व्यापारिक पत्र लेखन में संक्षिप्ता एवं प्रार्थना पत्र में गंभीरता होना आवश्यक है।
सहजता
पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए जो बात आप पत्र में लिख रहे हैं, पढ़ने वाले को सही ढंग से समझ में आना चाहिए। जिस उद्देश्य के लिए आप पत्र लिख रहे हैं, वह उद्देश्य पढ़ने वाले को पूरी तरह समझ में आना चाहिए।
शिष्टाचार
आपके पत्र लेखन में शिष्टाचार अवश्य होना चाहिए चाहे आप स्कूल के प्रधानाध्यापक को लिख रहे हो या फिर अपने छोटे भाई को लिख रहे हो।
व्याकरण
भाषा की शुद्धता का भी ध्यान जरूरी है, अगर व्याकरण से संबंधित अशुद्धियां है तो ऐसे पत्र को कभी अच्छा नहीं माना जाता है।
पत्र के भागों जानिए, यह आपके काम को आसान कर देगा
जिस पत्र में सुलेख के नियमों का ध्यान रखा जाता है उस पत्र को प्रभाव अधिक होता है। हिंदी पत्र लेखन को तीन भागों में बांटा जाता है.
- आरंभ
- मध्य
- अंत
आरंभ | अंत | |
माता-पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा-चाची, मामू मामू, सास ससुर और बड़े शाला एवं साली | माननीय, आदरणीय, पूज्यनीय, पूज्य, परम पूज्य और परम आदरणीय | आपका सदैव आज्ञाकारी, स्नेह पात्र, स्नेह भाजक, सेवक कृपा-पात्र और स्नेहाकांक्षी |
मित्र या दोस्त | प्रिय
मित्र, मित्रवर, प्रिय बंधु, बंधुवर या प्रिय |
तुम्हारा अपना ही, अभिन्न प्राण, अभिन्न ह्दय, और तुम्हारा ही |
पति या पत्नी | प्रिय प्राण, प्रियतमे, प्राण वल्लभे, चिर सहचरी, और प्राणेशवरी | आपकी चिर संगिनी, अभिन्न ह्दया, तुम्हारा ही और तुम्हारी ही |
परिवार या रिश्तेदार में किसी छोटे | प्रिय, परम प्रिय और प्रियवर | तुम्हारा शुभचिंतक, शुभाकांक्षी और शुभचिंतक |
व्यावसायिक पत्र | श्रीमान जी, महोदय, प्रिय महोदय, माननीय महोदय और प्रबंधक महोदय | भवदीय, निवेदक और आपका |
आरंभ
पत्र के आरंभ में संबोधन, अभिवादन, आशीर्वाद, स्थान और दिनांक आदि का उल्लेख किया जाता है। औपचारिक पत्र लेखन में विषय का भी होना आवश्यक है।
मध्य
पत्र के मध्य भाग में जिस उद्देश्य के लिए पत्र लिखा जाता है उस उद्देश्य को पूर्ण रूप से लिखा जाता है ।
अंत में
औपचारिक पत्रों में निवेदन लिखना आवश्यक होता है। पत्र लिखने वाले को अपना नाम के साथ जिसको पत्र लिख रहे हैं उसके साथ संबंध स्थापित करने के लिए जैसे तुम्हारा, तुम्हारा ही, तुम्हारा अपना या आपका आज्ञाकारी आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
पत्र लेखन कितने प्रकार के होते हैं?
- अनौपचारिक पत्राचार – Informal
- औपचारिक पत्राचार – Formal
अनौपचारिक पत्र, उसे लिखा जाता है जिससे हमारा व्यक्तिगत संबंध को जैसे परिवार के लोग, मित्र एवं निकट संबंधी ।
औपचारिक पत्र उसे लिखा जाता है जिससे हमारा व्यक्तिगत संबंध नहीं हो जैसे प्रधानाध्यापक को आवेदन पत्र, व्यावसायिक पत्र और सरकारी पत्र आदि ।
Patra Lekhan In Hindi – Sample & Examples
Patra Lekhan in Hindi इन बातों का रखें जरूर ध्यान, जिससे आप किसी भी प्रकार के पत्र को लिख सकते हैं। पत्र लेखन में अनौपचारिक पत्र लिखने के लिए किन बातों का ध्यान रखें।
पत्र के आरंभ में
परिवार के बड़े को पत्र
अगर आप पत्र माता-पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा-चाची, मामू मामू, सास ससुर और बड़े शाला एवं साली को लिख रहे हैं तो शुरुआत में – माननीय, आदरणीय, पूज्यनीय, पूज्य, परम पूज्य और परम आदरणीय (इनमें से कोई भी एक) आदि शब्द के साथ शुरुआत कर सकते हैं।
मित्र को पत्र
अगर आप पत्र मित्र या दोस्त को लिख रहे हैं तो शुरुआत – प्रिय मित्र, मित्रवर, प्रिय बंधु, बंधुवर या प्रिय शब्द से कर सकते हैं।
पति या पत्नी को पत्र
अगर आप अपने पति या अपनी पत्नी को पत्र लिख रहे हैं तो शुरुआत – प्रिय प्राण, प्रियतमे, प्राण वल्लभे, चिर सहचरी, और प्राणेशवरी शब्द के प्रयोग कर सकते हैं।
अपने छोटे को पत्र
अपने परिवार या रिश्तेदार में किसी छोटे को अगर आप पत्र लिख रहे हैं तो शुरुआत – प्रिय, परम प्रिय और प्रियवर शब्द का प्रयोग कर सकते हैं।
पत्र के अंत में
परिवार के बड़े को पत्र
अगर आप पत्र माता-पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा-चाची, मामू मामू, सास ससुर और बड़े शाला एवं साली को लिख रहे हैं तो अंत में – आपका सदैव आज्ञाकारी, स्नेह पात्र, स्नेह भाजक, सेवक कृपा-पात्र और स्नेहाकांक्षी (इनमें से कोई एक) आदि शब्द के साथ अंत कर सकते हैं।
मित्र को पत्र
अगर आप पत्र मित्र या दोस्त को लिख रहे हैं तो अंत – तुम्हारा अपना ही, अभिन्न प्राण, अभिन्न ह्दय, और तुम्हारा ही, शब्द से कर सकते हैं ।
पति या पत्नी को पत्र
अगर आप अपने पति या अपनी पत्नी को पत्र लिख रहे हैं तो अंत – आपकी चिर संगिनी, अभिन्न ह्दया, तुम्हारा ही और तुम्हारी ही, शब्द के प्रयोग कर सकते हैं।
अपने से छोटे को पत्र
अपने परिवार या रिश्तेदार में किसी छोटे को अगर आप पत्र लिख रहे हैं तो अंत – तुम्हारा शुभचिंतक, शुभाकांक्षी और शुभचिंतक, शब्द के प्रयोग कर सकते हैं।
हिंदी पत्र लेखन में अनौपचारिक पत्र लेखन में इन बातों का ध्यान रखें
व्यावसायिक पत्र
आप किसी भी विक्रेता, बैंक मैनेजर या किसी अन्य व्यापारी को पत्र लिखना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत में – श्रीमान जी, महोदय, प्रिय महोदय, माननीय महोदय और प्रबंधक महोदय, इनमें से कोई एक शब्द से शुरुआत कर सकते हैं. जबकि अंत में भवदीय, निवेदक और आपका आदि शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं।
आवेदन पत्र
आप प्रधानाध्यापक या संबंधित अधिकारी को आवेदन पत्र लिखना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत श्रीमान जी, महोदय, मान्यवर और माननीय महोदय में से किसी एक शब्द से शुरुआत कर सकते हैं जबकि अंत में विनीत, प्रार्थी, भवदीय, और आपका आज्ञाकारी शब्द का प्रयोग कर सकते हैं।
कार्यालय के लिए पत्र
अगर आप किसी कार्यालय के अधिकारी को पत्र लिखना चाहते हैं इसकी शुरुआत में आदरणीय संपादक, महोदय, मान्यवर महोदय के साथ उसके पोस्ट को जोड़ दें। अंत में भवदीय, प्रार्थी, कृपाकांक्षी, निवेदक और विनीत जैसे शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं।
किसी भी प्रकार के पत्र लेखन में हाशिये की पर्याप्त मात्रा छोड़ना आवश्यक होता है और अनौपचारिक पत्र में विषय लिखना अत्यंत आवश्यक है।
Conclusion Point
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- एक पत्र का लक्ष्य सूचना या भावनाओं को संप्रेषित करना है।
- एक पत्र संक्षिप्त और व्यवस्थित होना चाहिए।
- सुनिश्चित करें कि उचित व्याकरण और वर्तनी का उपयोग करें।
- अपने पत्रों को अनौपचारिक और आकर्षक रखें।
लेख का सारांश – पत्र लेखन में उद्देश्य का होना आवश्यक है, अपने आप से पूछिए कि यह पत्र मैं क्यों लिख रहा हूं? अपने उद्देश्यों को सटीक शब्दों के जरिए अंत में रखिए।