इस आर्टिकल के जरिए आज हम लोग गुसल करने का इस्लामिक तरीका जानेंगे. इस आर्टिकल में, हमने नियत, फराइज, सुन्नत और मकरूहात के बारे में लिखा है.
मसनून तरीके से गुसल करना क्यों जरूरी है? इस्लाम में गुसल यानि (नहाना) तब जरूरी होता है, जब हम लोग नापाक हो जाते हैं. हर मुसलमान को नापाकी के एक-एक मिनट का हिसाब देना होगा. इसलिए बिना देर किए हुए, जल्द से जल्द नापाकी से पाकी हासिल करने के लिए गुसल कर लेना चाहिए.
इस्लाम में ग़ुस्ल करना कब लाज़मी करार दिया गया है?
- अगर किसी भी वजह से रात को एहतलाम हो जाये.
- बीवी से सोहबत करने के बाद
- औरत के हैज़ (महामारी) के बंद हो जाने के बाद और निफ़ास का खून बहना (पैदाइश के बाद बहने वाला खून) बंद हो जाए.
ग़ुस्ल करने का नियत
नियत करें, वाजिब ग़ुस्ल हो तो यह कहें, नापाकी दूर करने के लिए गुसल करता हूं. पाक हो जाए तो यह कहें, अल्लाह को राजी करने के लिए और षवाब करने के लिए गुसल करता हूं.
गुसल करने का मसनून तरीका
- पहले दोनों हाथों को पोंहचो तक तीन बार धोएं.
- पेशाब और पाखाने की जगह धोये चाहे नापाकी ना लगी हो.
- फिर बदन के किसी भी हिस्से में नापाकी लगी हो उसे धो लें.
- अगर रोजे की हालत में नहीं है तो, तीन बार गलगला करें और अगर रोजे की हालत में है तो तीन बार कुल्ली करें
- नाक की नर्म हड्डी तक तीन बार पानी पहुंचाया और उसे अच्छे से साफ करें
- वजू करने के लिए आगे कुछ करने की जरूरत नहीं है. खुद ब खुद हो जाएगा.
- पहले सर पर पानी डालें.
- फिर दाएं कंधे और फिर बाएं कंधे पर पानी डालें.
- सर और कंधे पर इतना पानी डाले कि, पांव तक पहुंच जाए.
- फिर बदन को हाथ से मिले, पानी डालें ऐसा 3 बार करें.
- कोशिश करें कि पूरे बदन में, बाल बराबर जगह सूखी ना रहे.
- जिस्म कि चोर जगह जैसे आंख का ऊपरी हिस्सा, कान के पीछे, काख, नाभि, दोनो काछ, पीछे का हिस्सा और पांव की एड़ी पर अपना हाथ जरूर फेरें.
ग़ुस्ल के फराइज कितने हैं?
गुसल में तीन चीजों को फर्ज किया गया है. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो, आप का उसूल नहीं होगा.
- मुँह भर कर कुल्ली करना ताकि मुंह के हर हिस्से में अच्छे से पानी पहुंच जाए.
- नाक के नरम हड्डी तक पानी पहुंचाना
- पूरे बदन को पानी से धोना (बहाना), बदन के किसी भी हिस्से में एक बाल बराबर जगह सुखी ना रह जाए.
गुसूल की पांच सुन्नत है कौन-कौन सी है?
- दोनों हाथो को गट्टो तक अच्छे से धोना.
- वजू करना.
- इस्तंजा करना और बदन पर नजासत लगी हो तो उसे धोना.
- नापाकी दूर करने की नियत करना.
- तमाम जिस्म पर तीन बार कम से कम पानी बहाना.
गुसल के 5 मकरूहात कौन-कौन सी है?
- बगैर मजबूरी के ऐसी जगह गुसल करना जहां पर गैर मरहम की नजर पकें.
- बगैर कपड़े पहने नहाते वक्त, किब्बले की तरफ मुंह करना.
- गुसल करते वक्त गैर जरूरी बात करना.
- गुसल करते वक्त दुआ पढ़ना.
- बाकी जो चीजें वजु में मकरुह है, वह चीजें गुसल में भी मकरुह है.
किसी भी वजह से अगर आप नापाक है तो क्या नहीं करना चाहिए?
इस्लाम में नापाकी की हालत में यह ना करें:-
- नमाज ना पढ़े.
- कुरान शरीफ की तिलावत ना करें.
- काबा शरीफ का तवाफ़ ना करें.
Conclusion Points
अभी तक आपने गुसल करने का मसनून तरीका को पढ़ा. जिसमें नियत, फराइज, सुन्नत और मकरूहात के बारे में जानकारी हासिल किया. गुसूल इसलिए किया जाता है कि, नापाकी से पाकी मिले. यानी कि अपने आप को पाक साफ करने के लिए गुसल किया जाता है.
जब आपको किसी भी वजह से अंदेशा हो कि, आप नापाक हो चुके हैं तो आपको गुसल से फारिक हो जाना चाहिए. कोशिश करें कि, गुसूल साफ-सुथरी जगह करें और ताज़ा पानी से गुसल करना बेहतर माना गया है. फिर भी आपके पास इससे मुतालिक कोई भी सवाल हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें.