डायलिसिस क्या है? क्या आप इस प्रश्न के उत्तर को ढूंढते हुए यहां पर पहुंचे हैं? अगर आपका उत्तर हां है तो आप डायलिसिस के सर्वश्रेष्ठ आर्टिकल तक पहुंच चुके हैं.
इस आर्टिकल में आपको Dialysis की संपूर्ण (पूरी) जानकारी दी जाएगी. जैसे डायलिसिस के प्रकार, कब और कहां कैसे डाले सिस करवाना चाहिए.
सबसे पहले मैं आपके प्रश्न का उत्तर दुनिया के सबसे सफलतम भाषा में दे देता हूं. जब किसी व्यक्ति का किसी भी कारणवश किडनी पूर्ण रूप से काम नहीं करता है तो उसे एक Artifical मशीन से चलाते हैं जिसका नाम हीमोडायलिसिस मशीन है.
शुरुआत किडनी की जानकारी से करते हैं
किडनी को हिंदी में वृक्क कहते हैं। इसे उर्दू या आम भाषा में गुर्दा भी कहते हैं। हमारे शरीर में दो किडनी होता है जो हमारे पेट के दाएं और बाएं तरफ स्थित होता है.
ईश्वर ने हमें दो किडनी इसलिए दिया है कि अगर हमारा एक किडनी खराब हो जाए तो हम तब पर भी जीवित रहें. हमारे किडनी का मुख्य कार्य है, हमारे शरीर से गंदे पदार्थ (यूरिया तथा यूरिक) को फिल्टर करके पेशाब के रास्ते से बाहर निकालना.
किडनी के नीचे 2 यूरेटर नाम का पाइप होता है जो यूरिनेरी ब्लैडर(Urinary Bladder) को जोड़ता है. किडनी जो यूरिन बनाता है वह यूरिन यूनेरी ब्लडर एकत्र हो जाताा है.
यूरिनेरी ब्लैडर पूर्ण रूप से भर जाता है तो हमें बाथरूम जाने की आवश्यकता होती है. यूरिनेरी ब्लैडर एक पाइप निकलता है जो मर्द में पेनिस और फीमेल में योजना केेेेे जरिए बाहर निकलता है. उस पाइप को यूरेथ्रारा कहते हैं.
डायलिसिस क्या होता है और कैसे काम करता है?
Dialysis को हिन्दी में अपोहन कहते हैं।सअगर किसी का किडनी खराब हो जाए तो आर्टिफिशियल किडनी के द्वारा काम चलाया जाता है। आर्टिफिशियल किडनी को हीमोडायलिसिस मशीन कहते हैं। इस प्रक्रिया को आम भाषा में डायलिसिस कहते हैंं.
डायलिसिस के प्रकार |
आप यह भी कह सकते हैं कि डायलिसिस करने वाले मशीन को हीमो डायलिसिस मशीन कहते हैं। यह मशीन काफी महंगा होता है तथा बड़े अस्पतालों में ही होता है।
मेडिकल साइंस के अनुसार,
डायलिसिस खून साफ करने की एक कृत्रिम विधि है, इस प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी रोगी का किडनी सही से काम नहीं करता है।
किडनी जब सही ढंग से काम नहीं करता है ऐसे में विषैले पदार्थों जैसे क्रिएटिनिन तथा यूरिया, शरीर से बाहर नहीं निकलना पाता है।
विषैले पदार्थों की जब मनुष्य के शरीर बढ़ जाता है, जिन्दगी बचाने के लिए डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है।
किडनी डायलिसिस कब किया जाता है?
सामान्यतः किडनी के लिए ही Dialysis किया जाता है जब गुर्दे की कार्य क्षमता 80-90 % तक घट जाती है। पेशाब का बनना बहुत कम हो जाता है जिससे विषाक्त पदार्थों का शरीर में जमा होने से थकान सूजन, मतली उल्टी तथा सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई देने लगता है।
ऐसे समय में सामान्य चिकित्सा प्रबंधन यानि दवाई अपर्याप्त हो जाता है तथा मरीज़ को डायलिसिस शुरू करने की जरूरत होती है । किडनी का डायलिसिस को हीमोडायलिसिस (Hemodialysis) भी कहते हैं।
मनुष्य के शरीर में दो किडनियां होती है जब दोनों ही किडनी फेल हो जाता है तभी हीमोडायलिसिस किया जाता है।
डायलिसिस का सिद्धांत क्या है?
डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग शरीर से अपशिष्ट उत्पादों, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए किया जाता है।
डायलिसिस गुर्दे के कार्यों की नकल करके काम करता है, जो रक्त को छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। डायलिसिस कार्य करने वाले तीन सिद्धांत:
- प्रसार
- ऑस्मोसिस
- अल्ट्राफिल्ट्रेशन हैं।
प्रसार तब होता है जब कण उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से कम सांद्रता वाले क्षेत्र में जाते हैं। ऑस्मोसिस तब होता है जब पानी के अणु उच्च पानी की क्षमता वाले क्षेत्र से कम पानी की क्षमता वाले क्षेत्र में चले जाते हैं। कण आकार को अलग करने के लिए अल्ट्राफिल्ट्रेशन छोटे छिद्रों से बनी झिल्ली में तरल को बल देता है।
ये तीन सिद्धांत एक साथ मिलकर डायलिसिस मशीनों को रक्त से अशुद्धियों को छानने में मदद करते हैं और अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पादों, इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य विषाक्त पदार्थों को हटाकर स्वस्थ किडनी के कार्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
क्या डायलिसिस से किडनी ठीक हो जाती है?
उत्तर नहीं, डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग गुर्दे की बीमारियों वाले व्यक्तियों की सहायता के लिए किया जाता है। यह एक स्वस्थ किडनी के कुछ कार्यों को बदल देता है, जैसे शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालना, लेकिन यह गुर्दे की बीमारी का इलाज नहीं करता है।
किडनी का पक्का इलाज किडनी का ट्रांसप्लांटेशन है जो आपने खबरों में सुना होगा कि लालू प्रसाद की बेटी ने अपने पिता को अपना किडनी किया था.
किडनी का डायलिसिस कब तक करते रहना चाहिए?
डायलिसिस तब तक जारी रहना चाहिए जब तक या तो एक सफल गुर्दा प्रत्यारोपण नहीं किया जाता है या जब तक अन्य उपचार उपलब्ध नहीं हो जाते हैं जो गुर्दे की रिप्लेसमेंट थेरेपी का वैकल्पिक समाधान प्रदान कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अंत-चरण गुर्दे की बीमारी वाले कुछ रोगियों को स्वस्थ रहने और जीवन की अच्छी गुणवत्ता का आनंद लेने के लिए आजीवन डायलिसिस की आवश्यकता हो सकती है।
किडनी जब पूरी तरह खराब हो जाने के क्या लक्षण हैं?
किडनी की विफलता वाले रोगियों में डायलिसिस किया जाता है, डायलिसिस करने का निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे –
- किडनी की चोट
- नशा व जहर
- यूरिमिया, पेरिकार्डिटिस, एन्सेफैलोपैथी
- इलेक्ट्रोलाइट – हाइपरकेलीमिया
- एसिडईमिया
- गलोमेरूलर फिल्ट्रेशन रेट ( GFR) – 15 mL/min से कम होने पर.
डायलिसिस में कितना समय लगता है तथा कितने दिनों के बाद कराना होता है?
सामान्य तौर पर किडनी डायलिसिस में लगभग 4 घंटे का समय लगता है तथा 1 सप्ताह में तीन बार करना होता है। हाई फ्लक्स डायलिसिस में थोड़ा कम समय लगता है।
क्या किडनी का डायलिसिस करवाने में दर्द होता है?
किडनी डायलिसिस करने से पहले कई नीडल आपके धमनी तथा शिरा में डाले जाते हैं। सुई देने जितना दर्द आपको महसूस होगा। जब डाल से शुरू होता है तो आपको किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होगा।
किडनी डायलिसिस का साइड इफेक्ट क्या है?
किडनी डायलिसिस के बाद ब्लड प्रेशर गिर सकता है। डायबिटीज के मरीज में लो ब्लड प्रेशर ज्यादा कॉमन होता है। डायलिसिस के बाद थोड़ा थकान, चक्कर आना तथा उल्टी आना इसके आम लक्षण हैं।
Conclusion Points
आसान भाषा में – जब किसी मरीज के दोनों किडनी खून साफ करना बंद कर देता है। उसी स्थिति में खून साफ करने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाता है। खून साफ करने वाले मशीन को डायलिसिस मशीन कहते हैं तथा उस क्रिया को डायलिसिस कहते हैं।
अंत में, अस्पताल में Dialysis करवाना एक गंभीर चिकित्सा प्रक्रिया है जिसके लिए विशेष विचार की आवश्यकता होती है।
अपने डॉक्टर के साथ जोखिमों और लाभों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है, सुनिश्चित करें कि आप जानते हैं कि प्रक्रिया के दौरान और बाद में क्या अपेक्षा की जानी चाहिए, हाइड्रेटेड रखें, अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं लें और संक्रमण या अन्य जटिलताओं के किसी भी लक्षण पर ध्यान दें।
इन सावधानियों को लेने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि आपको सर्वोत्तम संभव देखभाल मिले और एक सफल डायलिसिस का अनुभव हो।
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