डेल्ही लाल किला या दिल्ली का लाल किला, दोनों एक ही शब्द है तथा लोग अंग्रेजी में Red Fort भी कहते हैं। दिल्ली के लाल किला से संबंधित आपके पास जो भी प्रश्न हैं ,उनके उत्तर आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे! आखिर तक पर यह आपको मजा आ जाएगा।
दिल्ली दीदार अधूरा रह जाता है। जब तक कि लाल किले का दीदार ना हो जाए क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री यहीं के प्राचीन से पूरे भारत वासियों को स्वतंत्रता दिवस पर संबोधित करते हैं। कृपया लेख को अंत तक पढें, आप को अचंभित करने वाली कई जानकारी इस लेख अंत तक मिलेगा।
Delhi Ka Lal Kila Kisne Banwaya Tha?
दिल्ली के लाल किले का निर्माण किस मुगल सम्राट ने करवाया था, अक्सर लोगों का यह प्रश्न होता है। आपको बता दूं कि पाँचवे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने लाल किले का निर्माण करवाया था जिसका मुख्य उद्देश्य आक्रमणकारियों से सुरक्षा तथा आगरा से दिल्ली को राजधानी के रूप में कार्यरत करना था।
लाल किले का इतिहास काफी पुराना है इसके बनने में लगभग 20 वर्षों का समय लगा था तथा 1638 में लाल किला बनकर तैयार हो गया था।
लाल किले का नक्शा बनाने का काम उस्ताद हामिद तथा अहमद ने किया था। कुछ ही लोगों को पता नहीं होगा कि लाल किले का रंग पहले सफेद हुआ करता था।
लेकिन ब्रिटिश सरकार ने रखरखाव में आसानी के लिए लाल रंगों का प्रयोग कर के लाल किले का रंग को लाल कर दिया था। ब्रिटिश सरकार ने इसका नाम रेड फोर्ट कर दिया जिसका हिंदी रूपांतरण लाल किला होता है।
1857 से 1947 तक ब्रिटिश सेना का कब्जा़ था, जो ब्रिटिश सेना का मुख्यालय हुआ करता था। ब्रिटिश सेना, सेना के रहने के अनुरूप बनाने के लिए कई इमारतों को नष्ट कर दिया तथा उसमें कई बदलाव भी किए थे।
मुगल वंश के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर को लाल किले में ही कैद किया था तथा यहीं से मुकदमे की सुनवाई होती थी। आजादी के बाद भारतीय सेना का लाल किले पर पूरी तरह नियंत्रण हो गया था तथा 2003 तक सेना का कार्यालय हुआ करता था।
भारत के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस के काल में 22 दिसंबर, 2003 को भारतीय सेना ने लाल किले से अपने कार्यालय को हटाकर पर्यटन विभाग को सौंप दिया था। लाल किले को विश्व का धरोहर स्थल के रूप में 2007 में यूनेस्को ने मान्यता दी थी।
लाल किला को किसने और कैसे बनाया था यह तो जान लिया अब जानिए कि बनने के बाद इसमें क्या है?
यह किला काफी बड़ा है तथा इसे पूरा देखने के लिए 3 से 4 घंटे का समय होना चाहिए अगर आप शाम के समय को चुनते हैं तो वह सबसे बेहतर समय होता है क्योंकि “लाइट एंड साउंड” काफी मजा ले सकते हैं।
लाल किले का गेट
किले में दो गेट हैं जिसका नाम दिल्ली दरवाज़ा तथा लाहौर दरवाज़ा है। लाहौरी गेट मेन गेट है जो काफी लंबा है इसके अंदर एक बाजार है जिसे चट्टा चौक कहते हैं।
इस बाजार में सामानों के कीमतों को 2-3 गुना ज्यादा बताया जाता है लेकिन जिससे मोल भाव करने पर, कम दाम भी में खरीदा जा सकता है। दक्षिण में स्थित गेट को दिल्ली गेट कहा जाता है।
लाल किले के अंदर क्या-क्या है?
लाइट एंड साउंड शो, दिल्ली गेट, लाहौरी गेट, नक्कर खाना, दीवान-ए-आम, नहर-ए-बहिश्त, मुमताज महल, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-खास, हमाम व मोती मस्जिद जैसे खास जगह है जिसे देखने के लिए आपको काफी पैदल चलना पड़ सकता है।
इस किले के अंदर ऐसे कुछ रहस्य में जगह हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे। आप तो जानते होंगे कि आगरा में भी लाल किला है जो दिल्ली के लाल किला से सुरंग से जुड़ा हुआ करता था। इन जगहों का नाम जरूर नोट कर लें जब वहां पर जाएं तो इनकी तफ्तीश कर सकते हैं।
नक्कर खाना
नक्कर खाना, लाहौरी गेट तथा चट्टा चौक के बीच बनी सड़क के पूर्वी मैदानी भाग में स्थित है। जहां पर संगीत का कार्यक्रम आयोजित होता था।
दीवान-ए-आम
चट्टा चौक से आगे बढ़ेंगे तो आपको एक खुला मैदान मिलेगा, जिस से आम लोगों के लिए बनाया गया था। यहां पर संगमरमर का मंडप बना हुआ है, जहां पर राजा बैठा करते थे तथा वह अपनी जनता से बात करते थे। जिसे सिंहासन के तौर पर भी देखा जाता था।
नहर-ए-बहिश्त
नहर-ए-बहिश्त को जन्नत का नहर भी कहा जाता है क्योंकि राजगद्दी के पीछे साही कमरा है जिसमें कई गुम्बददार इमारतों की कतार है जहां से यमुना दिखाई पड़ता है।
यमुना से कई छोटी-छोटी नहरों को इन कमरों से गुजारा जाता था। जिससे जल आपूर्ति एवं कमरों को ठंडा किया जाता था। मुग़ल बादशाहों को यमुना का पानी बहुत पसंद हुआ करता था।
मुमताज महल
मुमताज महल लाल रंग का महल है जो तथातों के लिए बना था तथा जिसकी खूबसूरती आज भी देखने लायक है।
रंग महल
रंग महल नक्शाकार छतों से बना है जो तथातों के लिए बना था तथा आज भी पहले जैसा ही खूबसूरत है।
खास महल
खास महल से ही राजा अपने जनता को दर्शन देते थे इस महल में एक बड़ा बरामदा है जहां पर राजा खड़े होकर अपनी जनता के रूबरू होते थे।
दीवान-ए-खास
दीवान-ए-खास लाल किले का मुख्य स्थान हुआ करता था जहां पर राजा अपने मंत्रियों के साथ बैठक एवं सभाएं करते थे।
हमाम
हमाम तुर्की शैली में बना हुआ है तथा राजघराने के लोग नहाने के लिए इस स्थान इस्तेमाल करते थे।
मोती मस्जिद
मोती मस्जिद, तथांगजे़ब का निजी मस्जिद हुआ करता था, जिसे बाद में बनाया गया था। इस मस्जिद की दीवारें उजले संगमर्मर से बना है।
डेल्ही लाल किला तथा लाइट एंड साउंड शो कब होता है?
डेल्ही के लाल किले में शाम के समय लाइट एंड साउंड शो का आयोजन होता है। यह शो अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में आयोजित की जाती है जो शाम के 6:00 बजे शुरू हो जाता है।
वयस्कों के लिए ₹80 का टिकट रखा गया है। जबकि बच्चों के लिए टिकट का दाम ₹30 का रखा गया है। प्रकाश, संगीत व इमारतों की खूबसूरती का संगम इस शो जान डाल देता है जो आपको 1 घंटे रोके रखेगा।
Conclusion Point
लेख के आखिर में सारांश – दिल्ली के लाल किले का निर्माण मुगल वंश के पांचवे बादशाह शाहजहाँ ने करवाया था. लाल किले का नक्शा बनाने का काम उस्ताद हामिद तथा अहमद ने किया था।
ताजमहल को मुख्य रूप से ‘किला-ए-मुबारक’ के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है धन्य किला, यह लगभग दो शताब्दियों तक मुगल सम्राटों के निवास के रूप में कार्य करता था।
किले का नाम इसकी भव्य लाल बलुआ पत्थर की दीवारों से मिलता है, जो शुरू में आक्रमणकारियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई थीं। यह संरचना 254 एकड़ में फैली हुई है और इसमें कई महल और इमारतें हैं जो अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
लाल किला भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है, जिसमें ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए देश का संघर्ष भी शामिल है।
समय के साथ, किले की भव्यता को बनाए रखने और इसे पर्यटन स्थल के रूप में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए किले पर कई जीर्णोद्धार किए गए हैं।