बिहार के कुल्हैया जाति का भाषा और संस्कृति सबसे अनोखा है। कुल्हैया संस्कृति की छाप सिर्फ मुसलमानों तक ही मौजूद नहीं है। बिहार के सीमांचल क्षेत्र में एक करोड़ से ज्यादा आबादी है। जिस एक करोड़ की आबादी में से 12, 53781 लोग कुल्हैया बोली का प्रयोग करते हैं।
इस संस्कृति में आपको कई संस्कृतियों का मिलन देखने को मिलेगा। कुछ ही लोगों को पता होगा की कुल्हैया भाषा की बोली में 10 से 15 परसेंट का समानता गुजराती भाषा का है। यही नहीं बनारस के स्थानीय भाषा का समानता भी आपको मिलेगा।
यही नहीं गुजरात की महिलाएं जिस प्रकार अपने घरों में उपयोग होने वाले मिट्टी के बर्तन एवं कोठी बनाती हैं। कुछ इस तरह का आपको सीमांचल के क्षेत्रों में देखने को मिलेगा।
इस कल्चर में इस्लाम धर्म के सबसे गहरा छाप है, लेकिन शादी विवाह के रस्मों को अगर आप देखेंगे हिंदू विवाह के रस्म में भी आपको देखने को मिल जाएंगे।
कुल्हैया जाति लोगों में देखा जाता है कि खरीदे गए नए जानवरों को रंग लगाने का चलन अभी भी मौजूद है। कुछ लोग जानवरों को बेचने से पहले भी उस पर रंग लगाते हैं।
कुल्हैया जातिवाद – शादी सिर्फ अपने जाति में ही होता है
आज के समय में भी कुल्हैया जातिवाद देखने को मिलेगा। इस जाति के लोग अभी भी अपने जात बिरादरी में ही शादी विवाह करना पसंद करते हैं। जबकि भारतीय मुसलमान अपने बिरादरी के लोगों के बीच में शादी विवाह करना पसंद करते हैं।
कुल्हैया जाति शेख बिरादरी का उपजाति है। अभी भी आप पुराने ज़मीन के कागज़ात को देखेंगे तो उसमें नाम के आगे शेख शब्द का प्रयोग हुआ है। यही नहीं सुरजापुरी बिरादरी के लोगों में भी ज़मीन के कागज़ात में शेख शब्द का प्रयोग हुआ है।
कुल्हैया बिरादरी के लोग गैर कुल्हैया शेख के यहां शादी विवाह करना अभी भी पसंद नहीं करते हैं। लेकिन इस बंधन को कई आईएएस एवं आईपीएस अधिकारी बने कुल्हैया ने तोड़ा है। इन लोगों को समाज में बड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
कुल्हैया खानपान – में पश्चिम बंगाल की छाप है
कुल्हैया खान-पान में पश्चिम बंगाल के संस्कृति का भी प्रभाव देखा जा सकता है। चावल के बने मुरही व चुरा, बैंगन मछली जैसे व्यंजन पश्चिम बंगाल में ज्यादा उपयोग किया जाता है। कुल्हैया मुसलमान भी इसका उपयोग ज्यादा करते हैं।
इस बिरादरी के लोग नॉनवेज को ज्यादा तवज्जो देते हैं। खराब खान-पान के कारण इस कल्चर के लोग ज्यादा बीमार रहते हैं।
कुल्हैया शादी-विवाह, हिंदू संस्कृति की छाप है
कुल्हैया शादी-विवाह सबसे अनोखा है। इस समाज में बेटियों के जन्म होने पर खुशी मनाई जाती है। भारतीय संस्कृति में शादी करने के लिए लड़की वाले को लड़के वाले से संपर्क स्थापित करना होता है। इस समाज में स्थिति विपरीत है। जो एक बहुत अच्छी बात है।
लेकिन एक कड़वा सच भी है कि, बेटी के पिता अपने बेटियों को अपने प्रॉपर्टी में हिस्सा देना पसंद नहीं करते हैं। जिसे इस्लाम में एक संगीन गुनाह करार दिया जाता है। Kulhaiya Marriage Ceremony के बारे में अगर आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो यहां पर आप क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
Conclusion Points
समापन में, कुल्हैया समुदाय की संस्कृति विविध प्रभावों और परंपराओं का एक समृद्ध वस्त्र है। हम उनके जीवनशैली में खुदको डुबकर पाते हैं और यहाँ तक कि उनकी भाषा का लगभग 10-15% समानता गुजराती भाषा से है, जो किसी को पता नहीं होगा। इसके अलावा, वाराणसी की स्थानीय भाषा के साथ भी उनकी बोलचाल में समानता है।
इसके अतिरिक्त, पश्चिम बंगाल की संस्कृति का प्रभाव उनके खान-पान की प्रथाओं में दिखाई देता है। मुड़ी और चूड़ा जैसे व्यंजनों के साथ बैंगन और मछली की पकवानों के पश्चिम बंगाल के परंपराओं की याद दिलाते हैं, और कुल्हैया मुस्लिम इन्हें अपने आहार में सक्रिय रूप से शामिल करते हैं।