पहले CAA को CAB के नाम से जाना जा रहा था। CAB बिल लोकसभा एवं राज्यसभाा में पास हो चुका है। अब यह कानून सुप्रीम कोर्ट में है। CAA को का नाम से भी जाना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं।
आइए आज हम लोग NRC, CAB तथा CAA के आपस में संबंध एवं उनके फुल फॉर्म को जानते हैं. साथ मेंं सुप्रीम कोर्ट के फैसलोंं को को भी जानेंगे.
आजकल हो रहे आंदोलन में NRC, CAB तथा CAA जैसे शब्दों को जरूर देख रहे होंगे। क्या आप इन तीनों शब्दों का फुल फॉर्म हिंदी में जानना चाहते हैं? इन तीनों शब्दों का आपस में क्या संबंध है?
- CAA Full Form In English – Citizenship Amendment Act।
- CAA Full Form In Hindi – सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट।
- का पूरा नाम – सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट
- सीएए फुल फॉर्म इन हिंदी – नागरिकता संशोधन अधिनियम।
- NRC – National Register of Citizens
- एनआरसी – नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन.
हाल ही में सरकार ने नागरिकता संशोधन का बिल संसद में पेश किया था। जिसको लेकर लोग सड़क पर विरोध कर रहे हैं। पहले CAA को CAB के नाम से जाना जाता था। यह बिल पास होने के बाद, एक्ट में बदल गया। अब कैब को CAA (का) के नाम से जाना जाता है।
इस बिल के द्वारा नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव किये गये हैं। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के अवैध हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस bill में इन देशों से आए हुए अवैध मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है।
सीएए एक बहुत ही पॉपुलर शब्द है। इस शब्द का फुल फॉर्म कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी (Coastal Aquaculture Authority) भी है। अब सी।ए।ए भारत ही नहीं दुनिया में यह एक पॉपुलर शब्द है जिसको नागरिकता बिल के संशोधन के नाम से जाना जाता है। इस लेख को आप nrc and caa nibandh के रूप में कर सकते हैं।
CAB से CAA कैसे बना पहले यह जान लें
जिस समय यह बिल पेश हुआ था। उस समय उसका नाम CAB था। बिल पास होते ही इसका नाम बदलकर के CAA हो गया। कैब का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Bill है। जबकि सी ए ए का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है।
दोनों ही एक ही कानून है। BILL के जगह नाम बदलकर ACT हो गया है। Bill को हिंदी में विधेयक कहते हैं जबकि ACT को अधिनियम कहा जाता है।
CAA का NRC से क्या संबंध है?
आप तो जानते ही होंगे एनआरसी असम में हुआ था। जिसमें लगभग 1900000 लोग को संदिग्ध पाया गया था। भारत के गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि पूरे भारत में एनआरसी लागू किया जाएगा।
लोकसभा में लिखित उत्तर में अब कहा गया है कि अभी देश में एनआरसी लागू होने का फैसला नहीं हुआ है।
24 दिसंबर को अमित शाह अपने एक इंटरव्यू में कह रहे थे कि अभी एनआरसी लाने का कोई योजना नहीं है। पिछले रविवार को नरेंद्र मोदी ने एनआरसी के बारे में कहा था कि अभी कैबिनेट पर चर्चा भी नहीं हुआ है।
CAA पास होने के बाद खास करके इस्लाम धर्म के मानने वाले लोगों को लगता है कि उसे एनआरसी के तहत नागरिकता साबित करने में परेशानी होगी।
माना जाता रहा है कि इस कानून के तहत इस्लाम धर्म को छोड़कर के बाकी छह धर्म के अवैध शरणार्थी को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
अवैध शरणार्थी किसे कहा जाता है? इसे अंग्रेजी में रिफ्यूजी कहते हैं। रिफ्यूजी उस व्यक्ति को कहा जाता है, वह व्यक्तियों के समूह जो अपने देश में असहाय, लाचार, निराश्रय तथा असुरक्षित महसूस करने के स्थिति में अपने देश छोड़कर दूसरे देश में शरण के लिए चले जाते हैं।
अगर शरण देने वाले देश, कानूनी रूप से मान्यता देते हैं उसे शरणार्थी कहा जाता है। गैरकानूनी रूप से आये रिफ्यूजी को अवैध शरणार्थी कहते हैं।
नये का (सी ए ए) कानून के मुताबिक अब अवैध शरणार्थी को भारत में आसानी से नागरिकता मिल जाएगा। बशर्ते कि वह इस्लाम धर्म मानने वाला ना हो तथा वे पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए हों।
क्या मुस्लिम शरणार्थी को भारत में नागरिकता मिलेगा या नहीं
India धर्मनिरपेक्ष देश है। भारतीय नागरिकता अधिनियम को अब तक 6 बार संशोधित किया गया है। मुस्लिम शरणार्थी को नागरिकता पुराने नियमों के अनुसार मिलेगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 6 से लेकर 11 तक इसमें पहले से ही कानून हैं।
मुस्लिम शरणार्थियों को अभी भी भारत में नागरिकता मिल सकता है। लेकिन अवैध मुस्लिम शरणार्थी को नागरिकता मिलना बहुत ही मुश्किल है।
CAA मूल रूप से किस कानून का संशोधन है?
caa kaun sa amendment article hai? सीएए मूल रूप से भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 का संशोधन है। ऐसा नहीं है कि यह संशोधन पहली बार दिसंबर 2019 में हुआ है। इससे पहले भी यह संशोधन 5 बार हो चुका है।
किस अधिनियम का संशोधन 1986, 1992, 2003, 2005 तथा 2015 में हो चुका है। इन सभी संशोधन में धर्म शब्द का प्रयोग नहीं हुआ था।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में समानता को परिभाषित करता है। जबकि अनुच्छेद 15 में धर्म, वंश, जाति, लिंग व जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने का प्रावधान है।
संविधान के अनुच्छेद 11 के प्रावधान के अनुसार भारतीय सांसद को नागरिकता कानून को बनाने का अधिकार है। इस अनुच्छेद के अनुसार भारतीय सांसद किसी को नागरिकता देने या खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार रखता है।
इस कानून का विरोध क्यों क्यों हुआ था?
सरकार के तरफ से यह कहना है कि यह कानून किसी का भी नागरिकता को समाप्त नहीं करता है। बांग्लादेश पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान करती है।
दूसरे पक्ष के लोग मानते हैं कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है। भारतीय मुसलमानों को लगता है कि इस बिल के जरिए उसकी नागरिकता समाप्त हो जाएगी। एनआरसी होने की स्थिति में उनसे 1951 या 1971 से पहले का दस्तावेज मांगे जा सकते हैं।
भारत के गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि पूरे भारत में एनआरसी कराया जाएगा। एनआरसी होने की स्थिति में सभी धर्मों के लिए सामान्य कानून होंगे या अलग होंगे इसको लेकर विवाद है।
मुस्लिम विद्वानों का कहना है कि इस बिल के जरिए गैर मुस्लिम आसानी से भारत में नागरिकता पा लेंगे। जबकि मुस्लिम समुदाय के लोग एनआरसी कराए जाने की स्थिति में आसानी से नागरिकता नहीं पा सकेंगे।
क्या महज अफवाह है तथा विपक्ष इस पर राजनीति कर रहा है
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। आपको बता दें कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी को धार्मिक आधार पर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने आरक्षण दिया था। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को खारिज कर दिया था।
भारत के सुप्रीम कोर्ट को ही अब तय करना है कि सीेएए कानून धार्मिक आधार पर है तथा आर्टिकल 14 एवं 15 का उल्लंघन करता है या नहीं।
भारत में इतिहास रहा है कि कोई भी इस प्रकार का जब भी कानून बना है चाहे वह ओबीसी का हो या तीन तलाक का हो उस पर जमकर राजनीति हुई है। इस पर भी राजनीति होना तो लाजमी ही है।
Conclusion Points
नागरिकता कानून लोकसभा एवं राज्यसभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो चुके हैं। यह कानून अब संपूर्ण भारत में लागू है। लेकिन यह मामला अभी भारत के सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को अभी खारिज नहीं किया है।
मानवता के आधार पर अगर देखा जाए तो किसी प्रताड़ित व्यक्ति को भारत में नागरिकता देना गलत नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि भारतीय संविधान में धर्म के आधार पर कोई कानून नहीं बनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसले का इंतजार हो रहा है।
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