क्या आपने कभी सोचा है कि ग्राम पंचायत में सत्ता किसके पास होती है? वह मुखिया कौन है जो अपने समुदाय के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेता है? इस लेख में, हम रहस्य से पर्दा उठाएंगे और ग्राम पंचायत के मुखिया की भूमिका का पता लगाएंगे।
इसके अतिरिक्त, हम पूरे बिहार में मौजूद पंचायतों और वार्डों के विशाल नेटवर्क की पड़ताल करेंगे, जिससे पता चलेगा कि यह प्रणाली कितनी व्यापक है। जैसे ही हम इन आकर्षक विवरणों को उजागर करेंगे, स्थानीय शासन में गहराई से उतरने के लिए तैयार हो जाइए।
Gram Panchayat Ka Mukhiya Kaun Hota Hai?
2006 में, बिहार सरकार द्वारा बिहार ग्राम पंचायत अधिनियम को मंजूरी दी गई थी। इस अधिनियम के तहत, बिहार के सभी ग्राम पंचायतों में चुने हुए मुखिया ही ग्राम पंचायत के प्रधान होते हैं।
यदि आप पूछ रहे हैं कि ग्राम पंचायत के मुखिया कौन होता है, तो जवाब है कि ग्राम पंचायत के मुखिया वह व्यक्ति होता है जो चुनाव जीतकर पंचायत के प्रमुख पद का कार्यभार संभालता है और उसने शपथ ग्रहण की होती है। इसके बाद, वह ग्राम पंचायत के मुखिया के रूप में कार्य करता है और पंचायत के प्रमुख रूप में मान्यता प्राप्त करता है।
बिहार में कितने पंचायत हैं?
8 अप्रैल 2021 को बिहार के चुनाव आयुक्त ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि बिहार में कुल पंचायतों की संख्या 8386 है.
बिहार में कुल मुखिया एवं सरपंच के पदों का संख्या 8386 है. पंचायत समिति का पद पंचायत के अनुसार नहीं होता है. यही कारण है कि बिहार में कुल पंचायत समितियों के पदों की संख्या (11497) अलग है.
2023 में, बिहार में कुल कितने वार्ड है?
सबसे पहले यह बता दूं कि बिहार में पंचायत को वार्डों में बांटा जाता है. यही नहीं नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पंचायत को भी वार्डों में बांटा जाता है.
नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पंचायतों का अभी चुनाव नहीं हो रहा है. अभी चुनाव सिर्फ ग्राम पंचायतों का हो रहा है.
बिहार के ग्राम पंचायतों में कुल वोटों की संख्या 114733 है. यह डाटा 8 अप्रैल 2021 का है. बिहार ग्राम पंचायत अधिनियम 2006 के अनुसार, एक वार्ड में एक पंच एवं एक वार्ड सदस्य का पद होता है.
एक ग्राम पंचायत में वार्ड की संख्या अलग-अलग होती है. बिहार में देखा गया है कि कुछ पंचायत में 21 वार्ड हैं, तो कुछ पंचायत में 11 वार्ड हैं.
Conclusion Point
बिहार राज्य में कुल 38 जिले हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी चुनौतियाँ और अवसर हैं। इन जिलों में फैली चौंका देने वाली 8,386 पंचायतों के साथ, लोगों की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने के लिए स्थानीय शासन का एक व्यापक नेटवर्क मौजूद है। इन पंचायतों के भीतर 114,733 वार्डों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक समुदाय को प्रतिनिधित्व और अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक मंच मिले।
जैसे-जैसे बिहार का विकास और प्रगति जारी है, यह महत्वपूर्ण है कि इन संस्थानों को अपने मतदाताओं की प्रभावी ढंग से सेवा करने के लिए मजबूत और सशक्त बनाया जाए। जमीनी स्तर पर सक्रिय भागीदारी और सहयोग के माध्यम से, हम बिहार के सभी निवासियों के लिए अधिक समावेशी और समृद्ध भविष्य की दिशा में प्रयास कर सकते हैं।
Ashish Kumar sinha
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