सियासत, समीकरण और संघर्ष— बिहार की अमौर विधानसभा का चुनावी मैदान, इस बार पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प हो चुका है।
AIMIM के अख्तरुल इमान, JDU के सबा जफर, INC के अब्दुल जलील मस्तान, और अब एक नया नाम इंजीनियर महफूज आलम— ये चार चेहरे इस विधानसभा की सियासी तकदीर बदलने को तैयार हैं।
लेकिन क्या इस बार कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा? आइए, एक बारीक और निष्पक्ष एनालिसिस करते हैं।
1️⃣ अख्तरुल इमान – AIMIM का सिक्का कमजोर?
अख्तरुल इमान बिहार की सियासत का जाना-पहचाना नाम हैं, लेकिन अमौर विधानसभा में उनकी पकड़ पहले जितनी मज़बूत नहीं रही।
उनका असल घर कोचाधामन में है, और अमौर की जनता बाहरी नेताओं को ज्यादा पसंद नहीं करती। 2020 में उन्होंने 51.17% वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की थी, कारण एक ही था CAA-NRC! लेकिन बीते 5 सालों में AIMIM की छवि काफी धूमिल हुई है।
- दिल्ली विधानसभा चुनाव में AIMIM ने वोट काटकर भाजपा की मदद की, जिससे उनकी सियासी समझ पर सवाल उठे।
- अमौर में उनके विकास कार्यों को लेकर कई मतदाता नाखुश हैं।
- मुस्लिम वोट AIMIM से खिसककर दूसरी पार्टियों की ओर शिफ्ट हो सकता है।
- अगर मुस्लिम वोट AIMIM से हटता है, तो यह किसी और मजबूत उम्मीदवार की राह आसान बना सकता है।
2️⃣ सबा जफर – जेडीयू का मुस्लिम चेहरा, मगर…?
सबा जफर पहले बिहार में भाजपा के टिकट पर जीतने वाले पहले मुस्लिम विधायक थे। अब वह जेडीयू में हैं, लेकिन उनका सबसे बड़ा चैलेंज उनकी बिरादरी (कुल्हैया मुस्लिम) का समर्थन है।
- कुल्हैया मुस्लिम वोटर्स आम तौर पर भाजपा और जेडीयू से दूरी बनाए रखते हैं।
- भाजपा का मुस्लिम-विरोधी नैरेटिव उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
- वह पिछले चुनावों में AIMIM और INC से लगातार हारते रहे हैं।
- अगर कुल्हैया मुस्लिमों ने जदयू के खिलाफ रणनीतिक वोटिंग की, तो सबा जफर की राह मुश्किल हो जाएगी।
3️⃣ अब्दुल जलील मस्तान – कांग्रेस का पुराना दांव
अब्दुल जलील मस्तान कांग्रेस के सबसे सीनियर मुस्लिम नेता में से एक हैं। 40 साल पहले वे इस विधानसभा के विधायक बने थे, लेकिन अब उनकी उम्र 90 साल से ज्यादा हो चुकी है।
- वह बमुश्किल चल-फिर पाते हैं, जिससे जनता को उनके नेतृत्व क्षमता पर शक है।
- कांग्रेस की कमजोर ग्राउंड प्रेजेंस उन्हें मुश्किल में डाल सकती है।
- युवा वोटर्स शायद किसी नए और ऊर्जावान चेहरे की तरफ जाएं।
- हालांकि, पुराने कांग्रेसी वोटर्स और कट्टर कांग्रेस समर्थक उनकी ताकत हैं। लेकिन क्या यह 2025 के चुनाव में काफी होगा?
4️⃣ इंजीनियर महफूज आलम – नया चेहरा, नई राजनीति?
यह नाम इस चुनाव में सबसे बड़ा सरप्राइज़ फैक्टर हो सकता है। इंजीनियर महफूज आलम और उनके भाई इंजीनियर मिनाज आलम पिछले 10 सालों से समाजसेवा में सक्रिय हैं। इनका सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है – “पैसे की भूख नहीं, सेवा का जुनून”।
- इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के कारण वह तकनीकी रूप से दक्ष और तेज़-तर्रार हैं।
- इंग्लैंड और अमेरिका में काम करने के बाद वापस लौटकर उन्होंने गरीबों और किसानों की मदद की।
- वह गरीब किसानों को मुफ्त और सब्सिडी वाले बीज-खाद दिलवाते हैं।
- अगर कोई बीमारी फसल में लग जाए, तो खुद वैज्ञानिकों को खेतों तक बुलाकर समाधान निकालते हैं।
- शानदार वक्ता, बेहद पॉपुलर, और सबसे युवा चेहरा— यह उनके लिए बड़ा एडवांटेज है।
महफूज आलम की सबसे बड़ी ताकत उनकी इमेज और ग्राउंड सपोर्ट है। गरीबों और किसानों के बीच उनकी बेहद मजबूत पकड़ है, जो उन्हें AIMIM, JDU और INC के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
अगर AIMIM का वोट बैंक टूटता है, तो ज्यादा मुस्लिम वोट महफूज आलम की तरफ जा सकता है। दूसरा फैक्टर है कि महफूज आलम पिछले 2020 विधानसभा चुनाव में अख्तरुल इमान को सपोर्ट किया था।
महफूज आलम ने जो वोट अख्तरुल इमान को दिलाया थे वह वोट उनके तरफ शिफ्ट हो सकता है। कांग्रेस का उम्मीदवार काफी बुज़ुर्ग है, जिससे युवा वोट महफूज आलम की ओर झुक सकता है।
सबा जफर की भाजपा वाली छवि मुस्लिम वोट बैंक को उनसे दूर रख सकती है।
महफूज आलम अगर सही रणनीति अपनाते हैं, तो वह इस बार सबसे बड़ा उलटफेर कर सकते हैं।
Video Amour Vidhan Sabha Poll 2025 |
क्रिटिकल एनालिसिस
अगर AIMIM, INC और JDU के वोट आपस में बंटते हैं, तो महफूज आलम के लिए आसान जीत हो सकती है।
अगर अख्तरुल इमान अपना पूरा वोट बैंक बचाने में कामयाब होते हैं, तो मुकाबला कड़ा रहेगा।
कांग्रेस के पुराने वोटर्स का झुकाव अगर युवाओं की ओर हुआ, तो महफूज आलम को सीधा फायदा मिलेगा।
अगर महफूज आलम सही समय पर चुनावी समीकरण समझकर प्रचार करते हैं, तो वह इस विधानसभा में नया इतिहास बना सकते हैं।
Conclusion Points
अमौर विधानसभा का 2025 का चुनाव अब तक का सबसे दिलचस्प मुकाबला बनने जा रहा है। AIMIM के अख्तरुल इमान, JDU के सबा जफर, INC के अब्दुल जलील मस्तान, और नए चेहरे इंजीनियर महफूज आलम के बीच यह जंग होगी।
अगर AIMIM का वोट टूटता है, कांग्रेस के पुराने वोटर्स किसी और की ओर शिफ्ट होते हैं, और महफूज आलम का करिश्मा चलता है, तो यह चुनाव महफूज आलम के पक्ष में जा सकता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में जनता किसे अपना नुमाइंदा चुनती है!
मुख्य उम्मीदवारों का प्रदर्शन 2020
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अमौर सीट पर AIMIM के अख्तरुल इमान ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने कुल 94,459 वोट हासिल किए। यह जीत AIMIM के लिए सीमांचल में बड़ी सफलता थी।
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | प्रतिशत |
---|---|---|---|
AIMIM | अख्तरुल इमान | 94,459 | 51.17% |
JDU | सबा जफर | 41,944 | 22.72% |
INC | अब्दुल जलील मस्तान | 31,863 | 17.26% |
JAP(L) | कुमार गुप्ता | 3,164 | 1.71% |
LJP | मनोज कुमार निषाद | 919 | 0.5% |