आपने ना जाने कितने बार, Electricity In Hindi शब्दों को सर्च किया होगा? लेकिन अभी आपका तलाश जारी है. आज आपके पास बेहतरीन मौका है, इलेक्ट्रिसिटी से संबंधित पूरी जानकारी ले सकते हैं.
अगर आप इलेक्ट्रिक टेक्निशियन हैं या फिर आप एक छात्र हैं तो आपके लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ आर्टिकल है. तो देर किस बात की, नीचे तक स्क्रोल करें.
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AC Aur DC kya hai?
AC तथा DC दो के प्रकार के करंट होते हैं, जिसका इस्तेमाल बिजली के अलग-अलग उपकरणों में होता है। आपके घरों में जो पावर लाइन सप्लाई होता है. वह एसी करंट होता है।
जब आप चार्जर से मोबाइल को चार्ज करते हैं तो एसी करंट को चार्जर डीसी करंट में बदल देता है। घड़ी या इनवर्टर के बैटरी डीसी करंट देता है. जनरेटर से मुख्यता एसी करंट उत्पन्न होता है. जबकि बैटरी से डीसी करंट उत्पन्न होता है।
इन दोनों करंट को बदला जा सकता है – इनवर्टर और रेक्टिफायर
एसी करंट से चलने वाले उपकरणों को डीसी करंट से चलाने के लिए इनवर्टर का प्रयोग किया जाता है। डीसी करंट से चलने वाले उपकरणों को एसी करंट से चलाने के लिए रेक्टिफायर का इस्तेमाल होता है।
Full form of AC and DC जान लीजिए परीक्षा में काम आएगा
- AC full form – Alternate Current
- एसी करंट फुल फॉर्म – अल्टरनेट करंट
- D.C – Direct Current.
- DC Full Form In Hindi – डायरेक्ट करंट.
- AZ2 Full Form
इलेक्ट्रिक करंट का अविष्कार किसने किया था?
क्या आप जानते हैं पहली बार इलेक्ट्रिसिटी किसने बनाया था? 1800 में इतालवी भौतिक विज्ञानी एलेसेंड्रो वोल्टा ने दुनिया में पहली बार अपने बनाए बैटरी से डायरेक्ट करंट की परवाह किया था।
1832 में फ्रांसीसी साइंटिस्ट हिप्पोलिएट पिक्सी ने दुनिया में पहली बार माइकल फैराडे के सिद्धांतों पर आधारित डायनेमो इलेक्ट्रिक जनरेटर बनाया था. जिसने अल्टरनेट करंट का परवाह किया था।
AC and DC difference In Hindi (in details)
अल्टरनेट करंट को ज्यादा दूरी तक भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जैसे आपके घर में जो इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई होता है वह एसी करंट होता है। आपके घरों में जो भी बिजली के उपकरणों का गर्म या ठंडा (जैसे गीजर, फ्रिज, बल्ब, पंखा आदि) के लिए इस्तेमाल होता है इसमें अल्टरनेट करंट का प्रयोग किया जाता है।
डायरेक्ट करंट को कम दूरी तक देखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह करंट बैटरी से उत्पन्न किया जाता है या इनवर्टर के इस्तेमाल से अल्टरनेट करंट को डायरेक्ट करंट में बदला जाता है। आपके घरों में जो भी उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (जैसे स्मार्टफोन, टेलीविजन, कंप्यूटर आदि) उन सभी उपकरणों में डायरेक्ट करंट का प्रयोग होता है।
इनवर्टर (Rectifier) के प्रयोग से डायरेक्ट करंट को अल्टरनेट करंट में बदला जाता है। अल्टरनेट करंट को direct current में बदला जाता है। अब तक दुनिया में हंड्रेड परसेंट एफिशिएंट इनवर्टर नहीं बना है जिसके कारण जब हम एसी करंट को डीसी करंट में बदलते हैं या फिर डीसी करंट को एसी करंट बदलते हैं तो ऊर्जा की बर्बादी होती है।
हमारे लिए एसी या डीसी करंट बेहतर होता है?
सोलर ऊर्जा से डीसी करंट उत्पन्न होता है। अगर आप डीसी करंट का इस्तेमाल डीसी पंखा या डीसी बल्ब में करते हैं। आप ऊर्जा के बर्बादी से बच सकते हैं तथा आपका काम लंबे समय तक चल सकता है।
एसी करंट के प्रयोग से बैटरी चार्ज होता है, बैटरी डीसी करंट उत्पन्न करता है। अगर आप डीसी करंट का प्रयोग डायरेक्ट करेंगे तो आप फायदे में रहेंगे।
डीसी करंट के प्रयोग में हमेशा ध्यान रखना होता है कि नेगेटिव तथा पॉजिटिव टर्मिनल को सही से जोड़ा जाए वरना उपकरणों का खराब होना तय माना जा सकता है।
What is electricity definition in english
Flow of charge in a conductor in given time is known as electricity।
In Hindi
” जब किसी सुचालक में चार्ज के प्रवाह, एक निश्चित अंतराल में होता हो उसे विद्युत कहते है ”।
विद्युत की परिभाषा को अगर गौर से देखें तो पता चलेगा 3 शब्द इस में महत्वपूर्ण हैं –
- सुचालक
- चार्ज (आवेश)
- समय (अंतराल)।
सुचालक को अंग्रेजी में गुड कंडक्टर कहते हैं, जिस वस्तु में करेंट पास कर सकता हूं उसे सुचालक कहते हैं। सुचालक कौन सा वस्तु हो सकता है –
- जिसमें फ्री इलेक्ट्रॉन हो
- इलेक्ट्रॉन प्रवाह की जगह हो।
जो भी वस्तु इन दोनों शब्द को पूरा करें वह सुचालक हो सकता है जैसे धातु।
चार्ज दो प्रकार के होते हैं
- ऋणात्मक आवेश (-)
- सकारात्मक आवेश (+)।
आप जैसा कि जानते हैं, तत्व के सबसे छोटे कण को परमाणु कहते हैं। परमाणु के अंदर न्यूक्लियस तथा ऑर्बिट होता है! ऑर्बिट में इलेक्ट्रॉन होता है। जबकि न्यूक्लियस के अंदर प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होता है।
न्यूक्लियस के अंदर पाए जाने वाले प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन कभी भी प्रवाह नहीं कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि इलेक्ट्रिसिटी में प्रवाह करने वाला चार्ज सिर्फ इलेक्ट्रॉन हो सकता है।
जब किसी सुचालक को बैटरी या जनेटर से जोड़ा जाता है तभी इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है। यानी कि आप यह कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन के प्रवाह को ही हम इलेक्ट्रिक करंट यानी विद्युत का सकते हैं।
दोस्तों, आप जानते हैं कि विद्युत धारा एक प्रकार का ऊर्जा है, ऊर्जा का प्रवाह हमेशा उच्च ऊर्जा से निम्न ऊर्जा के तरफ होता है। इलेक्ट्रिसिटी में चार्ज का प्रवाह एवं करंट का प्रवाह दिशा भिन्न होता है।
- चार्ज का प्रवाह – ऋणात्मक से सकारात्मक
- करंट का प्रवाह – सकारात्मक से ऋणात्मक।
- विद्युत का फार्मूला = आवेश / समय
- विद्युत का यूनिट – एम्पेयर।
अलग रंगों के वायर का क्या मतलब है?
आपने अपने घर में अलग-अलग रंगों के वायर को देखा होगा. इस रंगीन वायर के पीछे कुछ कोडिंग छुपा हुआ है। भारत में लाइव वायर का रंग लाल, नीला तथा पीला होता है, न्यूट्रल वायर का रंग काला होता है जबकि अर्थ वायर का कलर पीले पट्टियों के साथ ग्रीन या ग्रीन रंग होता है।
- लाइव वायर – इसी वायर को छूने से करंट लगता है।
- न्यूट्रल वायर – करंट को वापस ले जाने में मदद करता।
- अर्थ वायर – झटका लगने से आप को बचाता है।
एक बात नोट कर लें, आपके घर में टेक्नीशियन गलत रंगों के तार का इस्तेमाल कर सकता है. उसके लिए आप टेस्टर का इस्तेमाल करके लाइव वायर को पहचान सकते हैं.
जब टेस्टर को आप लाइव वायर में टच करेंगे तो उसके अंदर एक छोटा सा बल्ब जलेगा. इसका मतलब यह हुआ कि यह लाइव वायर है. अगर आप इसको नंगे हाथों से पकड़ लेंगे तो आपकी जिंदगी जो कि में आ सकता है.
Earth Wire बहुत काम का होता है और यह बड़े से बड़े खतरों को टाल सकता है
बिजली के प्लग दो पिन एवं तीन पिन वाले होते हैं, तीन पिन प्लग अर्थ वायर से जोड़ा जा सकता है। हमें तीन पिन प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे झटका लगने का चांस कम होता है।
अगर आपके वाटर कूलर या फ्रीजर जैसे उपकरणों को छूने से झटका लगता हो तो इसका मतलब यह है कि अर्थ वायर ठीक से जुड़ा हुआ नहीं है।
अगर कोई बिजली का कोई उपकरण अर्थ वायर से जुड़ा नहीं है या तीन पिन प्लग से जुड़ा नहीं है तो आपको सावधानी बरतनी होगी।
पहला, आसमान में बिजली कड़कने के स्थिति में उपकरणों के प्लग को बोट से निकालना पड़ेगा, दूसरा आपका हाथ पानी से भीगा हो ऐसी स्थिति में भी उपकरणों को नहीं छूना चाहिए।
विद्युत के सही संयोजन से बिजली के बिल को कम कर सकते हैं
आप अपने घर में जब वायरिंग करवाते हैं तो आपको समझना पड़ेगा कि श्रृंखला तथा समानांतर संयोजन क्या होता है।
श्रृंखला संयोजन (Series Combination) में हर पॉइंट पर एमिटर रीडिंग समान आता है जबकि वोल्ट मीटर रीडिंग असामान आता है। इस तरह का संयोजन शादी विवाह एवं त्योहारों में अस्थायी प्रयोग के लिए क्या जाता है।
इस तरह के संयोजन के कारण इलेक्ट्रिसिटी का बिल बहुत ज्यादा आता है, उसके साथ शॉर्ट सर्किट होने की चांस भी ज्यादा होता है।
समानांतर संयोजन (Parallel Combination) में हर पॉइंट पर वोल्ट मीटर समान आता है जबकि एमिटर रीडिंग असामान आता है। इस तरह का संयोजन स्थायी प्रयोग के लिए घरों, ऑफिस व बड़े शॉपिंग सेंटर में होता है। इस तरह के संयोजन के कारण इलेक्ट्रिसिटी का बिल बहुत कम आता है।
ओवरलोडिंग तथा शॉर्ट सर्किट क्या होता है?
जब एक ही पॉइंट (प्लग) से बहुत सारे बिजली के उपकरणों को जोड़ा जाता है, उसे ओवरलोडिंग कहते हैं।
ओवरलोडिंग से गर्मी पैदा होता है, यह गर्मी कॉपर वायर के ऊपर लगे PVC प्लास्टिक को पिघला सकता है। PVC प्लास्टिक पिघलने के बाद, लाइव वायर तथा न्यूट्रल वायर आपस में जुड़ जाते हैं, उसे शॉर्ट सर्किट कहते हैं।
शॉर्ट सर्किट से आग लग सकता है क्योंकि नेगेटिव व पॉजिटिव वायर के टच होने से चिंगारी निकलता है।
Who invented electricity in Hindi?
बेंजामिन फ्रैंकलिन वास्तव में बिजली की खोज करने वाला पहला व्यक्ति था लेकिन थॉमस एडीसन ने बिजली के बल्ब का आविष्कार किया था।
इलेक्ट्रिसिटी के बचत कैसे करें?
बिजली की बचत कैसे की जाए आपने कई प्रचार में देखा होगा जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बिजली बचाने के उपाय पर हमेशा चर्चा करते रहते हैं।
आप जानते हैं कि हमें अब LED बल्ब यूज़ करना चाहिए तथा जिस जगह आप नहीं है वहां के सारे उपकरणों को बंद कर दें, यह सब बातें आप पहले से जानते हैं लेकिन आपको कुछ और बताना चाहता हूं।
समानांतर संयोजन के प्रयोग से काफी बिजली को बचाया जा सकता है क्योंकि इसमें प्रतिरोधक कम होते हैं। घरों में वायर के लंबाई को कम कर के भी बिजली को बचाया जा सकता है उसके अलावा मोटे वायर का प्रयोग भी अच्छा माना जाता है। क्योंकि छोटे तथा मोटे तारों में रजिस्टेंस कम होते हैं।
सरकार के द्वारा जो बिजली सप्लाई होता है. उसके अलावा भी विकल्प पर हम काम कर सकते हैं। सोलर ऊर्जा एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर आया है। जब आप घर बनवाते हैं तो उसमें काफी पैसे खर्च कर देते हैं, उसमें से थोड़ा पैसा बचा कर के सोलर पैनल का छत बनवा सकते हैं।
हवा का भी प्रयोग करके आप इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन यह कोस्टल एरिया में ही संभव है। हवा एवं सूर्य की रोशनी से उत्पन्न किया गया इलेक्ट्रिक सिटी हंड्रेड प्रतिशत पोलूशन फ्री है।
सरकार आप को जो बिजली सप्लाई करता है वह कोयले या डीजल के जलाने से या एटॉमिक रिएक्टर से उत्पन्न किया जाता है। इन सभी विधियों से हमारा वातावरण खराब होता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है।
अभी भी भारत के सभी गांव में सरकार के द्वारा बिजली सप्लाई पूरा नहीं हो सकता है, अगर आप बिजली की बचत करेंगे तो सरकार उन वंचितों को भी बिजली दे पाएंगे जिसके घर आज तक बिजली नहीं पहुंचा है।
इलेक्ट्रिसिटी इन हिंदी का मतलब अब समझ में आ गया होगा लेकिन जो दोस्त इस पर लेख या essay लिखना चाह रहे हैं ऊपर के भी तथ्यों का प्रयोग कर सकते हैं।
Conclusion Points
Electricity को नदी की तरह समझें। एक प्रत्यावर्ती धारा में, नदी लगातार दिशा बदल रही है, आगे और पीछे बह रही है। यह ऐसा है जैसे जब आप खेल के मैदान में झूले पर झूलते हैं: आप एक दिशा में आगे पीछे जाते हैं, फिर दूसरी दिशा में।
हालाँकि, दिष्टधारा में, नदी हमेशा एक दिशा में बहती है – जैसे कोई कार राजमार्ग पर चलती है। यह बिना मोड़ या घुमाव के सीधे आगे जा रहा है।
ये दो अलग-अलग तरीके हैं जिनसे बिजली एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती है – प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा।
मैं आशा करता हूं कि आपने इसलिए के कुछ हिस्सों को जरूर ही पढ़ा होगा. जिसमें कि आप इलेक्ट्रिसिटी का आविष्कार, एसी डीसी का फुल फॉर्म, और भी कई उपयोगी जानकारी आपने हासिल किया है.
आपको ज्यादा लंबा पकाना नहीं चाहता हूं. आपके दिमाग में अगर इससे संबंधित कोई प्रश्न हो तो कमेंट बॉक्स में पूछ ही डालिए. धन्यवाद के साथ अपनी बात खत्म करता हूं.
प्रश्न: Koi bulb AC or DC current se jalaya jata h to Kis Mein vah Tej chalega
अगर दोनों ही करंट का वोल्टेज सेम है तो आपको सेम इंटेंसिटी का लाइट मिलेगा.